स्वास्थ्य

अमेरिका में औसतन आठ में से एक परिवार के बच्चों को पर्याप्त भोजन नहीं

पूरे अमेरिका में कोरोनावायरस महामारी से लाखों बच्चे प्रभावित है, तुरंत एक करोड़ चालीस लाख बच्चों को भोजन चाहिए

DTE Staff

विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सबसे धनी देश अमेरिका को कोरोनावायरस ने इस कदर  कमजोर किया है कि आज की तारीख में अमरीकी नवपौध यानी वहां के बच्चों को पेट भर कर खाना भी नसीब नहीं हो पा रहा है। हालात ये है कि पूरे अमेरिका में आठ परिवारों के बीच एक परिवार ऐसा है, जिसके बच्चों को पर्याप्त भोजना नहीं मिल पा रहा है। यह इस बात से भी सिद्ध हो जाता है कि लॉकडाउन के समय अमेरिका के फूड बैंकों के सामने लगी मीलों लंबी लाइनें यह बता रही हैं कि सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

कहने के लिए तो पूरी दुनिया भर में विशेषकर विकासशील और गरीब देशों में फैली इस महामारी ने बच्चों का पूरी तरह से ही निवाला ही छीन लिया है लेकिन अब इस दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति कहे जाने वाले देश के बच्चे भी शामिल हो गए हैं। न्यूयार्क टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार इस समय अमेरिका में तुरंत एक करोड़ चालीस लाख बच्चों को खाना चाहिए। अमेरिका में इस समय बच्चों पर महामारी के कारण भूख का साया मंडरा रहा है और परिवारों के बीच खाद्य असुरक्षा की भावना तेजी से घर कर रही है। यह बहुत ही भयावह स्थिति है।

अमेरिका में यह स्थिति न्यूयार्क से लेकर कैलिफोर्निया तक बनी हुई है। यह स्थिति मई, 2020 से शुरू हुई और अब तक जारी है। खाद्य असुरक्षा की स्थिति में जीने से कई प्रकार के मनोविकार पैदा हो जाते हैं। यह स्थिति देश में अश्वत लोगों के परिवारों पर अधिक दिखाई पड़ता जबकि श्वेत लोगों के परिवारों पर कम।  यही नहीं काले लोगों के परिवारों पर गोरे परिवारों के मुकाबले इस प्रकार के मामले में दो गुना हैं। ऐसे कई परिवार हैं जो भुखमरी के कगार पर हैं और देश की अस्थिर अर्थ व्यवस्था के कारण अपना रोजगार लगातार खो रहे हैं। ऐसे में उनकी स्थिति और खराब हो रही है। ऐसे लोगों को माह के अंत तक अपने पैसा बचा कर रखना नामुमकिन हो जाता है। ऐसे सभी परिवार मिलकर सामूहिक भोजन कर गुजारा करते हैं।  

देश में कई राज्यों के गर्वनर्स ने महामारी के प्रकोप को देखते हुए स्कूल बंद कर दिए हैं। इससे बड़ी संख्या में ऐसे परिवारों पर भूख का कहर टूट पड़ा, क्योंकि इन स्कूलों में दोपहर का भोजन बच्चों को मुफ्त में मिलता था। ऐसे में अब परिवार द्वारा किए जाने वाले सामुहिक भोजन में बच्चों का भी हिस्सा हो गया। जून, 2020 की शुरूआत में ही पूरे अमेरिका में चार करोड़ लोग बेरोजगार हो गए थे।   

पश्चिमी शिकागो निवासी 29 वर्षीय जेनिफर एक अपार्टमेंट में रहती हैं लेकिन  उनके कीचन में प्लंबर की जरूरत है लेकिन उनका परिवार महामारी के इस दौर में पहले से ही संघर्ष कर रहा है। इस माहामारी में ताजा भोजना मिलना दुर्भल हो गया है और पैंट्री में जाओ तो लंगी-लंबी लाइनों को झेलो। वह कहती हैं कि जब भी कोई खाना पहुंचाने वाला घर की घंटी बजाता है बच्चे जमकर जश्न मानते हैं और सभी के चेहरे खिल उठते हैं और सभी एक स्वर में कहते हैं, ओह ममी आज रात को हम खाना खाकर सोएंगे और आज हमें बिना खाए नहीं सोना होगा।

अमेरिका में इस महामारी के बीच एक अश्वेत जार्ज लायड की हत्या के बाद भी देशभर में बड़े पैमाने पर उग्र प्रदर्शन हुए। ऐसे में सेंट लुईस में भी कई परिवार प्रभावित हुए। ऐसे ही एक परिवार की 28 वर्षीय मुखिया मनौशा ने बताया कि विरोध प्रदर्शन के बाद उनके घर के पास की ऐसी दुकानें बंद कर दीं गईं, जहां से दूध, अनाज और अन्य जरूरी खाने के सामान मिलते थे। यही नहीं इस उग्र प्रदर्शन के दौरान उसकी दुकान भी लूट ली गई।  वह अपनी चार बेटियों के साथ रहती  हैं। कहने के लिए तो सरकार की तरफ से 635 डॉलर माह में मिलते हैं लेकिन वह कहती हैं कि यह पर्याप्त नहीं है मेरे बच्चों के लिए। न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस भुखमरी के दौर में भी बस एक अच्छी बात यह हो रही है कि इतनी मुसीबतों के बाद भी सभी परिवार एक-दूसरे की मदद करने में पीछे नहीं हट रहे हैं।