मिर्गी यानी एपिलेप्सी मस्तिष्क से जुड़ी एक आम लेकिन गंभीर समस्या है। अंतराष्ट्रीय जर्नल द लैंसेट पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक नए अध्ययन के मुताबिक दुनिया में 5.2 करोड़ लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं।
मिर्गी, दुनिया का चौथा सबसे आम तंत्रिका संबंधी विकार यानी न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जो आमतौर पर नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। इसकी वजह से मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं की गतिविधि असामान्य हो जाती है, जिसकी वजह से मरीज को बार-बार दौरे पड़ते है। इस अवस्था में मरीज का अपने शरीर पर नियंत्रण नहीं रहता।
ये दौरे अक्सर मामूली होते हैं, लेकिन कई बार गंभीर रूप भी ले सकते । हालांकि इस बीमारी को दवाइयों की मदद से काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक यह विकार किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है।
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज, इंजरीज एंड रिस्क फैक्टर्स स्टडी 2021 (जीबीडी) पर आधारित इस अध्ययन के मुताबिक 1990 से 2021 के बीच मिर्गी से पीड़ित लोगों की संख्या में 10.8 फीसदी की वृद्धि हुई है। शोधकर्ताओं के मुताबिक इसके पीछे की एक वजह मिर्गी के मामलों की बेहतर पहचान भी है।
बता दें कि पहले इस बीमारी का शिकार लोगों को भेदभाव का शिकार होना पड़ता था। यहां तक की अपना परिवार भी मरीजों से दूरी रखता था। हालांकि समय के साथ काफी हद तक लोगों की सोच में बदलाव आया है, जिसकी वजह से पहले से कहीं ज्यादा मामले प्रकाश में आ रहे हैं।
मिर्गी एक ऐसी स्थिति है, जिससे व्यक्ति को दौरे पड़ने के साथ-साथ बेहोशी आ सकती है। इस दौरान शरीर में अचानक झटके लग सकते हैं। साथ ही इसके लक्षणों में आंखों का घूमना, शरीर का अकड़ना, कुछ भी याद न रहना शामिल हैं। इस दौरान शरीर में सनसनी या झुनझुनी महसूस हो सकती है।
बता दें कि इस बीमारी का शिकार लोगों को भेदभाव का शिकार होना पड़ता था। यहां तक की अपना परिवार भी मरीजों से दूरी रखता था। हालांकि समय के साथ काफी हद तक लोगों की सोच में बदलाव आया है, जिसकी वजह से पहले से कहीं ज्यादा मामले प्रकाश में आ रहे हैं।
मिर्गी एक ऐसी स्थिति है, जिससे व्यक्ति को दौरे पड़ने के साथ-साथ बेहोशी आ सकती है। इस दौरान शरीर में अचानक झटके लग सकते हैं। साथ ही इसके लक्षणों में आंखों का घूमना, शरीर का अकड़ना, कुछ भी याद न रहना शामिल हैं। इस दौरान शरीर में सनसनी या झुनझुनी महसूस हो सकती है।
इसके बाद रोगी में तेज सिर दर्द, शरीर में दर्द की समस्या देखने को मिल सकती है। वहीं कभी कभार भ्रम की स्थिति भी पैदा हो सकती है, जो अगले कुछ घंटों तक जारी रह सकती है।
मिर्गी से होने वाली मौतों में आई है गिरावट
अध्ययन में यह भी सामने आया है कि पिछले तीन दशकों में (1990-2021) में मिर्गी से मरने वालों की संख्या में 14.5 फीसदी की गिरावट आई है। इसका श्रेय बेहतर उपचार और बीमारी की सही समय पर पहचान को दिया जा सकता है।
अध्ययन में इस बात को भी उजागर किया है कि यह बीमारी दुनिया में करीब-करीब हर उम्र के लोगों को प्रभावित कर रही है। मतलब की बच्चा हो या बुजुर्ग कोई भी इस बीमारी की चपेट में आ सकता है। अध्ययन में इस बात का भी खुलासा किया है कि यह बीमारी समय से पहले मृत्यु के जोखिम को तीन गुणा बढ़ा सकती है।
अध्ययन में देखा गया है कि दुनिया में कितने लोग मिर्गी से जूझ रहे हैं। इसमें अज्ञात या आनुवंशिक कारणों से होने वाली मिर्गी और मस्तिष्क की समस्याओं के कारण होने वाली मिर्गी शामिल थी।
अध्ययन में दुनिया भर में अज्ञात या आनुवंशिक कारणों से होने वाली मिर्गी के मामलों में बड़ा अंतर पाया गया। गौरतलब है कि 2021 में, कमजोर और मध्यम आय वाले देशों में अमीर देशों की तुलना में तीन से चार गुना अधिक मामले और मौतें हुई हैं। कमजोर देशों में जहां नए मामलों में 82.1 फीसदी की वृद्धि हुई। वहीं अमीर देशों की तुलना में मौतें 84.7 फीसदी अधिक थी।
अध्ययन में उन स्थानों की पहचान की गई है, जहां मिर्गी के मामले सबसे ज्यादा हैं। यह जानकारी वैज्ञानिकों और डॉक्टरों को मिर्गी के इलाज और रोकथाम के बेहतर तरीके खोजने में मददगार साबित हो सकती है। साथ ही अध्ययन और अधिक शोध की आवश्यकता पर जोर देता है ताकि यह समझा जा सके कि कुछ लोगों में मिर्गी होने की आशंका क्यों अधिक होती है।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) से जुड़े शोधकर्ताओं द्वारा किए एक अन्य अध्ययन में खुलासा किया है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम के पैटर्न में आता बदलाव और चरम मौसमी घटनाएं मानसिक बीमारियों से जूझ रहे लोगों के स्वास्थ्य पर कहीं गहरा असर डाल रही हैं।
बता दें कि न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, दुनिया भर में होने वाली मौतों की दूसरी सबसे बड़ी वजह है, जो हर साल करीब 90 लाख लोगों की जान ले रहे हैं।
इसकी गंभीरता को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 20 जुलाई 2023 को मिर्गी एवं अन्य तंत्रिका संबंधी विकारों के लिए एक नई वैश्विक कार्य योजना "इंटरसेक्टोरल ग्लोबल एक्शन प्लान ऑन एपिलेप्सी एंड अदर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स" जारी की थी। इस योजना का उद्देश्य सभी क्षेत्रों में प्रयासों का समन्वय करके मिर्गी और अन्य न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों की देखभाल और उपचार तक पहुंच में सुधार करना है।