स्वास्थ्य

अब कैंसर थेरेपी की मदद से टीबी से निपटना होगा आसान, वैज्ञानिकों ने खोजा तरीका

Dayanidhi

दुनिया भर में तपेदिक या टीबी एक संकट बना हुआ है और इसके कारण हर साल लाखों मौतें होती हैं। वर्तमान और नवीन जीवाणुरोधी दवाओं को शरीर में रोग वाली जगह पर पहुंचाने में कई तरह की समस्याएं सामने आती हैं जिसमें से एक फेफड़ों से संबंधित ग्रैनुलोमा है।

एक नए शोध में कहा गया है कि कैंसर हमें तपेदिक के बारे में किस तरह की जानकारी दे सकता है? यह एक ऐसा सवाल है जिसका पीछा शोधकर्ता लगातार कर रहें हैं।

एक बार जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली टीबी या तपेदिक से संक्रमित हो जाती है, तो यह फेफड़ों में संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया को रोकने के प्रयास में ग्रैनुलोमा या सफेद रक्त कोशिकाओं के समूह बनाती है। लेकिन अक्सर, ग्रेन्युलोमा फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं।

ग्रैनुलोमा और ट्यूमर के बीच समानता का विश्लेषण करने पर शोधकर्ताओं ने पाया कि दोनों संरचनात्मक और कार्यात्मक रूप से असामान्य हैं। 2015 में, शोधकर्ताओं ने ग्रैनुलोमा की वैस्कुलर या संवहनी संरचनाओं को देखा और दिखाया कि वे ट्यूमर रक्त वाहिकाओं की तरह ही क्षतिग्रस्त हैं, जो दोनों बीमारियों में दवा को पहुंचाने और उपचार की सफलता को रोक देता है।

अध्ययनकर्ता ने शोध में कहा, यह पहली बार था जब हमने निश्चित रूप से दिखाया कि इन दो बीमारियों के बीच पैथ-फिजियोलॉजिकल समानता थी जो विभिन्न कारणों और लक्षणों के साथ मौजूद हैं। कैंसर किसी संक्रामक बीमारी की तरह नहीं लगता है। फिर भी, यहां दो अलग-अलग बीमारियों में रक्त वाहिकाओं की शिथिलता की एक ही समस्या है।

अध्ययन में दवाओं के एक संयोजन की पहचान की है जो ग्रैनुलोमा के भीतर रक्त प्रवाह में सुधार कर सकता है, जिससे दवा वितरण में लाभ होगा। नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित अध्ययन तपेदिक से प्रभावित फेफड़ों के ऊतकों का अध्ययन करने और उपचार में सुधार करने के लिए दशकों के कैंसर अनुसंधान का लाभ उठाता है। 

अध्ययन में कहा गया कि ट्यूमर की तरह, ग्रैनुलोमा में कई रक्त वाहिकाएं संकुचित या सिकुड़ कर बंद हो जाती हैं, जैसे कि आपने अपने बगीचे के पानी के पाईप में कदम रख लिया हो। कैंसर में बढ़ते ट्यूमर द्रव्यमान और सहायक प्रोटीन के हिस्से के कारण होता है, जिसे मैट्रिक्स कहा जाता है। 

अध्ययन ने पुष्टि की कि ग्रैनुलोमा में एक समान घटना रही है, बहुत अधिक कोशिका द्रव्यमान और प्रोटीन का हिस्सा होता है। यह खराब काम रक्त वाहिकाओं के माध्यम से रक्त प्रवाह को लगभग असंभव बना देता है, जिससे तपेदिक रोग वाली जगह तक दवा पहुंचाने की क्षमता खत्म हो जाती है।

शोधकर्ताओं ने लोसार्टन का इस्तेमाल किया, जो उच्च रक्तचाप के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक सस्ती दवा है। हालांकि, इसका ग्रैनुलोमा के अंदर बनने वाले मैट्रिक्स की मात्रा को कम करने का फायदे के साथ दुष्प्रभाव भी है, इस प्रकार सिकुड़ी हुई रक्त वाहिकाओं को खोलना और रक्त प्रवाह को बहाल करना है।

इसके बाद शोधकर्ताओं ने लोसार्टन को बेवाकिज़ुमैब के साथ मिलाया, जो कैंसर रोगियों द्वारा खराब रक्त वाहिकाओं के अति-उत्पादन को रोकने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा है। इस दो-आयामी औषधीय दृष्टिकोण के साथ, शोधकर्ताओं की टीम ग्रैनुलोमा रक्त वाहिकाओं को कार्य करने और अधिक सामान्य रूप से व्यवहार करने में सक्षम थे।

जब शोधकर्ताओं ने मरीज को थेरेपी लोसार्टन और बेवाकिज़ुमैब को एंटीबायोटिक दवाएं दी, तो उन्होंने ग्रैनुलोमा के भीतर दवा वितरण और एंटीबायोटिक मिश्रण में सुधार दिखाया।

इसके अतिरिक्त, शोधकर्ताओं की टीम द्वारा उत्पादित जीनोम अनुक्रमण आंकड़ों का विश्लेषण किया और पाया कि एंटीबायोटिक दवाओं के बिना भी, ग्रैनुलोमा के भीतर तपेदिक बैक्टीरिया में कमी देखी गई।

शोध के मुताबिक, जब हमने केवल बीमार को थेरेपी दी, तो एंटीबायोटिक दवाओं को शामिल किए बिना भी उपचार का अच्छा फायदा मिल रहा था। वे थेरेपी बैक्टीरिया से लड़ने के लिए शरीर की जलन या सूजन प्रतिक्रिया को बढ़ावा दे रही थीं, जिसकी शोधकर्ताओं को उम्मीद नहीं थी।  

शोधकर्ता ने अध्ययन में कहा हमारे द्वारा चुनी गई होस्ट-निर्देशित थेरेपी का लाभ यह है कि ये एजेंट या समान वर्ग की समान दवाएं पहले से ही दुनिया भर की नियामक एजेंसियों द्वारा अपनाई जा सकती हैं और वे सस्ती भी हैं। शोध में शोधकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि हमारे प्रीक्लिनिकल परिणाम तपेदिक रोगियों को फायदा पहुंचाने के लिए परीक्षण शुरू करने में सबसे अच्छे होंगे।

अध्ययन में कहा गया कि यह एक दुर्लभ उपचार-प्रतिरोधी मस्तिष्क कैंसर को समझने पर केंद्रित है। 

शोध में शोधकर्ताओं का मानना है कि कभी-कभी असमान प्रतीत होने वाले संदर्भों के बीच संबंध बनाना आसान होता है। हम उन विवरणों को समझने के लिए अपने जीवन विज्ञान और ​​सहयोगियों पर निर्भर हैं, लेकिन इंजीनियर एक सरलीकृत प्रणाली की मदद से जटिल समस्याओं से निपटने में बहुत अच्छे हैं।