देश के भीतर कई कंपनियां कीटनाशक बनाने के लिए टेक्निकल ग्रेड मटेरियल की आपूर्ति झूठे हलफनामे या कंसेट लेटर का सहारा ले रही हैं। ऐसे में कीटनाशक की गुणवत्ता और उसके काफी दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इन कंपनियों के जरिए कीटनाशक के तहत संतुलित तरीके से कवक नाशक, खर-पतवार नाशक बनाने का दावा पेश किया जा रहा है। हालांकि, ऐसे ही कंपनियों की स्क्रूटनी इन दिनों जारी है, जिनमें कई कंपनियों के कीटनाशक बनाने के लिए दिए गए जरूरी और योग्य दावे झूठे पाए गए हैं। 8 जुलाई को 22 कंपनियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराने का निर्णय हुआ।
कीटनशाक कानून, 1968 के अधीन धारा 9(4) टेक्निकल इंपोर्ट/ फॉर्मुलेशन के तहत कोई भी व्यक्ति, कंपनी, संस्था यदि किसी भी कीटनाशक का आयात या निर्माण करना चाहता है तो उसे रजिस्ट्रेशन कमेटी के सामने संबंधित और प्रत्येक कीटनाशक का एक अलग से आवेदन देना होता है। ऐसे में करीब छह महीने की जांच-पड़ताल के बाद कई कंपनियों के कीटनाशक बनाने के झूठे दावे रजिस्ट्रेशन कमेटी ने पकड़े हैं।
18 दिसंबर, 2019 को केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधीन वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय की रजिस्ट्रेशन कमेटी (आरसी) के सामने ऐसे कंपनियों के मामले सामने आए थे, जिनके आवेदनों में सिर्फ त्रुटियां ही नहीं बल्कि फरेब करने की कोशिश की गई थी। आरसी की बैठक में यह लिखित दर्ज किया गया कि कुछ छोटे कीटनाशक निर्माताओं (फॉर्मुलेटर्स) ने टेक्निकल ग्रेड मटेरियल की सप्लाई के लिए झूठे कंसेंट लेटर बनाकर धारा 9 (4) के तहत आवेदन किया है। वहीं, टेक्निकल ग्रेड कीटनाशकों के सप्लायर्स ने स्पष्ट किया था कि उन्होंने कोई कंसेट लेटर नहीं दिया है। फिर भी झूठे दावे करने वाले कीटनाशक निर्माताओं को 30 दिन के भीतर जवाब देने का मौका दिया गया था।
इसके बाद 3, 6 और 9 मार्च 2020 को हुई बैठकों में यह पाया गया कि कारण बताओ नोटिस के बावजूद सेंट्रल इंसेक्टिसाइड बोर्ड एंड रजिस्ट्रेशन कमेटी (सीआईबी एंड आरसी) को इन कंपनियों की तरफ से कोई जवाब नहीं आए। जवाब न होने की सूरत में आरसी ने आखिरी 15 दिन का मौका इन कंपनियों को दिया ताकि वे साबित करें कि कीटनाशक बनाने के लिए हासिल किया गया जरूरी टेक्निकल कंसेट लेटर सही है या नहीं।
बहरहाल हाल ही में सेंट्रल इंसेक्टिसाइड बोर्ड एंड रजिस्ट्रेशन कमेटी (सीआईबी एंड आरसी) के सामने पेश किए गए 42 कंपनियों के टेक्निकल ग्रेड दावों की जांच की गई। इनमें फिलहाल 22 कंपनियों के टेक्निकल ग्रेड मटेरियल के लिए दिए गए आवेदन झूठे पाए गए। वहीं, अन्य आवेदनों की स्क्रूटनी अभी जारी है।
सीआईबी एंड आरसी ने 28 अप्रैल 2020 को एक पब्लिक नोटिस के तहत इन 42 कंपनियों के नाम जाहिर किए थे जिनमें प्रमाणित व्यक्तियों या संस्था से टेक्निकल ग्रेड मटेरियल का प्रमाण पत्र हासिल करने की बात कही गई थी। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधीन वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय की रजिस्ट्रेशन कमेटी की 8 जुलाई को हुई 419वीं विशेष वीडियो कांफ्रेंसिंग बैठक में प्रथम दृष्टि में दोषी पाई गई 22 कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जा रही है। इन कंपनियों ने फंगीसाइड और हर्बिसाइड की कई किस्में बनाने के लिए झूठे टेक्निकल ग्रेड मटेरियल का प्रमाण पत्र दिया था।
22 कंपनियां जिनके खिलाफ हुई कार्रवाई
कोरम क्रॉपसाइंसेज (2 आवेदन), क्रॉप केमिकल्स इंडिया लिमिटेड (2 आवेदन), फ्यूचर क्रॉप साइंस (4 आवेदन), किंगटेक बॉयो केम प्राइवेट लिमिटेड (एक आवेदन), मैसर्स पॉयनियर पेस्टिसाइड प्राइवेट लिमिटेड (3 आवेदन), मैसर्स रवि क्रॉप साइंस (तीन आवेदन), सिरॉट सीड्स एंड केमिकल प्राइवेट लिमिटेड (2 आवेदन), स्काइन क्रॉप केयर प्राइवेट लिमिटेड (2 आवेदन), सदर्न पेस्ट कंट्रोल ( 2 आवेदन), वॉंटेल चेंपोस प्राइवेट लिमिटेड (एक आवेदन) किया गया था। ज्यादातर एजॉक्सीस्ट्रॉबिन डाइफिनोकोनेनजॉल, टेबुकोनेनजॉल जैसे अलग-अलग मात्रा वाले व अन्य फॉर्मुले बनाने के लिए झूठे आवेदन दिए गए थे। यह खरपतवार नाशक, और कवकनाशक श्रेणी में आते हैं।