स्वास्थ्य

आत्महत्या को कम कर सकता है पानी में मौजूद लिथियम : शोध

शोध के अनुसार पानी में स्वाभाविक रूप से मौजूद लिथियम आत्महत्या की दर को कम करने में मददगार होता है

Lalit Maurya

हाल ही में किए एक नए शोध के अनुसार पानी में स्वाभाविक रूप से मौजूद लिथियम आत्महत्या की दर को कम करने में मददगार होता है। यह हैरतअंगेज जानकारी किंग्स कॉलेज लंदन और ब्राइटन एवं ससेक्स मेडिकल स्कूल (बीएसएमएस) द्वारा किए नए शोध में सामने आई है। यह शोध द ब्रिटिश जर्नल ऑफ साइकाइट्री में प्रकाशित हुआ है। वैश्विक रूप से किए गए इस अध्ययन के अनुसार जिन स्थानों के पानी में लिथियम की ज्यादा मात्रा मौजूद थी, वहां आत्महत्या की दर में कमी देखी गई है।

गौरतलब है कि अवसाद और मानसिक स्वास्थ्य आत्महत्या से सीधे तौर पर जुड़े होते हैं। यदि वैश्विक आंकड़ों पर गौर करें तो हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार हर साल दुनियाभर में आत्महत्या के करीब 8 लाख से ज्यादा मामले सामने आते हैं। इनमें से करीब 79 फीसदी मामले निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होते हैं। गौरतलब है कि 15 से 24 वर्ष की आयु के व्यक्तियों में आत्महत्या, मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। भारत में एनआरसीबी के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 2018 में 1,34,516 लोगों ने आत्महत्या कर ली थी। 

इस शोध के प्रमुख लेखक और बीएसएमएस में महामारी और सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अंजुम मेमन के अनुसार, “यह जानकारी महत्वपूर्ण है कि पानी में मौजूद लिथियम की उच्च मात्रा आत्महत्या के मामलों में कमी ला सकती है। इसकी मदद से समाज में बड़े पैमाने पर मानसिक विकारों को दूर किया जा सकता है और स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सकता है।“ कोविड-19 महामारी के समय में जब लोगों के रोजगार छिन गए हैं और जो परिस्थितियां बनी हुई हैं उनके कारण लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ना स्वाभाविक है। इससे बचने के लिए उन सभी उपायों को करना जरूरी है जिससे अवसाद के मामलों को कम किया जा सके और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सके।

हिंसक और आक्रामक व्यवहार को भी संतुलित करने में होता है मददगार

लिथियम को 'मैजिक आयन' के रूप में भी जाना जाता है। इसे व्यापक और प्रभावी रूप से अवसाद और उन्मत्ता की दवा के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। यह चित्त को स्थिर करता है। जिन लोगों के मन में आत्महत्या का खयाल आता है, यह उसके जोखिम को कम करता है। इसके साथ ही यह आक्रामक प्रवृति को संतुलित कर सकता है। इस वजह से यह आवेग, आक्रामकता, हिंसक आपराधिक व्यवहार और मादक पदार्थों के सेवन को कम करने में मददगार हो सकता है। हाल ही के शोधों से पता चला है कि यह अल्जाइमर, पागलपन और मनोविकार के उपचार में भी सहायक होता है।

लिथियम, एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला तत्व है जो सब्जियों, अनाजों, मसालों और पीने के पानी में जगह के स्थान पर अलग-अलग मात्रा में पाया जाता है। यह लगभग सभी चट्टानों में मौजूद रहता है जहां से यह मिट्टी, जमीन और पानी में पहुंच जाता है। सदियों से इसे अपने स्वास्थ्य के लिए लाभदायक और बीमारियों को ठीक करने वाले गुणों के कारण जाना जाता है। उदाहरण के लिए लीथिया स्प्रिंग्स, जो अमेरिकी मूल का एक प्राचीन और पवित्र पानी का सोता है। यह सोता अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है। इसकी मुख्य वजह इसमें प्राकृतिक रूप से उच्च मात्रा में पाया जाने वाला लिथियम है।

यह शोध ऑस्ट्रिया, ग्रीस, इटली, लिथुआनिया, यूके, जापान और यूएसए में किए गए अनेकों शोधों की समीक्षा और मेटाएनालिसिस पर आधारित है। इनमें दुनियाभर के करीब 1,288 क्षेत्रों के पानी में मौजूद लिथियम के स्तर और आत्महत्या की दर के बीच संबंध स्थापित किया गया है।