स्वास्थ्य

बुजुर्गों की आंखों की रोशनी छीन रहा है जंक फूड

Lalit Maurya

जंक फ़ूड, रेड मीट और अधिक वसायुक्त भोजन बुजुर्गों की रौशनी छीन रहा है। ब्रिटिश जर्नल ऑफ ओप्थोमोलॉजी के दिसंबर अंक में छपे एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है। अमेरिकियों पर किये इस अध्ययन के अनुसार जिन लोगों ने अपने आहार में पश्चिमी भोजन अधिक लिया था, उनकी आंखों में आने वाले विकार की सम्भावना सामान्य से तीन गुना अधिक पायी गयी थी । वैज्ञानिकों ने इसका प्रमुख  कारण उनकी आंखों में विकसित होने वाला मैक्यूलर डिजनरेशन नामक विकार को बताया है। इस विकार को ऐज रिलेटेड मैक्यूलर डिजनरेशन भी कहा जाता है। यह रेटिना के खराब होने के कारण होता है जोकि देखने की क्षमता को गंभीर रूप से बाधित कर सकता है। मैक्यूलर डिजनरेशन का कोई इलाज नहीं है, लेकिन विटामिन, लेजर थेरेपी, दवाओं और आंखों के उपचार से इसे कम किया जा सकता है। 

क्या कहता है यह अध्ययन

इस अध्ययन की प्रमुख लेखक और यूनिवर्सिटी ऑफ बफैलो के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में एसोसिएट प्रोफेसर एमी मिलन ने बताया कि "आप जो खाते हैं वह आपकी आंखों के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह तय करता है कि आपकी वृद्धावस्था में आपकी आंखों की रौशनी कैसी होगी।" उनके अनुसार हालांकि लोग जानते हैं कि भोजन हमारी शारीरिक बनावट और हृदय के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है पर सबको यह नहीं पता कि यह हमारी दृष्टि पर भी असर डालता है। उम्र से संबंधित मैक्यूलर डिजनरेशन (एएमडी) तब होता है जब आंख का एक हिस्सा जिसे मैक्युला कहा जाता है, क्षतिग्रस्त हो जाता है। कभी-कभी ऐसा होता है जब मैक्युला में ड्रूसन का जमाव अधिक हो जाता है। ड्रूसन, रेटिना के नीचे जमा होने वाला पीले रंग के लिपिड होता है, जोकि वसायुक्त प्रोटीन से बना होता है। या फिर यह तब होता है जब आंखों में नई वाहिकाओं का निर्माण और उनसे रक्त का रिसाव होता है, जिससे मैक्युला पर असर पड़ता है। मैक्यूलर डिजनरेशन के लिए जेनेटिक्स और धूम्रपान भी प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं। इस अध्ययन में अमेरिका के लगभग 1,300 लोग शामिल हुए थे। जिनमें से अधिकांश में मैकुलर डिजनरेशन विकार नहीं था। अध्ययन की 18 वर्ष की अवधि के दौरान सभी प्रतिभागियों ने दो बार अपने आहार के बारे में सर्वेक्षण पूरा किया था। जबकि शोधकर्ताओं ने आहार की गुणवत्ता को मापने के लिए खाद्य पदार्थों को 29 श्रेणियों में बांटा था । उन्होंने पाया कि जो लोग पश्चिमी आहार अधिक मात्रा में खाते हैं, उनमें लेट-स्टेज एएमडी विकसित होने की अधिक संभावना थी। जिसके पीछे उच्च जोखिम वाले खाद्य पदार्थों का बड़ा हाथ है:

  • लाल और प्रसंस्कृत मांस
  • वसा, जैसे कि मार्जरीन और बटर 
  • उच्च वसा वाले डेयरी प्रोडक्ट 
  • तले हुए खाद्य पदार्थ

स्वस्थ आंखों के लिए जरुरी है वसा युक्त भोजन और जंक फ़ूड से दूरी

न्यूयॉर्क शहर के माउंट सिनाई में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ अवनीश देवभक्त जोकि इस अध्ययन में शामिल नहीं थे, ने बताया कि यह अध्ययन स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि अधिक वसायुक्त भोजन, प्रसंस्कृत मीट और परिष्कृत अनाज मैक्यूलर डिजनरेशन की सम्भावना को अधिक बढ़ा देता है, जोकि आंखों के लिए बड़ा खतरा है। उनका मानना है कि तले हुए वसा युक्त भोजन और जंक फ़ूड के स्थान पर स्वस्थ आहार जैसे सब्जियां (विशेष रूप से हरा पत्तेदार साग), फल और वसायुक्त मछली आंखों के लिए अच्छी हैं क्योंकि इनमें ल्यूटिन और ज़ेक्सैंथिन जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं। डॉ देवभक्त का मानना है कि "हालांकि एक रात में अपने खाने की आदत में बदलाव लाना मुश्किल है। यह लगभग निश्चित रूप से एक दशक लंबी प्रक्रिया है, इसलिए धीरे-धीरे अपने आहार में स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से लाभदायक भोजन को सम्मिलित करें। अपने भोजन में जितना हो सके अधिक मात्रा में हरी पत्तेदार सब्जियों के साथ-साथ मछली की खपत को भी बढ़ाएं। साथ ही धूम्रपान करना छोड़ दें। जिससे आपकी आँखें बुढ़ापे में भी स्वस्थ रह सकें। 

सीएसई का नया अध्ययन भी करता है स्वस्थ भोजन की वकालत

भारत में भी सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के ताजा अध्ययन में खुलासा हुआ है कि जंक फूड और पैकेटबंद भोजन खाकर हम जाने-अनजाने खुद को बीमारियों के भंवरजाल में धकेल रहे हैं। अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि जंक फूड में नमक, वसा, ट्रांस फैट की अत्यधिक मात्रा है जो मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय की बीमारियों को बढ़ा रहा है।