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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव: लाडली बहना ने सौंपी सत्ता की चाबी?

माना जा रहा है कि चुनावी वर्ष में महिला मतदाताओं को दी गई आर्थिक मदद ने मध्य प्रदेश में बीजेपी की जीत में निर्णायक भूमिका निभाई

Bhagirath

मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने घोषणापत्र को मतदान से महज छह दिन पहले 11 नवंबर को जारी किया लेकिन मतदान से आठ महीने पहले उसने एक ऐसी घोषणा की थी जिसने विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत में निर्णायक भूमिका निभाई। अपने जन्मदिन के दो दिन बाद 7 मार्च को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना के अंतर्गत महिलाओं को हर महीने 1,000 रुपए देने की घोषणा की, जिसे बाद में बढ़ाकर 1,250 रुपए कर दिया गया।

चुनावी साल में 23 से 60 साल तक की महिला मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए शुरू की गई ही इस योजना पर बेहद तेजी से काम हुआ। घोषणा के केवल तीन महीने बाद प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के जरिए प्रदेश की करीब सवा करोड़ महिलाओं के खातों में पैसे पहुंचने लगे। मध्य प्रदेश में मतदान से महज 10 दिन पहले भी महिलाओं के खातों में 1,250 रुपए आए थे।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी इस योजना का प्रचार बेहद आक्रामकता के साथ किया और प्रदेश भर में जगह-जगह इसके बैनर होर्डिंग लगवा दिए। अपनी चुनावी रैलियों और अपने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर उन्होंने इस योजना का बार-बार जिक्र किया। मुख्यमंत्री महिलाओं को यह भरोसा दिलाने में भी कामयाब रहे कि इस योजना की राशि धीरे-धीरे बढ़ाकर 3,000 रुपए कर दी जाएगी।

बीजेपी के लिए यह योजना रामबाण साबित हुई और उसने सभी मुद्दे गौण कर दिए। मध्य प्रदेश में छतरपुर जिले के बीजेपी किसान मोर्चा के मंडल मोहन रजक ने डाउन टू अर्थ को बताया कि बीजेपी की जीत में सबसे बड़ी भूमिका महिलाओं की ही रही। लाडली बहना योजना को एडवांस में शुरू करने से बीजेपी को बहुत ज्यादा फायदा मिला।

उन्होंने बताया कि बीजेपी के वोट प्रतिशत में बढ़त महिलाओं के कारण मिली है। महिलाओं को केंद्र में रखकर घोषित की गई लाडली लक्ष्मी योजना व स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को आंगनवाड़ी की दर्ज पर वेतन देने की घोषणा ने भी महिलाओं को बीजेपी के पक्ष में मतदान करने को प्रेरित किया।

मोहन रजक के अनुसार, लाडली बहना योजना के कारण कांग्रेस का परंपरागत महिला वोट भी बीजेपी के पक्ष में गया। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में पति के मना करने के बावजूद महिलाओं ने बीजेपी को वोट दिया। मोहन पूरे राज्य में बीजेपी के जीत में लाडली बहना को सबसे बड़ा श्रेय देते हैं। साथ ही उज्ज्वला योजना के तहत महिलाओं को 500 रुपए में गैस सिलिंडर देने की घोषणा को भी महत्वपूर्ण मानते हैं।

असोसिएशन फॉर डिमोक्रेटिव रिफॉर्म (एडीआर) की मध्य प्रदेश कॉर्डिनेटर रौली शिवहरे नि:संकोच मानती हैं कि मुख्यमंत्री की लाडली बहना योजना ने ही बीजेपी की जीत की पटकथा लिखी। वह साफ मानती है कि कांग्रेस के बेहद सक्रिय उम्मीदवार भी लाडली बहना योजना की वजह से हार गए। उन्होंने डाउन टू अर्थ को बताया कि कांग्रेस के वोट बैंक पर इस योजना ने भयानक सेंधमारी की।

बीजेपी मतदाताओं को यह समझाने में कामयाब रही कि अगर कांग्रेस सत्ता में आएगी तो योजना बंद कर देगी। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश के चुनावों में बेरोजगारी, महंगाई और यहां तक कि धर्म जैसे मुद्दों की राजनीति भी नहीं चली। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों दोनों जगह लाडली बहना योजना ने गहरा असर डाला।

कांग्रेस ने भी अपने घोषणापत्र में महिलाओं को हर महीने 1500 रुपए देने का वादा किया था, लेकिन मतदाताओं ने उस पर भरोसा नहीं किया। लाडली बहना योजना की छह किस्तें ले चुकीं महिला मतदाताओं ने शिवराज सिंह पर ही भरोसा जताया।

रौली के अनुसार, बीजेपी ने बेहद कारगर तरीके से बड़ी संख्या में युवाओं को सीएम इंटर्न बनाया जिन्होंने घर-घर जाकर बीजेपी की योजनाओं खासकर लाडली बहना योजना का प्रचार किया। वह बताती हैं कि इस चुनाव में लोगों ने चेहरा देखकर मतदान नहीं किया, केवल कमल का फूल उनके दिमाग में था। मोहन रजक भी मानते हैं कि हमारा चेहरा व्यक्ति नहीं बल्कि कमल का फूल था।

मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इस साल महिलाओं की हिस्सेदारी 78.2 प्रतिशत रही जो पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले 2.2 प्रतिशत अधिक है। बीजेपी को मौजूदा चुनाव में 48.6 प्रतिशत (करीब 2 करोड़ 9 लाख) वोट (3 नवंबर को साढ़े सात बजे तक चुनाव आयोग के मुताबिक) मिले हैं। इनमें उन सवा करोड़ महिलाओं की हिस्सेदारी सबसे अधिक है जिन्हें लाडली बहना का फायदा मिला है।