स्वास्थ्य

संक्रमण के बाद बच्चों में सात महीनों तक बनी रहती है कोविड-19 के खिलाफ प्राकृतिक प्रतिरक्षा

Lalit Maurya

हाल ही में किए शोध से पता चला है कि एक बार कोविड-19 संक्रमण से उबरने के बाद बच्चों के शरीर में अगले सात महीनों तक नेचुरल इम्युनिटी यानी प्राकृतिक प्रतिरक्षा बरकरार रहती है। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के हेल्थ साइंस सेंटर के अनुसार 96 फीसदी बच्चों के शरीर में संक्रमण के बाद जो इम्युनिटी बनी थी, वो अगले सात महीनों तक रही थी। यह शोध जर्नल पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित हुआ है। 

अमेरिका के टेक्सास राज्य में किए गए इस शोध में 5 से 19 वर्ष की आयु के 218 बच्चों से जुड़े आंकड़ों की विस्तृत जांच की गई थी। इन आंकड़ों को टेक्सास केयर्स सर्वेक्षण द्वारा हासिल किया गया था जोकि अक्टूबर 2020 में शुरू हुआ था। इस सर्वेक्षण का लक्ष्य इस बात का आंकलन करना था कि समय के साथ टेक्सास में बच्चों और व्यस्क लोगो के शरीर में पैदा हुई एंटीबॉडी की क्या स्थिति थी।  

शोधकर्ताओं ने बच्चों में एंटीबॉडी की जांच के लिए रक्त के तीन अलग-अलग नमूने लिए थे। इसमें उन्होंने बच्चों में वैक्सीन लेने से पहले और डेल्टा एवं ओमिक्रोन से संक्रमण के दौरान नमूने एकत्र किए थे। उन्होंने इस अध्ययन को तीन अलग-अलग चरणों में पूरा किया था।

क्या कुछ निकलकर आया अध्ययन में सामने

इस बारे में शोध से जुड़ी प्रमुख शोधकर्ता सारा मसीहा ने जानकारी देते हुए बताया कि ये निष्कर्ष महत्वपूर्ण हैं क्योंकि हमने कोविड-19 से संक्रमित बच्चों के बारे में जो जानकारी एकत्र की है उसके अनुसार इस बात से कोई फर्क नहीं पता कि बच्चों में संक्रमण के लक्षण नजर आ रहे हैं या नहीं, या फिर जब वो संक्रमित थे तो संक्रमण कितना गंभीर था।

साथ ही बच्चों के लिंग, उनके वजन और मोटापे ने भी एंटीबॉडी पर कोई असर नहीं डाला था। वो सभी बच्चों में सामान रूप से पाई गई थी। जो निष्कर्ष सामने आए हैं उनके अनुसार संक्रमण के सात महीनों बाद तक भी 96 फीसदी बच्चों में एंटीबॉडी दर्ज की गई थी।

जबकि करीब 58 फीसदी बच्चों में उनकी तीसरी और अंतिम माप के बाद संक्रमण के कारण पैदा हुई प्राकृतिक इम्युनिटी नकारात्मक पाई गई थी। हालांकि शोधकर्ताओं ने निष्कर्षों में वैक्सीन के असर को शामिल नहीं किया है।  

सारा के अनुसार बच्चों पर वायरस के प्रभाव को समझने की दिशा में यह केवल एक कदम है। गौरतलब है कि अमेरिका में अब तक करीब 1.4 करोड़ बच्चों के संक्रमित होने की पुष्टि हो चुकी है। शोधकर्ताओं के मुताबिक वयस्कों पर किए गए अध्ययनों से पता चला है कि संक्रमण के कारण पैदा हुई इम्युनिटी और वैक्सीन से प्राप्त सुरक्षा, कोविड-19 के खिलाफ सबसे बेहतर सुरक्षा प्रदान करती है।

कुछ लोगों को गलतफहमी है कि यदि उनके बच्चों को एक बार संक्रमण हो गया है तो वो सुरक्षित हैं और उन्हें टीका लगवाने की जरुरत नहीं है, लेकिन ऐसा नहीं है। इस बात की पहले ही पुष्टि हो चुकी है कि संक्रमण से पैदा हुई इम्युनिटी और टीकों दोनों की मदद से इस संक्रमण से बचा जा सकता है।

सारा के अनुसार यह सही है कि कुछ मामलों में बच्चों में पैदा हुई प्राकृतिक एंटीबॉडी कम से कम छह महीनों तक रहती है, लेकिन  अभी भी इस बात की पूरी जानकारी नहीं मिल पाई है कि यह एंटीबॉडी किस सीमा तक सुरक्षा प्रदान करती है। ऐसे में जब हमारे पास टीकों के रूप में अतिरिक्त विकल्प मौजूद है तो हमें उसका लाभ उठाना चाहिए। इसलिए यदि आपके बच्चे वैक्सीन के पात्र हैं तो उनका जल्द से जल्द टीकाकरण करवाना चाहिए।