स्वास्थ्य

एनएफएचएस-5 : देश में बढ़ रहा है ऑपरेशन से बच्चों का जन्म

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 में मिजोरम और नगालैंड में मिला उलटा ट्रेंड

Taran Deol

देश में सिजेरियन (ऑपरेशन) के जरिए बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं की तादाद में वृद्धि देखी जा रही है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के पिछले पांच सालों के आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं। इसमें 4.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 में यह आंकड़ा 17.2 फीसदी था, जो अब बढ़कर 21.5 फीसदी हो गया है।

शहरी क्षेत्रों के निजी हेल्थ क्लीनिकों में 49.3 फीसदी बच्चे सिजेरियन के जरिए पैदा हो रहे हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के 46 फीसदी बच्चे ऐसे सेंटरों में जन्म लेते हैं। पिछले सर्वेक्षण में इन केंद्रों पर सिजेरियन डिलीवरी का आंकड़ा 40.9 फीसदी था, जो इस बार साढ़े छह फीसदी बढ़कर 47.4 फीसदी तक पहुंच गया हैं।

शहरों में स्थित सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में, सिजेरियन डिलीवरी का आंकड़ा 22.7 फीसदी और ग्रामीण सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में 11.9 फीसदी दर्ज किया गया। पिछली बार के सर्वेक्षण में कुल सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में यह आंकड़ा 11.9 फीसदी था, जो इस बार 14.3 फीसदी हो गया है, यानी इसमें 2.4 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई।

राज्यों के आंकड़ों पर गहराई से नजर डालने पर पता चलता है कि अधिकांश राज्यों में सिजेरियन डिलीवरी की संख्या बढ़ी है और ज्यादातर लोग अब इसके लिए सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों की बजाय निजी हेल्थ क्लीनिकों को पसंद कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ और असम जैसे राज्यों के आंकड़े इसी प्रवृत्ति को दर्शाते हैं।

आंध्र प्रदेश में पिछली बार के सर्वेक्षण में सिजेरियन डिलीवरी का आंकड़ा 40.1 फीसदी था, जो इस बार 42.4 फीसदी है। अरुणाचल प्रदेश में यह 8.9 फीसदी से बढ़कर 14.8 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 9.9 फीसदी से बढ़कर 15.2 फीसदी और असम में 13.4 फीसदी से बढ़कर 18.1 फीसदी हो गया है।

हालांकि कुछ राज्य ऐसे भी हैं, जिनमें अलग-अलग तरीकों से इस प्रवृत्ति में बदलाव देखने को मिल रहे हैं। उदाहरण के लिए गोवा में सिजेरियन से जन्म लेने वाले बच्चों की तादाद पिछली बार के 31.4 फीसदी से बढ़कर 39.5 फीसदी हो गई।

इस तरह इसमें 8.1 फीसदी का इजाफा हुआ, लेकिन यहां निजी हेल्थ क्लीनिकों में सिजेरियन डिलीवरी की तादाद में थोड़ी कमी दर्ज की गई। पिछली बार यह यहां 51.3 फीसदी थी, जो इस बार पचास फीसद रह गई।

दूसरी ओर सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में सिजेरियन डिलीवरी की तादाद पिछले सर्वेक्षण में 19.9 फीसदी थी, जो इस बार बढ़कर 31.5 फीसदी हो गई। इसी तरह त्रिपुरा में सिजेरियन डिलीवरी की तादाद 20.5 फीसदी से बढ़कर 25.1 फीसदी हो गई है।

यहां भी निजी क्लिनिकों में भी यह ऑपरेशन कराने वाली महिलाओं की तादाद में कमी देखी गई। पिछली बार निजी क्लिनिकों में 73.7 फीसदी सिजेरियन डिलीवरी दर्ज की गई थी, जो इस बार 69.3 फीसदी रही। सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में यहां पिछले सर्वेक्षण में 18.1 फीसदी सिजेरियन हुए थे जबकि इस बार यह आंकड़ा बढ़कर 22.7 फीसदी हो गया।

इसी दौरान केरल में सिजेरियन डिलीवरी का आंकड़ा 35.8 फीसदी से 38.9 फीसदी पहुंच गया। यहां निजी हेल्थ क्लिनिकों और सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों, दोनों जगहों पर सिजेरियन की तादाद बढ़ी लेकिन इनमें भी निजी क्लिनिकों के 1.3 फीसदी की तुलना में सरकारी केंद्रों में 5.8 फीसदी सिजेरियन डिलीवरी कराई गईं।  

पूरे देश के उलट नगालैंड और मिजोरम में इस प्रवृित्त से बिल्कुल अलग ट्रेंड देखने को मिला। यहां सिजेरियन डिलीवरी की तादाद घटी है। नगालैड में यह 5.8 फीसदी से घटकर 5.2 फीसदी जबकि मिजोरम में 12.7 फीसदी से घटकर 10.8 फीसदी दर्ज की गई।