स्वास्थ्य

देश के 707 जिला अस्पतालों में से एक भी मानकों पर खरा नहीं उतरा

DTE Staff

सरकार के थिंक-टैंक नीति आयोग ने 30 सितंबर को देश के जिला अस्पतालों के प्रदर्शन के पहले अध्ययन की रिपोर्ट जारी की। "रिपोर्ट ऑन बेस्ट प्रैक्टिसिस इन द परफॉर्मेंस ऑफ डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल" के इस अध्ययन में देश के 707 जिला अस्पतालों को 10 प्रमुख मानकों पर परखा गया। यह अध्ययन 2017-18 के आंकड़ों पर आधारित है।

इस अध्ययन के लिए जिला अस्पतालों को तीन श्रेणियों में बांटा गया। छोटे अस्पताल (200 या इससे कम बेड वाले), मध्यम आकार के (201 से 300 बेड वाले) और बड़े अस्पताल (300 से ज्यादा बेड वाले)। इन कुल अस्पतालों में 62 फीसदी छोटे अस्पताल थे।

अध्ययन की प्रमुख बातें:

औसतन एक जिला अस्पताल में हर एक लाख आबादी पर 24 बेड हैं। अध्ययन के लिए तय किया गया कि एक अस्पताल में प्रति एक लाख आबादी पर 22 बेड होने चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, प्रति 1000 लोगों पर 5 बिस्तर होने चाहिए।

अध्ययन में सामने आया कि अस्पताल में बेड का सबसे ज्यादा औसत पुडुचेरी में है, जबकि बिहार में यह औसत सबसे कम है। यहां प्रति लाख आबादी पर सिर्फ 6 बेड हैं। 

कुल 707 जिला अस्पतालों में से सिर्फ 27 फीसदी में डॉक्टरों और बेड का अनुपात 29 पर 100 है। यानी इन अस्पतालों में हर 100 बेड पर 29 डॉक्टर उपलब्ध हैं। 

707 में से 88 अस्पतलों में जरूरत के हिसाब से नर्स उपलब्ध हैं। इंडियन पब्लिक हेल्थ सर्विस के मानकों के मुताबिक बेड कैटेगरी की बात करें तो 399 अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में पैरामेडिकल स्टाफ तैनात दिखा। ऐसे अस्पताल सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश में (14.8%), फिर दिल्ली में (12.5%) और इसे के बाद उत्तर प्रदेश (11.4%) में मिले।

देश के हर जिला अस्पताल में औसत 11 सपोर्ट सर्विस हैं, जबकि इनकी संख्या 14 होनी चाहिए। सिर्फ 89 अस्पताल सभी सपोर्ट सर्विस होने के मापदंड पर खरे उतरे। इन अस्पतालों में से सबसे ज्यादा तमिलनाडु में (20.2%), फिर राजस्थान (11.2%), उत्तर प्रदेश (10.1%), कर्नाटक (10.1%) और पश्चिम बंगाल (9%) में मिले।

21 अस्पतालों ने सभी डायग्नोस्टिक सर्विस उपलब्ध होने के मानदंड को पूरा किया। कर्नाटक के पास सबसे ज्यादा 28.6% ऐसे अस्पताल थे। इसके बाद तेलंगाना में 19%, आंध्र प्रदेश में 14% और गुजरात में 9.5% ऐसे अस्पताल मिले।

707 में से 182 अस्पतालों में 90 फीसदी से ज्यादा बेड भरे थे। 80 से 85 फीसदी तक बेड भरे होना आदर्श माना जाता है। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 14.8% अस्पतालों में 90 फीसदी या उससे अधिक बेड भरे थे। इसके बाद मध्य प्रदेश में 10.9%, महाराष्ट्र में 8.2%, पश्चिम बंगाल में 7.1% और आंध्र प्रदेश में 5.5% अस्पतालों में 90 फीसदी या उससे ज्यादा बेड भरे थे।

अध्ययन के मुताबिक औसतन एक जिला अस्पताल में एक डॉक्टर 27 मरीजों को देखता है।