कोरोनावायरस (कोविड-19) जमीन, धातु, प्लास्टिक की सतहों पर और हवा में कई घंटों तक जीवित रहता है। यह नया अध्ययन न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है।
वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि वायरस एरोसोल में तीन घंटे तक, तांबे पर चार घंटे तक, कार्डबोर्ड (लकड़ी के गत्ते) पर 24 घंटे तक और प्लास्टिक और स्टेनलेस स्टील पर दो से तीन दिन तक जीवित रह सकता है। उल्लेखनीय है कि एरोसोल हवा या किसी अन्य गैस में ठोस कण या तरल बूंदे हैं, एरोसोल प्राकृतिक या मानवजनित हो सकता है।
सह-अध्ययनकर्ता जेम्स लॉयड-स्मिथ और पारिस्थितिकी और विकासवादी जीवविज्ञान के यूसीएलए प्रोफेसर ने कहा कि यह वायरस संपर्क में आने से काफी संक्रामक हो जाता है। यदि आप उन वस्तुओं को छू रहे हैं, जिन्हें किसी संक्रमित व्यक्ति ने हाल ही में छुआ है, तो आपको भी संक्रमण हो सकता है और आपके माध्यम से कोरोनावायरस दूसरों में फैल सकता है, इसलिए हाथ धोना जरुरी है।
अध्ययनकर्ता यूसीएलए, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के राष्ट्रीय एलर्जी और संक्रामक रोग, रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र, और प्रिंसटन विश्वविद्यालय से हैं।
फरवरी में, लॉयड-स्मिथ और उनके सहयोगियों ने पत्रिका ई-लाइफ में बताया कि कोविड-19 के लिए यात्रियों की स्क्रीनिंग बहुत असरदार नहीं है। वायरस से संक्रमित लोग - जिन्हें आधिकारिक तौर पर सार्स-सीओवी-2 नाम दिया गया है, वे लक्षणों के प्रकट होने से पहले वायरस को फैला सकते हैं। लॉयड-स्मिथ ने कहा कि वायरस के जीव विज्ञान और महामारी विज्ञान के द्वारा संक्रमण के अपने शुरुआती चरणों में पता लगाना बहुत मुश्किल बना दिया है क्योंकि अधिकांश मामलों में पांच दिनों तक या सम्पर्क में आने के बाद लंबे समय तक इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते है।
लॉयड-स्मिथ ने कहा कई लोगों में अभी तक लक्षण विकसित नहीं हुए हैं, फ्लू महामारी के डेटा के विश्लेषण के आधार पर कहा जा सकता है कि बहुत से लोगों को पता ही नहीं चलता है कि उन्हें करोना है।