पड़ोसी राज्य राजस्थान और हिमाचल में पक्षियों के मौत के बाद हरियाणा में भी रहस्यमय तरीके से मुर्गियों की मौत हो रही है। बीते दस दिनों में हरियाणा के पंचकूला जिले के बरवाला क्षेत्र में करीब चार लाख मुर्गियों की मौत हो चुकी है। मुर्गियों के मौत का कारण बर्ड फ्लू माना जा रहा है, लेकिन अधिकारिक तौर पर गुरुवार सुबह तक पुष्टि नहीं हुई थी। लगतार मुर्गियों के मौत होने के बाद हरियाणा पशुपालन और डेयरी विभाग ने चिकन या अंडे खाने को लेकर एडवाइजरी जारी करते हुए अच्छी तरह पकाकर खाने और पॉल्ट्री फॉर्म के अंदर नहीं जाने की सलाह दी है।
बुधवार को भी गांव गढ़ी कुटाह और गांव जलोली के पॉल्टी फार्म में करीब 20 हजार मुर्गियों की मौत हुई थी। लगातार मुर्गियों के मौत की घटना सामने आने के बाद पशुपालन एवं डेयरी विभाग की टीम ने सैंपल लिए है और जांच के लिए हिसार और सोनीपत भेजे गए है। बुधवार को मृत मुर्गियों के सैंपल क्षेत्रीय रोग निदान प्रयोगशाला (आरडीडीएल) जालंधर भी भेजा गया है। गुरुवार को आरआरडीएल की दो टीमें बरवाला क्षेत्र में पहुंचकर नमूने लेने का काम शुरू कर दिया है। आरआरडीएल की टीम ने दो सैंपल लिए है, एक सैंपल को भोपाल के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान भेजा जाएगा। मुर्गीपालकों ने आशंका जताई है कि संदिग्ध बीमारियां रानीखेत या संक्रामक लारेंजो-ट्रैक्टिस हो सकती हैं।
पंचकूला के उपायुक्त एमके आहूजा ने डाउन टू अर्थ को बताया कि जिले में करीब 80 लाख मुर्गियां है। जिसमें बुधवार शाम तक करीब 4,09,970 की मौत हुई है। जो सामान्य से कही ज्यादा है। इसकी सूचना पशुपालन एवं डेयरी विभाग को दी गई थी। आरआरडीएल की टीम ने सैंपल लेने के लिए आई हुई है। मुर्गियों के मौत का कारण रिपोर्ट आने के बाद ही बताया जा सकता है।
पॉल्ट्री फॉर्म एसोसिएशन के अध्यक्ष दर्शन सिंह का कहना है कि रायपुररानी और बरवाला क्षेत्र में लगभग 150 पॉल्ट्री फार्म है। यहां से रोजाना सवा करोड़ से डेढ़ करोड़ अंडे की सप्लाई देश के सभी हिस्सों में होता है। बर्ड फ्लू की आशंका को खारिज करते हुए दर्शन सिंह ने बताया कि मुर्गियों के मरने का कारण ठंड भी हो सकता है। अभी हाल ही में मुर्गियों को रूटीन वैक्सीन लगाई गई थी, उसके रिएक्शन से भी इनकी मौत हो सकती है। सही जानकारी के लिए विभागीय रिपोर्ट का इंतजार कर रहे है।
बरवाला एग ट्रेडर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मोहम्मद अफजल का कहना है कि जैसे-तैसे कोरोना के बाद अंडा और चिकन के बाजार ने रफ्तार पकड़ी थी, अब यह परेशानी आकर खड़ी हो गई। अधिकांश मुर्गियों की मौत गर्दन अकड़ कर हुई है। इसे देखते हुए कह सकते है कि यह मुर्गियां रानीखेत बीमारी से मरी है।
गाइडलाइन की मुख्य बातें:
-चिकन या अंडा खाने से पहले सुनिश्चित करें कि सभी भाग पूरी तरह से पके हुए हो
-चिकन या अंडे को 70 डिग्री सेल्सियस पर पकाए
-कच्चा चिकन या अंडा हरगिज नहीं खाएं
-चिकन बनाने वाले व्यक्ति पकाने के बाद अपने हाथों को साबुन और गर्म पानी से अच्छी तरह से धोए
-चिकन या अंडों के संपर्क में आने वाली सतहों को सैनिटाइज करें