स्वास्थ्य

मुंह के कैंसर सहित कई बीमारियों का तेजी से लगेगा पता, भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाए किफायती उपकरण

Dayanidhi

भारत के वैज्ञानिक प्रोफेसर सुमन चक्रवर्ती ने स्वास्थ्य से संबंधित कई तकनीकों का आविष्कार किया है। स्वास्थ्य संबंधी ये तकनीकें सामुदायिक स्वास्थ्य से जुड़े कर्मियों को दूरस्थ इलाकों में रहने वाली जनसंख्या के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के निराकरण में मदद कर रही हैं। उनकी यह पहल हाल की महामारी के दौरान शुरू हुई। 

तेज और सटीक आरटी–पीसीआर परीक्षण

संक्रामक रोग का पता लगाने के लिए एक न्यूक्लिक-एसिड आधारित जांच परीक्षण या रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट को कोविरैप कहा जाता है। यह संक्रामक रोगों के परीक्षण के लिए गहन आरटी – पीसीआर का विकल्प है। इस तकनीक को कई संगठनों द्वारा अपनाया गया है। बिना हार्डवेयर बदले विशिष्ट परीक्षण प्रोटोकॉल के अनुसार इस उपकरण को अनुकूलित और प्री-प्रोग्रामिंग करके किसी भी संक्रामक रोग का पता लगाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

ग्लूकोज, हीमोग्लोबिन, क्रिएटिनिन और लिपिड प्रोफाइल की जांच सेकंडों में 

कागज की पट्टी या पेपर स्ट्रिप पर उंगली में सुई चुभाकर निकाले गए रक्त के द्वारा जांच के लिए किफायती और तेज जांच करने वाला उपकरण को रैपिड एक्सट्रीम पॉइंट-ऑफ-केयर डिवाइस कहा जाता है। यह एक स्मार्ट फोन आधारित ऐप के माध्यम से मात्रात्मक रूप से प्लाज्मा ग्लूकोज, हीमोग्लोबिन, क्रिएटिनिन और लिपिड प्रोफाइल को सुई से पेपर-स्ट्रिप पर एकत्रित उंगली से निकाले गए रक्त से माप सकता है।

यह प्रक्रिया ठीक वैसी ही है जैसे एक क्रेडिट कार्ड रीडर काम करता है। पेपर स्ट्रिप परीक्षण के परिणाम प्राप्त करने के लिए हाथ से पकड़े जाने वाले डिवाइस के साथ संपर्क करती है। इसका उपयोग जमीनी स्तर पर कई गैर-संचारी रोगों की एक साथ जांच के लिए किया जा सकता है।

मुंह के कैंसर की शुरुआती जांच

चक्रवर्ती की टीम के द्वारा थर्मल इमेजिंग और विश्लेषण से ऊतक की रक्त प्रवाह दर में मापे गए परिवर्तनों के आधार पर मुंह के कैंसर की शुरुआती जांच के लिए एक कम लागत वाली छोटी हाथ से पकड़े जा सकने वाला उपकरण विकसित किया है। इसके लिए किसी चिकित्सकीय अवसंरचना या क्लिनिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत नहीं होती है।

इस छोटे उपकरण का उपयोग शुरुआती खतरों के मूल्यांकन और मुंह के कैंसर के चरणों के वर्गीकरण के लिए किया जा सकता है और इस पद्धति को कैंसर के अन्य रूपों तक बढ़ाया जा सकता है। इस उपकरण ने पहले चरण के चिकित्सकीय परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लिए हैं। उन्होंने एक हाथ से चलने वाली स्पिनिंग डिस्क भी विकसित की है जो शारीरिक द्रव की केवल एक बूंद से शरीर के कई द्रव-आधारित जांच मानकों ​​​​का  परीक्षण करने में सक्षम है। इस प्लेटफॉर्म का उपयोग करके पूर्ण रक्त गणना (सीबीसी) को मापने की तकनीक को डिजाइन और मान्य किया गया था।

परीक्षण के परिणामों को पढ़ने के लिए एक वैद्युत रासायनिक (इलेक्ट्रोकेमिकल ) सेंसर को जोड़ा गया है। इसे जांच परीक्षण के लिए प्रयोगशाला सेंट्रीफ्यूज के विकल्प के रूप में डिजाइन किया गया है।

एंटीबायोटिक प्रतिरोध का पता लगा सकता है यह उपकरण

टीम ने एंटीबायोटिक प्रतिरोध के मूल्यांकन के लिए एक मुड़ा हुआ पेपर-किट विकसित किया है। यह किट उस पर चिह्नित परीक्षण-स्थलों पर केवल रंग परिवर्तन को ही ट्रैक करके किसी भी दवा के लिए बैक्टीरिया की संवेदनशीलता का आकलन करने में सहायता करती है।

इस तरह, तीन से चार घंटे के भीतर, उस बैक्टीरिया को मारने के लिए विशिष्ट दवाओं की प्रभाव के लिए उनके उपयोग की ऐसी सिफारिश की जा सकती है जिससे सही समय पर जांच के ​​निर्णय लेने से जीवन को बचाया जा सकता है।

शरीर में खून की कमी या एनीमिया का परीक्षण

उन्होंने एक अभिकर्मक-मुक्त (रीएजेंट- फ्री) खून की कमी या एनीमिया का पता लगाने वाली तकनीक विकसित की है, जो नम कागज की पट्टी पर फैलते समय खून का अनोखा पैटर्न बनाता है। इस पैटर्न में लाल रक्त कोशिका सामग्री के चित्रण इस तरह से होते हैं कि उन्हें खून की कमी वाले और सामान्य रोगियों के लिए वर्गीकृत किया जा सकता है।

निर्देश के अनुसार बनाए गए इमेज-एनालिटिक्स ऐप के माध्यम से विश्लेषण किए जाने पर इसे अलग-अलग समझा जा सकता है। यह तत्काल ब्लड ट्रांसफ्यूजन या अन्य जीवन रक्षक उपायों की आवश्यकता के खतरों वाले रोगियों का  जल्दी से पता लगा सकता है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत संस्थान विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड – एसईआरबी) से जे. सी. बोस राष्ट्रीय अध्येता  प्रोफेसर चक्रवर्ती के साथ-साथ उनकी टीम ने बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाओं को रोगी, 'रिमोट' डॉक्टर और आविष्कार की गई किफायती जांच तकनीकों के लिए एक इंटरफेस के रूप में काम करने के लिए प्रशिक्षित किया।

यह सभी इस प्रक्रिया में स्थायी आजीविका के सृजन को सक्षम करती हैं। इसके अलावा, सबसे तकनीकी रूप से उन्नत लेकिन सरल चिकित्सा उत्पादों के निर्माण में भाग लेने की दिशा में सूक्ष्म-लघु और मध्यम उद्यमों के सशक्तिकरण ने कठिन परिस्थितियों में रोजगार सृजन का एक नया प्रतिमान खोल दिया है।