स्वास्थ्य

नहीं मिली सरकारी मदद, कोरोना से उपजे आर्थिक संकट के सामने असहाय 270 करोड़ लोग

Lalit Maurya

दुनिया की एक तिहाई आबादी या 270 करोड़ लोग कोविड-19 महामारी से उपजे आर्थिक संकट से निपटने में असहाय हैं, क्योंकि इससे उबरने के लिए उनके पास कोई सरकारी सहायता नहीं है| यह जानकारी गैर लाभकारी संगठन ऑक्सफेम द्वारा हाल ही में जारी रिपोर्ट 'शेल्टर फ्रॉम द स्टॉर्म' में सामने आई है|

इस रिपोर्ट में भारत सहित 126 निम्न और मध्यम आय वाले देशों की सरकारी योजनाओं की समीक्षा की गई है| इन योजनाओं का लक्ष्य कोविड-19 महामारी के दौरान विकलांगों, बुजुर्गों, बेरोजगारों और बच्चों को महामारी के दौरान आर्थिक मदद देना था| पता चला है कि उनमें से कोई भी देश अपने सभी लोगों की मदद करने में सफल नहीं रहा था|

रिपोर्ट के अनुसार इस महामारी से होने वाले नुकसान से निपटने के लिए दुनिया ने इस वर्ष करीब 8,61,22,413 करोड़ रुपए (11,70,000 करोड़ डॉलर) का अतिरिक्त खर्च किया है| इनमें से करीब 83 फीसदी (7,21,36,722 करोड़ रुपए) 36 अमीर देशों ने खर्च किए हैं| जबकि इसके विपरीत केवल 0.4 फीसदी (3,09,157 करोड़ रुपए) गरीब देशों द्वारा खर्च किए गए हैं| जहां एक ओर अमीर देशों ने प्रति व्यक्ति 51,158 रुपए की दर से खर्च किया था, वहीं इसके विपरीत निम्न और माध्यम आय वाले देशों ने प्रति व्यक्ति केवल 294 से 2061 रुपए (4 से 28 डॉलर) के बीच खर्च किया था|

परेशानी के इस वक्त में विकसित देशों ने भी विकासशील देशों की कोई ख़ास मदद नहीं की थी| अमीर देशों ने सामाजिक सुरक्षा के नाम पर सिर्फ 42,693 करोड़ रुपए (580 करोड़ डॉलर) की मदद दी थी| यह राशि कोविड-19 से निपटने के लिए खर्च किए हर 100 डॉलर के पांच सेंट के बराबर हिस्से से भी कम है|

ऑक्सफैम की कार्यकारी निदेशक गैब्रिएला बुचर के अनुसार, "एक ओर जहां कोरोनोवायरस के डर ने सारी दुनिया को एकजुट कर दिया है, लेकिन जब बात उसका सामना करने की है तो हर कोई अपने बारे में सोच रहा है|" उनके अनुसार जहां 2020 में इस महामारी के चलते 100 करोड़ लोगों को सामाजिक सुरक्षा दी गई, वहीं इससे कहीं ज्यादा लोगों को पीछे छोड़ दिया, ऐसा नहीं होना चाहिए था। 

ऐसे में एक बात तो साफ है कि लोगों को सामाजिक सुरक्षा देने वाली योजनाओं की बहुत ज्यादा जरुरत है| इस महामारी के चलते करीब 50 करोड़ लोगों से उनका काम छिन चुका है| जिसमें पुरुषों के मुकाबले दो गुना महिलाएं हैं| गरीब देशों के श्रमिकों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है| दुनिया भर में लोग कर्ज में डूब चुके हैं, उन्हें अपनी जमीन जायदाद बेचनी पड़ी थी| यहां तक की कई परिवारों को अपना एक बार का खाना भी छोड़ना पड़ा था| परिवार के पास बच्चों को पढ़ाने के लिए पैसा नहीं है जिस वजह से उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ रहा है| दुनिया भर में गरीबी और भुखमरी पहले के मुकाबले और बढ़ गई है|

अब तक सामने आ चुके हैं कोरोना के 7.5 करोड़ मामले

कोविड -19 अब तक भारत सहित दुनिया के 218 देशों में फैल चुका है, अब तक इसके करीब 7.5 करोड़ मामले सामने आ चुके हैं| वहीं इसके चलते 16 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है| भारत में भी इस महामारी के 99,56,557 मामले सामने आ चुके हैं जब कि यह बीमारी 144,451 लोगों की जान ले चुकी है|

1 डॉलर = 73.61 रुपए