फैटी एसिड रिसर्च इंस्टीट्यूट और सीडर्स-सिनाई मेडिकल सेंटर द्वारा किए शोध से पता चला है कि रक्त में मौजूद ओमेगा-3 कोविड-19 से होने वाली मृत्यु के जोखिम को कम कर सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार यह इस बात का पहला प्रत्यक्ष प्रमाण है कि जिन लोगों का ओमेगा -3 इंडेक्स अधिक होता है, उनकी कोरोना वायरस से मरने की आशंका कम होती है।
रिपोर्ट के अनुसार ऐसा ईपीए और डीएचए में मौजूद एंटी-इन्फ्लैमटरी गुणों के कारण होता है। ऐसे में कोविड-19 के चलते होने वाली मौतों में कमी करने के लिए पोषण पर ध्यान देना जरुरी है। यह शोध प्रोस्टाग्लैंडिंस, ल्यूकोट्रिएनेस एंड एसेंशियल फैटी एसिड्स नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
क्या कुछ निकलकर आया इस अध्ययन में सामने
इस अध्ययन में कोविड-19 के चलते अस्पताल में भर्ती 100 रोगियों को शामिल किया गया था। शोधकर्ताओं ने इन रोगियों के स्वास्थ्य की स्थिति और उनके रक्त में मौजूद ओमेगा-3 इंडेक्स का विश्लेषण किया था। इनमें से 14 मरीजों की मौत हो गई थी।
इन रोगियों को उनके रक्त में मौजूद ओमेगा-3 इंडेक्स के अनुसार चार वर्गों में बांटा था। प्रत्येक हिस्से में 25 फीसदी मरीजों को रखा था। इसमें पहले वर्ग में जहां मरीज में ओमेगा-3 इंडेक्स 5.7 फीसदी से ज्यादा था, वहां 25 रोगियों में से 1 की मृत्यु हुई थी, जबकि शेष तीन वर्गों में जहां ओमेगा-3 इंडेक्स 5.7 फीसदी से कम था वहां 75 में से 13 रोगियों की मौत दर्ज की गई। वहीं यदि उम्र और लिंग के आधार पर किए विश्लेषण से पता चला है कि जिस वर्ग में ओमेगा-3 इंडेक्स 5.7 फीसदी या उससे ज्यादा था, उसमें मृत्यु का जोखिम अन्य तीन वर्गों की तुलना में 75 फीसदी कम था।
क्या होता है ओमेगा-3? शरीर के लिए कितना है जरुरी
ओमेगा 3 एक फैटी एसिड है। देखा जाए तो वास्तव में यह एक ऐसा पोषक तत्व है जो हमें कई तरह के फायदे पहुंचाता है और अनेक बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। यह मुख्यतः तीन प्रकार का होता है: पहला, एएलए (अल्फा-लिनोलेनिक एसिड), जोकि पौधों में पाया जाता है, जबकि डीएचए (डोकोसाहेक्सानोइक एसिड) और ईपीए (इकोसापैनटोइनिक एसिड) पशुओं से मिलता है। यह त्वचा से लेकर कैंसर और सांस सम्बन्धी रोगों से लड़ने में मददगार होता है।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस अब तक 22 लाख से भी ज्यादा लोगों की जान ले चुका है, जबकि 10 करोड़ से भी ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। भारत में भी यह वायरस 154,392 लोगों की जान ले चुका है। 2.6 करोड़ से ज्यादा मामले अभी भी सक्रिय हैं। इनमें से 0.4 फीसदी लोग गंभीर रूप से पीड़ित हैं जबकि 99.6 फीसदी में बहुत हलके लक्षण हैं।