स्वास्थ्य

डायबिटीज के उपचार में अहम भूमिका निभा सकता है कोम्बुचा, मगर कोम्बुचा है क्या? यहां जानें

परीक्षण के दौरान, कोम्बुचा ने चार सप्ताह के बाद औसत फास्टिंग या बिना भोजन रक्त शर्करा के स्तर को 164 से 116 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर तक कम कर दिया

Dayanidhi

बैक्टीरियल या खमीर का सेवन काफी बुरा हो सकता है, लेकिन एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि कोम्बुचा में मौजूद बैक्टीरियल या यीस्ट ग्लब्स, टाइप-टू मधुमेह वाले लोगों के खून में शर्करा के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है।

फ्रंटियर्स इन न्यूट्रिशन नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में मधुमेह के प्रबंधन के लिए भोजन संबंधी समाधान का पता लगाया गया है। अध्ययन के नैदानिक ​​परीक्षण की अगुवाई जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय, नेब्रास्का-लिंकन विश्वविद्यालय और मेडस्टार हेल्थ के शोधकर्ताओं ने की है।

अध्ययन में प्रतिभागियों को दो महीने की अवधि से पहले चार सप्ताह तक बिना किसी आहार प्रतिबंध के कोम्बुचा या प्लेसबो के सेवन करने के लिए कहा गया, जिसके बाद उनके पेय पदार्थों को एक और महीने के लिए बदल दिया गया।

अध्ययनकर्ता के मुताबिक, कोम्बुचा के कुछ प्रयोगशाला और चूहा गिलहरी आदि कतरने वाले जीवों पर किए गए अध्ययनों के अच्छे परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने बताया कि, बिना मधुमेह वाले लोगों में एक छोटे से अध्ययन से पता चला है कि कोम्बुचा ने खून में शर्करा को कम किया है। लेकिन हमारी जानकारी के अनुसार यह मधुमेह वाले लोगों में कोम्बुचा के प्रभावों की जांच करने वाला पहला नैदानिक ​​परीक्षण है।

परीक्षण के दौरान, कोम्बुचा ने चार सप्ताह के बाद औसत फास्टिंग या बिना भोजन रक्त शर्करा के स्तर को 164 से 116 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर तक कम कर दिया, जबकि प्लेसीबो के साथ चार सप्ताह के बाद का अंतर सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण नहीं था।

कोम्बुचा क्या है?

लगभग 200 ईसा पूर्व चीन में उत्पन्न होने वाला कोम्बुचा एक फर्मेन्टड पेय है, जिसका उपयोग चाय की तरह किया जाता है। इसने 1990 के दशक में अमेरिका में लोकप्रियता हासिल की। इसके स्वास्थ्य को होने वाले फायदे जैसे कि प्रतिरक्षा और ऊर्जा का बढ़ना और कम आलस और सूजन, जो कि वास्तविक सबूतों के बावजूद, पूरी तरह से प्रमाणित नहीं हैं। यह चाय के साथ बनाया गया एक मीठा और खट्टा पेय है। कोम्बुचा में मूल सामग्री खमीर, चीनी और काली चाय हैं।

मिश्रण को एक सप्ताह या उससे अधिक के लिए अलग रख दिया जाता है। उस दौरान, पेय में बैक्टीरिया और एसिड बनते हैं, साथ ही थोड़ी मात्रा में अल्कोहल भी बनता है।

इस प्रक्रिया को फर्मन्टैशन या खमीर के रूप में जाना जाता है और यह उसी के समान है कि कैसे गोभी को सॉकरौट या किमची के रूप में संरक्षित किया जाता है या कैसे दूध को दही में बदल दिया जाता है।

ये बैक्टीरिया और एसिड तरल के ऊपर एक फिल्म बनाते हैं जिसे स्कॉबी या बैक्टीरिया और यीस्ट की सहजीवी कॉलोनी कहा जाता है। कोम्बुचा को अधिक फर्मेन्ट करने के लिए स्कॉबी का उपयोग कर सकते हैं।

कोम्बुचा बैक्टीरिया में लैक्टिक-एसिड बैक्टीरिया शामिल होता है, जो प्रोबायोटिक के रूप में काम कर सकता है। इसमें विटामिन बी की भी स्वस्थ खुराक होती है।

शोध ने आरएनए जीन अनुक्रमण के माध्यम से कोम्बुचा में समान उपायों में लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया, एसिटिक एसिड बैक्टीरिया और खमीर के एक रूप "डेकेरा" की अधिकता की भी पहचान की।

अध्ययनकर्ता ने बताया कि, हम शुरूआती साक्ष्यों को उजागर करने में सक्षम थे कि एक सामान्य पेय मधुमेह पर प्रभाव डाल सकता है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि, इस परीक्षण के निष्कर्ष खून में शर्करा के स्तर को कम करने में कोम्बुचा की प्रभावशीलता का अधिक निश्चित उत्तर देने के लिए एक बड़ा परीक्षण किया जा सकता है और इस प्रकार टाइप- टू मधुमेह को रोका जा सकता है या इलाज में मदद मिल सकती है।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद-भारत मधुमेह के अनुसार, भारत में 10.1 करोड़ से अधिक लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। जबकि 2019 में यह आंकड़ा सात करोड़ था। जबकि कम से कम 13.6 करोड़ लोगों, जो कि जनसंख्या का 15.3 प्रतिशत हिस्सा है, इनको प्रीडायबिटीज है और 31.5 करोड़ से अधिक लोगों को उच्च रक्तचाप है।