स्वास्थ्य

कोरोना के प्रभाव से निपटने के लिए गरीब महिलाओं को बुनियादी अस्थायी आय जरूरी : यूएनडीपी

Dayanidhi

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने कोविड-19 महामारी के दौरान बढ़ती गरीबी और लिंग असमानता को रोकने के लिए विकासशील देशों में गरीब महिलाओं के लिए एक अस्थायी बुनियादी आय (टेम्परेरी बेसिक इनकम) देने का आह्वान किया है। जिससे विकासशील देशों के आर्थिक रूप से कमजोर 2.8 अरब लोगों को राहत प्रदान की जा सके। 

महिलाओं पर पड़ रहे तत्काल प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए आजीविका

रिपोर्ट में कहा गया है कि यूएनडीपी द्वारा बड़े पैमाने पर अपने पालिसी ब्रीफ में सुझाए गए अस्थायी बुनियादी आय योजना से पता चलता है कि विकासशील देशों की जीडीपी का 0.07 प्रतिशत का मासिक निवेश, या 51 बिलियन अमेरिकी डॉलर की क्रय शक्ति समता (पीपीपी) 61.3 करोड़ गरीबी में जी रही महिलाओं को काम करने की भरोसेमंद वित्तीय सुरक्षा प्रदान कर सकता है। यह आय उनके आर्थिक दबाव को कम करने के लिए जिसकी वे दिन-प्रतिदिन सामना करती हैं  के लिए बहुत आवश्यक है।

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, विभिन्न अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय संगठनों ने कहा है कि कोविड-19 महामारी ने पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता की दिशा में दशकों से चल रहे प्रयास पर पानी फेर दिया है। कोविड-19 महामारी के आर्थिक प्रभावों के कारण महिलाओं की आजीविका पर गंभीर असर पड़ा है।

यूएनडीपी के प्रशासक अचिम स्टीनर ने कहा की सरकारें हर महीने अपने सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.07 प्रतिशत हिस्सा सीधे सामाजिक-आर्थिक तनाव का सामना कर रही महिलाओं पर खर्च कर सकती हैं, क्योंकि इस संकट के दौर में एक मासिक बुनियादी आय उनके जीवन को चला सकती है। इस तरह के एक सार्थक निवेश का लाभ न केवल महिलाओं और उनके परिवारों को महामारी के सदमे को कम करने में मदद कर सकता है, बल्कि महिलाओं को पैसे, आजीविका और जीवन में अलग-अलग विकल्पों के बारे में स्वतंत्र निर्णय लेने के लिए भी सशक्त बनाता है।

दुनिया भर में महिलाओं द्वारा किए जाने वाले कार्यों के लिए भुगतान कम किया जाता हैं, जिनमें अक्सर असुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा की कमी होती है।  मुख्य रूप से कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान महिलाओं द्वारा किए जाने वाले देखभाल संबंधी आतिथ्य जैसे क्षेत्रों को बंद कर दिया गया था। पालिसी ब्रीफ में कहा गया है कि महिलाओं की अवैतनिक कार्यों में अधिक हिस्सेदारी रही है, उन्हें काम नहीं मिला। साथ ही, लॉकडाउन के दौरान उन्हें घरेलू हिंसा में हुई वृद्धि का सामना करना पड़ा।

लैंगिक समानता का मार्ग प्रशस्त करना

महिलाओं को महामारी की वजह से पुरुषों की तुलना में अधिक नुकसान हुआ है, उनकी आय कम हो रही है और रोजगार देने वाले उनसे अधिक काम करवाते है जबकि उन्हें मजदूरी कम दी जा रही है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से पहले जारी नीतिगत संक्षिप्त विवरण (पालिसी ब्रीफ) में कहा गया है कि अस्थायी बुनियादी आय उनकों कुछ समय के लिए वित्तीय सुरक्षा प्रदान कर सकती है, जो कि वर्षों से चली आ रही लैंगिक असमानता को दूर करने वाले भविष्य के लिए एक मार्ग प्रशस्त करती है।

महिलाओं को अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए अस्थायी बुनियादी आय जरूरी है जो विशेष रूप से गरीबी में रहने वाले पुरुषों और महिलाओं के बीच की खाई को कम कर सकता है। यह महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करके और घर के भीतर आर्थिक संसाधनों के नियंत्रण को संतुलित करने में मदद कर सकती हैं।

महिलाओं के लिए अस्थायी बुनियादी आय अपने आप में रामबाण नहीं है। यूएनडीपी के मुख्य अर्थशास्त्री जॉर्ज ग्रे मोलिना ने कहा कि इस तरह की योजनाओं को संरक्षण को मजबूत करने के लिए संस्थागत स्तर पर परिवर्तन होना चाहिए।