स्वास्थ्य

शायद हर देश तक पहुंच चुका है ओमिक्रॉन वेरिएंट: विश्व स्वास्थ्य संगठन

DTE Staff

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने साफ कर दिया है कि कोरोनावायरस का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन शायद अब दुनिया के ज्यादातर देशों तक पहुंच चुका है, इसलिए इसे अब हल्का नहीं लेना चाहिए। 

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने संवाददाताओं से कहा कि ओमिक्रॉन की मौजूदगी अब तक 77 देशों में मिल चुकी है और यह वेरिएंट जिस गति से फैल रहा है, इससे पहले हमने पिछले किसी वेरिएंट के साथ ऐसा नहीं देखा। उन्होंने कहा कि हम चिन्तित हैं कि लोग ओमिक्रॉन को हल्के में ले रहे हैं। जब अब हम जान चुके हैं कि इस वायरस को कम करके आंकना बहुत बड़ा जोखिम होगा।

ट्रैड्रॉस ने कहा कि अगर ओमिक्रॉन से बीमारी कम गम्भीर भी हो तो भी बड़ी संख्या में मामले बढ़ने पर एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी बोझ पड़ सकता है। उन्होंने कहा, "मैं बहुत स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि अकेले टीकाकरण से कोई भी देश इस संकट से बाहर नहीं निकल सकता। सभी देशों को प्रभावी रोकथाम उपायों से ओमिक्रॉन को फैलने से रोकना होगा।"

ब्रिटेन के शीर्ष स्वास्थ्य सलाहकार ने 14 दिसंबर 2021 को चेतावनी दी थी कि दिसम्बर के अन्त तक ओमिक्रॉन संक्रमण के मामले प्रति दिन दस लाख तक पहुंच सकते हैं। ऐसे में यदि इन नए संक्रमितों के एक अंश को भी अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता पड़ी तो राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं को महत्वपूर्ण दबाव का सामना करना पड़ेगा। यह परेशानी की बात है, क्योंकि ऐसा उस देश में होगा, जहां की लगभग 70 फ़ीसदी आबादी का पूर्ण टीकाकरण हो चुका है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि गरीब देशों जहां टीकाकरण के बराबर है, वहां क्या स्थिति बनने वाली है। 

उन्होंने कहा कि वर्ष के पहले नौ महीनों की तुलना में पिछले 10 हफ्तों में, अन्तरराष्ट्रीय वैक्सीन पहल - कोवेक्स के तहत अधिक टीके भेजे गए हैं, और अधिकतर देश, टीके मिलते ही, उतनी ही तेजी से उनका इस्तेमाल भी कर रहे हैं। 

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने कहा कि जो सबूत अब तक मिले हैं, उससे यह अन्दाजा लगाया जा रहा है कि गम्भीर बीमारी और मृत्यु रोकने में टीकों का असर थोड़ा कम हुआ है। इसी कारण कुछ देशों में ओमिक्रॉन से लड़ने के लिये, 18 से अधिक उम्र के लोगों को बूस्टर टीका देने का सिलसिला शुरू हो गया है, जबकि अभी इसके कोई सबूत नहीं हैं कि वे असरदार रहेंगे।

उन्होंने कहा, "डब्ल्यूएचओ की चिंता है कि इस तरह के कार्यक्रमों से, इस साल देखे गए टीकों की जमाख़ोरी की घटनाएं फिर दोहराई जाएगी, जिससे असमानताएँ बढ़ेंगी। मैं बहुत स्पष्ट रूप में कहना चाहूंगा कि डब्ल्यूएचओ बूस्टर टीके के खिलाफ नहीं है, बल्कि हम विषमताओं के खिलाफ हैं। हमारा प्रमुख मकसद सभी जगहों पर लोगों की जान बचाना है।"