स्वास्थ्य

कोरोना काल में भारी मानसिक दबाव में रहे 20 फीसदी से ज्यादा स्वास्थ्य कार्यकर्ता

दुनिया भर के 97,333 स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं पर किए इस शोध से पता चला है कि महामारी के समय हर 5 में से 1 कार्यकर्ता मानसिक अवसाद और चिंता से ग्रस्त था

Lalit Maurya

कोरोना महामारी से लड़ते वक्त दुनिया भर के 20 फीसदी से ज्यादा स्वास्थ्य कार्यकर्ता भारी मानसिक दबाव में थे। यह जानकारी एक अंतराष्ट्रीय अध्ययन में सामने आई है। स्वास्थ्य कार्यकर्ता हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण है यह बात हर किसी को पता है।

जिस बहादुरी के साथ उन्होंने इस महामारी के समय लोगों की मदद की है वो स्पष्ट करता है कि उन्हें कोरोना वारियर ऐसे ही नहीं कहा जाता। लेकिन कोरोना काल में यह स्वास्थ्य कार्यकर्ता कैसा महसूस करते थे, क्या वो किसी तरह के मानसिक दबाव में थे इसी पर हाल ही में लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने एक शोध किया है।

दुनिया भर के 97,333 स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं पर किए इस शोध से पता चला है कि महामारी के समय हर 5 में से 1 कार्यकर्ता मानसिक अवसाद और चिंता से ग्रस्त था। इसके बावजूद जिस तरह से वो अपने अदम्य साहस के बल पर इस विकट स्थिति में भी लोगों की सहायता कर रहे हैं, वो उन्हें समाज में अगली कतार में लाकर खड़ा कर देता है। यह शोध, 65 से ज्यादा अध्ययनों की समीक्षा पर आधारित है, जोकि जर्नल प्लोस वन में प्रकाशित हुआ है।

अवसाद से ग्रस्त थे 21.7 फीसदी स्वास्थ्य कर्मी

महामारी के दौरान जिस तरह से उनपर काम का दबाव था, सीमित मनोवैज्ञानिक समर्थन के बीच उनकी और उनके परिवार की सुरक्षा के लिए आशंका ने उनकी चुनौतियों को और बढ़ा दिया था। इसे समझने के लिए शोधकर्ताओं ने दिसंबर 2019 से अगस्त 2020 की अवधि में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के मानसिक दबाव की स्थिति का अध्ययन करने वाले करीब 65 शोधों का विश्लेषण किया है जो 21 अलग-अलग देशों में किए गए थे।

इस अध्ययन से पता चला है कि करीब 21.7 फीसदी स्वास्थ्य कर्मी अवसाद से ग्रस्त थे। 22.1 फीसदी चिंतित थे जबकि 21.5 फीसदी अन्य तरह के मानसिक तनाव (पीटीएसडी) से ग्रस्त थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि इस समय में विश्व की करीब 4.4 फीसदी अवसाद से ग्रस्त थी, जबकि 3.6 फीसदी अन्य तरह के मानसिक विकार जिनमें पीटीएसडी भी शामिल है, का सामना कर रहे थे। स्पष्ट है कि इस महामारी ने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के मानसिक स्वास्थ्य को काफी ज्यादा प्रभावित किया है।

ऐसे में जबकि महामारी का यह दौर अभी खत्म नहीं हुआ है, दुनिया भर में अभी भी 2.2 करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रस्त है। वहीं अब तक कुल 11.8 करोड़ मामले सामने आ चुके हैं जबकि 26 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यह जरुरी है कि स्वास्थ्य कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी पूरा ध्यान दिया जाए।