स्वास्थ्य

मलेरिया के कारण हर 50 सेकंड में जा रही है एक व्यक्ति की जान

2020 में मलेरिया के चलते दुनियाभर में 627,000 लोगों की जान गई थी, जोकि पिछले साल के मुकाबले 69,000 ज्यादा है

Lalit Maurya

वैश्विक स्तर पर मलेरिया के चलते हर 50 सेकंड में एक व्यक्ति की जान जा रही है। यह जानकारी हाल ही में जारी विश्व मलेरिया रिपोर्ट, 2021 में सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में मलेरिया के चलते दुनियाभर में 627,000 लोगों की जान गई थी, जोकि पिछले साल के मुकाबले 69,000 ज्यादा है।  गौरतलब है कि 2019 में मलेरिया ने 5.58 लाख लोगों की जान ली थी।

रिपोर्ट की मानें तो मलेरिया के कारण होने वाली मौतों के लिए कहीं हद तक कोरोना महामारी के कारण स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं में आया व्यवधान जिम्मेवार था। यही नहीं इनमें से करीब दो-तिहाई यानी 47,000 मौतें सीधे तौर पर कोविड-19 के चलते मलेरिया की रोकथाम, निदान और उपचार में आए व्यवधान से जुड़ी थी। 

वहीं यदि मलेरिया से जुड़े मामलों की बात करें तो 2020 के दौरान दुनिया भर में मलेरिया के 24.1 करोड़ मामले सामने आए थे, जोकि 2019 की तुलना में 1.4 करोड़ ज्यादा हैं। इससे पहले 2019 में मलेरिया के 22.7 करोड़ मामले सामने आए थे। देखा जाए तो दुनिया में उप सहारा अफ्रीका दुनिया में मलेरिया का सबसे ज्यादा बोझ ढो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार 2020 के दौरान मलेरिया के सामने आए कुल मामलों में से 95 फीसदी मामले उप सहारा अफ्रीका में ही सामने आए थे। 

उप सहारा अफ्रीका में सबसे ज्यादा छोटे बच्चे बन रहे हैं मलेरिया का शिकार

इसी तरह दुनिया में मलेरिया से होने वाली कुल मौतों में से करीब 96 फीसदी मौतें इसी क्षेत्र में दर्ज की गई थी। आंकड़ों से पता चला है कि यहां मलेरिया का सबसे ज्यादा शिकार 5 वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चे हो रहे हैं। अनुमान है कि इस क्षेत्र में होने वाली कुल मौतों में से करीब 80 फीसदी शिकार पांच वर्ष से कम आयु के बच्चे थे।

हालांकि रिपोर्ट की मानें तो यह स्थिति पहले के मुकाबले कहीं और ज्यादा खराब हो सकती थी। महामारी के शुरुआती दिनों में, डब्ल्यूएचओ ने अनुमान लगाया था कि स्वास्थ्य से जुड़ी जरुरी सेवाओं में आए व्यवधान के चलते उप सहारा अफ्रीका में मलेरिया से मरने वालों का आंकड़ा 2020 में दोगुना हो सकता है। लेकिन जिस तरह कई देशों ने स्थिति में सुधार लाने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर तत्काल कार्रवाई की थी उसके चलते संभावित मौतों के आंकड़े में कमी आई थी। 

गौरतलब है कि कोविड-19 के वैश्विक महामारी बनने से पहले ही मलेरिया की रोकथाम की दिशा में हो रही प्रगति थम सी गई थी। हालांकि इससे पहले 2000 के मुकाबले 2017 तक वैश्विक स्तर पर मलेरिया के मामलों में करीब 27 फीसदी की कमी आ चुकी थी। वहीं इस दौरान मलेरिया से होने वाली मौतों के आंकड़ों में भी करीब 51 फीसदी की कमी दर्ज की गई थी।