भारत में कुपोषण की जो स्थिति है वो किसी से छिपी नहीं है। यहां बहुतों को तो पेट भर खाना भी नहीं मिलता और जिनको मिल भी रहा है उनके भोजन में पोषण की भारी कमी है। इसका खामियाजा नन्हें बच्चों को उठाना पड़ रहा है।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नई रिपोर्ट ने भारत में पोषण की स्थिति को लेकर हैरान कर देने वाले आंकड़े जारी किए हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक देश में पांच वर्ष से कम उम्र के 31.7 फीसदी बच्चे स्टंटिंग का शिकार हैं। मतलब की यह बच्चे अपनी उम्र के लिहाज से ठिगने हैं। यह रिपोर्ट "लेवल्स एंड ट्रेंड इन चाइल्ड मालन्यूट्रिशन 2023" संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ), विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और वर्ल्ड बैंक द्वारा संयुक्त रूप से जारी की गई है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में व्याप्त स्टंटिंग के मामले में भारत की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। आंकड़ों के मुताबिक दुनिया का हर चौथा स्टंटिंग प्रभावित बच्चा भारत में है। यानी की दुनिया में भारत, पांच वर्ष से कम आयु के 24.6 फीसदी स्टंटिंग प्रभावित बच्चों का घर है।
हालांकि देखा जाए तो इस मामले में 2012 से 2022 के बीच स्थिति में सुधार जरूर आया है लेकिन वो इतना नहीं है कि हम 2030 तक सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल कर सकें। आंकड़ों के मुताबिक 2012 में जहां पांच वर्ष से कम आयु के देश के 41.6 फीसदी बच्चे स्टंटिंग का शिकार थे। अब यह आंकड़ा घटकर 31.7 फीसदी पर पहुंच गया है। यदि इन बच्चों की कुल संख्या देखें तो वो 3.61 करोड़ से ज्यादा है। देखा जाए तो भारत दुनिया के उन 28 देशों में शामिल हैं जहां बच्चों में स्टंटिंग की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है।
एक शोध के अनुसार ऊंचाई और कुपोषण के बीच गहरा नाता है। वहीं जब बात बच्चों की हो तो इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। गौरतलब है कि स्टंटिंग के शिकार बच्चों में उनकी कद-काठी अपनी उम्र के बच्चों से कम रह जाती है।
भारत के साथ कई अन्य देशों में खराब है स्थिति
इस मामले में भारत की तरह ही उसके दो पड़ोसी देशों पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भी स्थिति बेहद खराब है। पाकिस्तान में जहां 34 फीसदी बच्चे इससे ग्रस्त हैं वहीं अफगानिस्तान में यह आंकड़ा 33 फीसदी से ज्यादा है।
इसी तरह इंडोनेशिया और ज्यादातर अफ्रीकी देशों में भी इस मामले में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। वहीं वैश्विक स्तर पर देखें तो पांच वर्ष से कम आयु के करीब 22.3 फीसदी बच्चे आज अपनी उम्र के लिहाज से ठिगने हैं। मतलब की 2022 में दुनिया के पांच वर्ष से कम उम्र के करीब 14.8 करोड़ बच्चे अपनी उम्र के लिहाज से ठिगने थे। मतलब की 2022 में दुनिया के पांच वर्ष से कम उम्र के करीब 14.8 करोड़ बच्चे अपनी उम्र के लिहाज से ठिगने थे। वहीं दस साल पहले 2012 में यह आंकड़ा 20.42 करोड़ दर्ज किया गया था।
इस मामले में दक्षिण एशिया की स्थिति भी सबसे ज्यादा खराब है। आंकड़ों के मुताबिक 2022 में पांच वर्ष से कम आयु का स्टंटिंग का शिकार पांच में से दूसरा बच्चा दक्षिण एशिया का था। कुछ ऐसी ही स्थिति उप-सहारा अफ्रीका की भी है।
भारत में बच्चों की लम्बाई को लेकर ऐसे ही एक अध्ययन से पता चला है कि देश में किशोर बच्चों की लम्बाई कई देशों के अन्य बच्चों की तुलना में काफी कम है। इंपीरियल कॉलेज लंदन द्वारा की गई इस रिसर्च के मुताबिक भारतीय किशोर, नीदरलैंड के समान आयु वर्ग के बच्चों की तुलना में 15.2 सेमी ठिगने हैं।
इसी तरह यदि वेस्टिंग यानी ऊंचाई के लिहाज से वजन को देखें तो देश में भारत में पांच वर्ष या उससे कम आयु के 18.7 फीसदी बच्चों का वजन उनकी ऊंचाई के हिसाब से कम था। मतलब की 2020 में इस आयु वर्ग के देश के करीब 2.2 करोड़ बच्चे वेस्टिंग का शिकार थे।