शोधकर्ताओं ने प्रतिरोधी बैक्टीरिया से लड़ने के लिए नई एंटीबायोटिक दवाओं के उत्पादन के लिए एक नई विधि की पहचान की है। इसके माध्यम से एक एंटीबायोटिक बैक्टीरिया को निशाना बनाता है। जो बैक्टीरिया को अपने आपको हटा देगा। यह नया और प्रभावी तरीका एंटीबायोटिक के विकास में अहम भूमिका निभाएगा।
यह कारनामा फिलाडेल्फिया के चिल्ड्रन हॉस्पिटल (सीएचओपी) के शोधकर्ताओं ने किया है। अस्पताल के बाल चिकित्सा संक्रामक रोगों के विभाग के प्रमुख और शोधकर्ता ऑड्रे आर. ओडोम जॉन ने बताया कि हमने एक प्रकार का 'ट्रोजन हॉर्स' बनाया है जो एंटीबायोटिक दवाओं को सही ऊतकों तक पहुंचने में मदद करेगा। जब तक कि बैक्टीरिया स्वयं दवा को सक्रिय नहीं कर लेते, प्रभावी रूप से एंटीबायोटिक दवा को मुक्त कर देते हैं।
ट्रोजन हॉर्स - जिसका उपयोग किसी के वास्तविक उद्देश्य या इरादों को छिपाने, हटाने के लिए किया जाता है, यहां इसका उपयोग बैक्टीरिया को मानव शरीर के भीतर से हटाने के लिए किया गया है।
दुनिया भर में रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस) लोगों के स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि रोगाणुरोधी प्रतिरोधी संक्रमण से 2050 तक प्रति वर्ष 1 करोड़ मौतें हो सकती हैं। इससे वैज्ञानिकों को नए व रासायनिक रूप से अलग एंटीबायोटिक्स विकसित करने की आवश्यकता होगी, जो रोगाणुरोधी प्रतिरोध को दरकिनार कर सकता है। लेकिन ऐसा करने के अधिकांश प्रयास या तो पशुओं या मानव मॉडल में विफल रहे हैं या सही ऊतकों का पर्याप्त स्तर तक उपचार प्राप्त करने में असफल रहे हैं।
इस समस्या से निपटने के लिए शोधकर्ताओं ने एक नया दृष्टिकोण अपनाया, जो बैक्टीरिया के चयापचय से लाभ उठाने पर निर्भर करता है। यह ऐसी प्रक्रिया है, जो बैक्टीरिया के पनपने के लिए आवश्यक होती है। इन प्रक्रियाओं को रोकने वाली दवाएं बैक्टीरिया को खत्म कर सकती हैं, लेकिन रासायनिक समूह जो उन एंजाइमों को रोकते हैं, उनमें एक नकारात्मक चार्ज होता है, जो दवाओं को कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोकता है, जोकि एक चुनौती पैदा करता है।
उस चुनौती को दूर करने का एक तरीका यह है कि किसी अन्य रासायनिक समूह के साथ अचानक नकारात्मक चार्ज को रासायनिक रूप से ढाल दिया जाए। सही दवा के रूप में जानी जाने वाली यह रणनीति एक प्रकार से ढल जाती है और "ट्रोजन हॉर्स" जोकि नकारात्मक चार्ज को ढाल बनाती है। यह दवा को एक तरह से कोशिका में प्रवेश करने की अनुमति देती है और फिर मूल एंटीबायोटिक को लेने की अनुमति देने के लिए अवशोषण के दौरान हटा दी जाती है। हालांकि, सही दवा भी मेजबान एंजाइमों के लिए प्रतिरोधी होनी चाहिए, अन्यथा, सही दवा के ढलने से बहुत जल्दी हटा दी जाएगी और दवा कभी भी सही ऊतक तक नहीं पहुंच पाएगी।
शोधकर्ताओं ने जीवाणु एंजाइमों की तलाश की, जो विशिष्ट लक्ष्यों के साथ एक दूसरे पर प्रभाव डालते हैं और मेजबान एंजाइमों पर परस्पर प्रभाव नहीं डालते हैं। ऐसा करने से, वे दो एंजाइमों - ग्लोब और एफआरएमबी को चिह्नित करने में सफल हुए। जिनमें से प्रत्येक ने एक उप स्तर तक विशिष्टताएं हैं यानी, अत्यधिक विशिष्ट अणु जिनके परसपर प्रभाव पड़ेगा और महत्वपूर्ण बात यह है कि वे विशेषताएं मानव की तुलना में अलग एंजाइम हैं। इस प्रकार ये एंजाइम अत्यधिक दवा के प्रतिरोध को हटा सकते हैं तथा एंटीबायोटिक को सक्रिय कर सकते हैं।
निर्धारित ग्लोब और एफआरएमबी उपयुक्त जीवाणु एंजाइमों को निशाना बनाया गया था। शोधकर्ताओं ने ग्लोब और एफआरएमबी की त्रि-आयामी संरचनाओं की विशेषता बताई, जो उनकी सक्रिय जगहों की पुष्टि करती है और ग्लोब और एफआरएमबी के उत्पादों के चल रहे संरचना से निर्देशित डिजाइन को सफल बनाती है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि हमारा अनुमान है कि ये दृष्टिकोण नए एंटीमाइक्रोबियल्स के विकास का मार्गदर्शन करेंगे और लोगों पर होने वाले एंटीबायोटिक-प्रतिरोध पर लगाम लगाएगा। यह अध्ययन ईलाइफ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।