स्वास्थ्य

एमपॉक्स अपडेट: स्वीडन में मिल चुके हैं 260 संक्रमित, नीदरलैंड में भी 1260 पर पहुंचा आंकड़ा

वैश्विक स्तर पर एमपॉक्स से संक्रमितों का आंकड़ा बढ़कर 85,802 पर पहुंच गया है। वहीं 97 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है

Lalit Maurya

दुनियाभर के 110 देशों में मंकीपॉक्स संक्रमण के फैलने की पुष्टि हो चुकी है। गौरतलब है कि अब तक इसके 85 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने मंकीपॉक्स को एक नया नाम दिया गया है, डब्लूएचओ ने घोषणा की है कि भेदभाव और कलंक से निपटने में मदद करने के लिए इस बीमारी को अब "एमपॉक्स" के नाम से जाना जाएगा। जानकारी मिली है कि इस बीमारी के लिए अलग-अलग देशों में सम्बोधित करने के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा था। इसी वजह के चलते काफी समय से मंकीपॉक्स का नाम बदलने का आग्रह किया जा रहा था। इस बारे में डब्लूएचओ द्वारा जारी जानकारी के अनुसार अगले एक साल तक इन दोनों नामों का इस्तेमाल किया जाएगा, उसके बाद मंकीपॉक्स को हटा दिया जाएगा।  

मिस्र के स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश में एमपॉक्स के एक नए मामले की पुष्टि कर दी है। पता चला है कि मिस्र में एक 39 वर्षीय मरीज इस बीमारी से संक्रमित पाया गया है। वहीं कनाडा में भी अब तक 1,460 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारी जल्द ही एमपॉक्स के लिए घोषित आपातकालीन को खत्म कर सकते है, वो इसकी तैयारी कर रहे हैं। गौरतलब है कि अब तक अमेरिका में 30,182 संक्रमितों की पुष्टि हो चुकी है, जबकि यह बीमारी अब तक वहां 32 लोगों को लील चुकी है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की आपातकालीन समिति ने निर्धारित किया है कि मंकीपॉक्स अभी भी वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य आपातकाल है। ऐसे में इस बारे में जारी अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों को माना जाना चाहिए। कोविड-19 के बाद मंकीपॉक्स दुनिया भर में फैल चुका है। 

गौरतलब है कि वैश्विक स्तर पर इस बीमारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने इसे 24 जुलाई 2022 को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा यानी ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया था। 

वहीं हाल ही में दक्षिण कोरिया में मंकीपॉक्स का चौथा मामला सामने आया है। इस बारे में कोरिया रोग नियंत्रण और रोकथाम एजेंसी (केडीसीए) द्वारा साझा की जानकारी के अनुसार मरीज उस अस्पताल का एक चिकित्सा कर्मचारी है, जहां देश के तीसरे मंकीपॉक्स रोगी को परीक्षण के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 

चिली स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को मंकीपॉक्स से हुई पहली मौत की घोषणा की है। इस बुजुर्ग व्यक्ति को 29 सितंबर को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया था। दक्षिण कोरिया के स्वास्थ्य विभाग ने मंगलवार को तीसरे मामले की पुष्टि कर दी है। कोरिया डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन एजेंसी (केडीसीए) के अनुसार, 4 नवंबर को संयुक्त अरब अमीरात से लौटे मरीज में बुखार, ठंड लगना और मंकीपॉक्स से जुड़े अन्य लक्षणों के पाए जाने के बाद जांच की गई थी, जिसमें संक्रमण की पुष्टि हो गई है।  इस व्यक्ति को अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती किया गया है। 

वहीं श्रीलंका में मंकीपॉक्स का दूसरा मामला सामने आया है। गौरतलब है कि 1 नवंबर को दुबई, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से अपने देश लौटे एक अन्य 20 वर्षीय श्रीलंकाई में मंकीपॉक्स से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दी गई जानकारी में उत्साहजनक संकेत सामने आए हैं। जानकारी मिली है कि अमेरिका और यूरोप में मंकीपॉक्स की रफ्तार धीमी हो रही है, जोकि एक अच्छा संकेत है। वहीं यूके में स्वास्थ्य अधिकारियों ने जानकारी दी है कि वहां मंकीपॉक्स के एक नए स्ट्रेन की पहचान की गई है। इसी तरह डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में घूमने वाले एक खतरनाक वैरिएंट को लेकर भी वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है। 

हाल ही में दिल्ली में मंकीपॉक्स का एक नया मामला सामने आया था। जब नाइजीरियाई निवासी में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। इस मरीज को दिल्ली के लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल (एलएनजेपी) में भर्ती कराया गया है। इस तरह केरल और दिल्ली में मिलाकर अब तक देश में 22 संक्रमित सामने आ चुके हैं। चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने भी चीन में मंकीपॉक्स के पहले मामले की पुष्टि की है।

वहीं न्यूजीलैंड में मंकीपॉक्स के पहले सामुदायिक प्रसार की सूचना आई है। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार संक्रमण के दो नए मामले सामने आए हैं जोकि सामुदायिक प्रसार से जुड़े हैं। वहीं दूसरी तरफ अफ्रीकी देश मोजाम्बिक में भी एक वयस्क व्यक्ति के संक्रमित पाए जाने की जानकारी मिली है जोकि देश में मंकीपॉक्स का पहला मामला है। 

हांगकांग और मिस्र के बाद जॉर्डन में भी मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया है। गौरतलब है कि जॉर्डन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश में मंकीपॉक्स के पहले मामले की पुष्टि कर दी है। पता चला है कि संक्रमित जॉर्डन का निवासी है जो अभी हाल ही में कई यूरोपीय देशों की यात्रा करके लौटा है। मिस्र के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को अपने एक बयान में कहा है कि मिस्र में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया है। मंत्रालय के मुताबिक 42 वर्षीय व्यक्ति यूरोप से लौटा है। वहीं हाल ही में दिल्ली में भी मंकीपॉक्स का छठा मामला सामने आया है जब एक अफ्रीकी महिला के संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। गौरतलब है कि इस 22 वर्षीय महिला को 31 अगस्त 2022 को दिल्ली के लोक नायक अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

यह बीमारी अमेरिका में बड़ी तेजी से पैर पसार रही है जहां अब तक इसकी वजह से 30,182 लोग संक्रमित हो चुके हैं। अमेरिका ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। वहीं टेक्सास में मंकीपॉक्स की वजह से एक की मौत की पुष्टि हुई है। इतना ही नहीं जानकारी मिली है कि अमेरिका में बच्चे भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा साझा जानकारी से पता चला है की हाल ही में 30 बच्चों में मंकीपॉक्स का संक्रमण देखा गया है। 

इंडोनेशिया में भी मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया है। देश के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा साझा की जानकारी से पता चला है कि इंडोनेशिया में एक 27 वर्षीय व्यक्ति में संक्रमण की पुष्टि हुई है जो विदेश यात्रा से लौटा था। वहीं क्यूबा ने भी मंकीपॉक्स के पहले मामले की पुष्टि कर दी है। इस बारे में देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी है कि इस सप्ताह इटली से आए एक पर्यटक में संक्रमण का पता लगा है। यह भी जानकारी मिली है कि यह यात्री कैरेबियन सहित पश्चिम के देशों की यात्रा करके लौटा है। इसकी हालत गंभीर बताई जा रही है। वहीं इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च एवं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (आईसीएमआर-एनआइवी) के शोधकर्ताओं ने जानकारी दी है कि भारत में सामने आए पहले दो मामलों में रोगी मंकीपाक्स वायरस स्ट्रेन ए.2 से संक्रमित थे।

यह यात्री यूएई से भारत लौटे थे। आईसीएमआर-एनआईवी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर प्रज्ञा यादव के नेतृत्व में किए गए शोध के अनुसार, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से लौटे दो रोगियों के जीनोम सीक्वेंसिंग से पता चला है कि वो मंकीपॉक्स वायरस स्ट्रेन ए.2 से संक्रमित थे, जोकि यूरोप में फैले संक्रमण से अलग है। गौरतलब है कि यूरोप के बड़े हिस्से में पाया जाने वाला स्ट्रेन बी.1 है। हालांकि, शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि ए.2 स्ट्रेन कितना खतरनाक है।

ऐसा लगता है कि क्या कोरोना के बाद मंकीपॉक्स एक नई आफत बनकर सामने आया है। भले ही भारत में संक्रमण की दर उतनी नहीं है लेकिन धीरे-धीरे इसके नए मामले सामने आ रहे हैं। वहीं इस बीच केरल में इसकी वजह से एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने इसकी पुष्टि करते हुए जानकारी दी है कि 22 वर्षीय यह युवक संयुक्त अरब अमीरात से लौटा था। 30 जुलाई को इस मरने वाले व्यक्ति के नमूने एनआईवी भेजे गए थे, जिसमें मंकीपॉक्स होने की पुष्टि हो गई थी। देश में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को मंकीपॉक्स बीमारी को फैलने से रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

पहले अफ्रीका और उसके बाद स्पेन, ब्राजील में मंकीपॉक्स से हुई मौतों के बाद भारत में भी मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीज की मौत हो गई है। गौरतलब है कि यह व्यक्ति 21 जुलाई को  संयुक्त अरब अमीरात से लौटा था जहां वो इस संक्रमण के लिए की गई जांच में पॉजिटिव पाया गया था। इसका केरल के ही एक प्राइवेट अस्पताल में थकान और दिमागी बुखार का इलाज चल रहा था। वहीं देश की राजधानी दिल्ली में भी सोमवार को मंकीपाक्स के एक और नए मामले की पुष्टि हुई है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक दिल्ली में 35 साल के एक नाइजीरियाई व्यक्ति में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। 

सरकार ने  भी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बचाव के लिए जरुरी उपाय तेज कर दिए हैं। वैश्विक स्तर पर बढ़ते मामलों की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली, बेंगलुरु और तमिलनाडु ने हवाई अड्डों पर निगरानी बढ़ा दी है।

गौरतलब है कि भारत में मंकीपॉक्स का पहला मामला 12 जुलाई, 2022 को सामने आया था। जब संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से केरल लौटे एक शख्स में इसके संक्रमण का पता चला था। इस बारे में केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने जानकारी दी थी कि उस मरीज को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी प्रोटोकॉल के तहत अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

इसके बाद केरल में इस बीमारी के दो और मामले सामने आए थे। वहीं 24 जुलाई 2022 को दिल्ली में इसका पहला मामला सामने आया था, जब अधिकारियों ने इसकी पुष्टि कर दी थी। पश्चिमी दिल्ली के एक 31 वर्षीय व्यक्ति में इस बीमारी के लक्षण सामने आए थे। यह व्यक्ति कुछ दिन पहले ही हिमाचल प्रदेश से आया था।

दुनिया भर में 85 हजार मामलों की हो चुकी है पुष्टि

गौरतलब है कि वैश्विक स्तर पर इस बीमारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने इसे 24 जुलाई 2022 को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा यानी ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया था। यह बीमारी भारत सहित दुनिया के करीब 110 देशों में फैल चुकी है। सारी दुनिया में अब तक इसके 85 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। वहीं इसकी वजह से अब तक 97 लोगों की मृत्यु की पुष्टि हो चुकी है।

अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) द्वारा जारी आंकड़ों को देखें तो अब तक 85,802 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 84,470 मामले उन देशों में सामने आए हैं जहां पहले कभी यह बीमारी नहीं पाई गई थी। जिनमें से अमेरिका में 30,182, ब्राजील में 10,758, स्पेन में 7,533, फ्रांस में 4,128, कोलम्बिया में 4,074, यूके में 3,735, जर्मनी में 3,692, मेक्सिको में 3,828 और पेरू में 3,737 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। वहीं भारत में भी अब तक 22 मामले सामने आए हैं।

क्या है मंकीपॉक्स और कितनी घातक है यह बीमारी

मंकीपॉक्स नामक इस बीमारी के फैलने की वजह मंकीपॉक्स वायरस है, जो पॉक्सविरिडे परिवार के ऑर्थोपॉक्स वायरस जीनस का एक सदस्य है। यह वायरस पहली बार 1958 में रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। हालांकि इसके संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था।

देखा जाए तो मंकीपॉक्स, वायरस के जरिए फैलने वाली एक दुर्लभ बीमारी है, जो मुख्य रूप से उष्णकटिबन्धीय वर्षा क्षेत्रों में ज्यादा फैलती है। इसमें अफ्रीका के केन्द्रीय और पश्चिमी इलाके शामिल हैं। हालांकि हाल ही में इसका संक्रमण भारत, अमेरिका यूरोप सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में भी देखा गया है। मंकीपॉक्स के बढ़ते प्रकोप से विशेषज्ञ चिंता में हैं। माना जा रहा है कि पिछले 50 वर्षों में मंकीपॉक्स का यह सबसे बड़ा प्रकोप है।

इसके बीमारी के बारे में डब्ल्यूएचओ का कहना है कि मंकीपॉक्स जोकि एक जूनोटिक बीमारी है इसके लक्षण आमतौर पर 2 से 4 सप्ताह तक रहते हैं उसके बाद यह खुद ब खुद ठीक होते जाते हैं। हालांकि कुछ मामलों में इसका संक्रमण जानलेवा भी हो सकता है, लेकिन यदि हाल के दिनों में इसकी मृत्यु दर के अनुपात को देखें तो वो करीब 3 से 6 फीसदी के बीच है।

क्या हैं इसके लक्षण

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा साझा जानकारी के अनुसार इससे संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार के साथ-साथ त्वचा पर चकत्ते पड़ने लगते हैं जो चेहरे से शुरू होकर हाथ, पैर, हथेलियों और तलवों तक हो सकते हैं।

साथ ही इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति में मांसपेशियों में दर्द, थकावट, सिरदर्द, गले में खराश और खांसी जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं। वहीं कुछ लोगों में आंख में दर्द या धुंधलापन, सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द जैसी दिक़्क़तें भी हो सकती हैं।

सही जानकारी ही है सबसे बेहतर बचाव

यदि इसके उपचार की बात करें तो चेचक के उपचार के लिए विकसित टीकों ने मंकीपॉक्स के खिलाफ भी सुरक्षा प्रदान की है। विशेषज्ञों की राय में चेचक का टीका मंकीपॉक्स को रोकने में 85 फीसदी तक कारगर साबित हुआ है। कई देशों ने नए टीके भी विकसित किए हैं, जिनमें से एक को इसकी रोकथाम के लिए अनुमोदित किया गया है।

हालांकि यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस के अनुसार इससे बचाव का सबसे कारगर उपाय सूचना है। उनका कहना है कि मंकीपॉक्स से संक्रमित लोगों के पास इसके बारे में जितनी ज्यादा जानकारी होगी, वो अपने आप की हिफाजत करने में उतना ज्यादा सक्षम होंगें।

टेड्रोस के अनुसार भले ही इस बीमारी को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा घोषित किया जा चुका है, लेकिन सही रणनीतियों की मदद से इसके प्रसार को रोका जा सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा है कि इस समय हमारे पास जो सुविधाएं मौजूद हैं, उनकी मदद से हम संक्रमण को रोक सकते हैं और इसपर नियंत्रण पा सकते हैं।