कोरोना वायरस के बाद एक और वायरस जिसने आज दुनिया भर को अपनी चपेट में ले लिया है वो अमेरिका सहित पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या बन चुका है। उसके बारे में हाल ही में मिसौरी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा की गई रिसर्च से पता चला है कि म्युटेशन के कारण मंकीपॉक्स नामक यह वायरस कहीं ज्यादा स्मार्ट होता जा रहा है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक म्युटेशन के चलते यह वायरस शरीर के इम्यून सिस्टम के साथ-साथ दवाओं से भी बचने के काबिल बन रहा है। ऐसे में इसके बढ़ते खतरे से इंकार नहीं किया जा सकता। इस बारे में किया गया विस्तृत अध्ययन जर्नल ऑफ ऑटोइम्यूनिटी में प्रकाशित हुआ है।
इस रिसर्च में मंकीपॉक्स वायरस में एक विशेष तरह के म्युटेशन का पता चला है, जिसकी मदद से यह वायरस तेजी से लगातार फैल सकता है। इस बारे में मिसौरी विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ वेटरनरी मेडिसिन में प्रोफेसर और इस शोध से जुड़े शोधकर्ता कमलेंद्र सिंह और उनकी सहयोगियों ने कई दशकों से फैले इस वायरस के 200 से अधिक उपभेदों के डीएनए सीक्वेंसों का विश्लेषण किया है।
इसमें 1965 में इसकी शुरआत के बाद से 2022 में फैले मंकीपॉक्स वायरस के स्ट्रेन शामिल हैं। इस विश्लेषण में मंकीपॉक्स के सब वेरिएंटस की जांच करते समय पांच विशिष्ट प्रोटीनों की जांच की गई है जिनमें डीएनए पोलीमरेज, डीएनए हेलिसेज, ब्रिजिंग प्रोटीन ए22आर, डीएनए ग्लाइकोसिलेज और जी9आर शामिल थे।
इस बारे में अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता श्रीकेश सचदेव ने जानकारी दी है कि इसके सामयिक विश्लेषण से पता चला है कि समय के साथ यह वायरस कैसे विकसित हुआ है। इसके बारे में एक महत्वपूर्ण जानकारी यह सामने आई है कि यह वायरस अब विशेष रूप से दवाओं या एंटीबॉडी से बचने के लिए म्युटेशन को जमा कर रहा है।
उनके अनुसार इस तरह यह वायरस कहीं ज्यादा स्मार्ट बन रहा है। इन बदलावों की मदद से यह हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ-साथ दवाओं और एंटीबॉडी से बचने के भी काबिल बन चुका है। इतना ही नहीं बदलाओं की मदद से इसके प्रसार का दायरा भी बढ़ रहा है।
कैसे समय के साथ विकसित हो रहा है यह वायरस
अब बड़ा सवाल यह उठता है कि कैसे समय के साथ यह वायरस विकसित हो रहा है। इस बारे में प्रोफेसर सिंह का कहना है कि एक परिकल्पना यह है कि जब एचआईवी और हरपीज जैसी बीमारियों का दवा की मदद से इलाज किया जाता है तो रोगी बिना जाने ही मंकीपॉक्स से संक्रमित हो गए होंगें। इस तरह यह वायरस इन दवाओं से बचने के लिए म्युटेट और स्मार्ट बनता गया।
वहीं इस बारे में एक और परिकल्पना यह है कि मंकीपॉक्स वायरस हमारे शरीर में मौजूद प्रोटीन को हाईजैक कर सकता है और उसका उपयोग यह अधिक संक्रामक और विकसित होने के लिए कर सकता है।"
गौरतलब है कि वैश्विक स्तर पर इस बीमारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने इसे 24 जुलाई 2022 को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा यानी ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया था।
इस वायरस की गंभीरता आप इसी से लगा सकते हैं कि यह अब तक भारत, अमेरिका सहित 110 देशों में फैल चुका है, जबकि अब तक 78,599 लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं, जबकि 44 लोगों को यह बीमारी अब तक लील चुकी है। इस बारे में जारी नवीनतम आंकड़ों से पता चला है कि पिछले 24 घंटों में इसके 220 नए मरीज सामने आए हैं जो स्पष्ट तौर पर दर्शाता है की धीमे-धीमे ही सही यह बीमारी पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले रही है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस अध्ययन के जो नतीजे सामने आए हैं उनकी मदद से इसकी मौजूदा दवाओं को संशोधित करने के साथ ऐसी नई दवाओं को विकसित करने में मदद मिल सकती है, जो इस वायरस में आते बदलावों का सामना कर सकती हैं। इस तरह इस बीमारी के लक्षणों को कम करने के साथ-साथ वायरस के प्रसार को रोका जा सकता है।
इस वायरस के बारे में ताजा जानकारी आप डाउन टू अर्थ के मंकीपॉक्स ट्रैकर से प्राप्त कर सकते हैं।