साइकिल की मदद से अपनी मंजिल की ओर जाती भारतीय किसान दंपत्ति; फोटो: आईस्टॉक 
स्वास्थ्य

क्या भारतीय पति-पत्नी के बीच उच्च रक्तचाप का है कोई संबंध, वैज्ञानिकों ने जोड़ीं कड़ियां

रिसर्च से पता चला है कि भारतीय दंपत्ति में जहां पत्नियां उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं, उनके पतियों में इसके होने की आशंका 32 फीसदी अधिक देखी गई, इसी तरह जिनके पति उच्च रक्तचाप से पीड़ित पाए गए, उन महिलाओं के उच्च रक्तचाप का शिकार होने की आशंका 37 फीसदी अधिक रही

Lalit Maurya

क्या आप जानते हैं कि पति-पत्नी में उच्च रक्तचाप की कड़ियां एक दूसरे से जुड़ी हो सकती हैं। इसको लेकर भारत में किए एक नए अध्ययन से पता चला है कि जिन पुरुषों की पत्नियां उच्च रक्तचाप यानी हाइपरटेंशन से पीड़ित हैं, उनमें स्वयं उच्च रक्तचाप होने की आशंका 32 फीसदी अधिक होती है।

इसी तरह जिन महिलाओं के पति उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं, उन महिलाओं में उच्च रक्तचाप होने की यह आशंका 37 फीसदी अधिक होती है। यह स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि विवाह के बाद साझा जीवनशैली भारतीय दंपत्ति में पति-पत्नी दोनों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। यह जानकारी एमोरी यूनिवर्सिटी, अटलांटा और जॉर्ज इंस्टीट्यूट, दिल्ली के शोधकर्ताओं द्वारा भारतीय जोड़ों पर किए अध्ययन में सामने आई है। इसके नतीजे अंतराष्ट्रीय जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुए हैं।

अध्ययन राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के आंकड़ों पर आधारित है। इसमें शोधकर्ताओं ने जांच की है कि क्या पति-पत्नी दोनों में उच्च रक्तचाप का होना आम बात है। । साथ ही उन्होंने इन आंकड़ों का उपयोग यह समझने के लिए किया है कि क्या एक व्यक्ति में उच्च रक्तचाप की जांच से उसके जीवनसाथी में भी इसकी पहचान करने में मदद मिल सकती है।

इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 136,432 विवाहित जोड़ों के स्वास्थ्य से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया है, यह सभी वयस्क थे। क्या वो लोग उच्च रक्तचाप से पीड़ित थे, इसकी जांच के लिए शोधकर्ताओं ने एक सर्वेक्षण की मदद ली है, जिसमें उनसे पूछा गया कि क्या वो लोग उच्च रक्तचाप से पीड़ित रहे हैं। साथ ही शोधकर्ताओं ने उन अन्य व्यक्तिगत और घरेलू कारकों पर भी विचार किया है, जो उच्च रक्तचाप को प्रभावित कर सकते हैं।

इन आंकड़ों की मदद से शोधकर्ता इस बात का आंकलन कर सकते थे कि क्या पति या पत्नी में से एक को उच्च रक्तचाप होने से दूसरे में भी इसके होने की आशंका अधिक होती है। रिसर्च के मुताबिक यह उनकी साझा सामाजिक-जनसांख्यिकीय पृष्ठभूमि और पर्यावरणीय कारकों से परे है।

इस अध्ययन में 50,023 विवाहित जोड़ों ने जो आंकड़े साझा किए हैं उनसे पता चला है कि पति आयु में औसतन पत्नियों से बड़े थे, जहां पुरुषों की औसत आयु 38.8 वर्ष थी वहीं महिलाओं की उम्र 33.9 दर्ज की गई। इसी तरह पत्नियों की तुलना में पति ज्यादा शिक्षित थे। जहां पतियों ने औसतन 7.9 वर्षों तक स्कूली शिक्षा ग्रहण की थी वहीं महिलाओं में यह आंकड़ा 6.7 वर्ष दर्ज किया गया।

इसी तरह जहां 52 फीसदी पति तम्बाकू का सेवन करते थे, जबकि औसतन 29 फीसदी शराब पीते थे। वहीं पत्नियों के मामले में यह आंकड़ा बेहद कम रहा, जहां पांच फीसदी महिलाओं ने तम्बाकू पीने, जबकि एक फीसदी ने शराब पीने की पुष्टि की। वजन के मामले में भी पुरुष महिलाओं से आगे रहे। जहां 24 फीसदी पतियों का वजन अधिक था, वहीं पत्नियों में यह आंकड़ा 21 फीसदी रहा।

हालांकि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में मोटापे की समस्या कहीं ज्यादा रही। उदाहरण के लिए जहां सात फीसदी पत्नियां मोटापे से ग्रस्त थी, वहीं पतियों के मामले में यह आंकड़ा पांच फीसदी दर्ज किया गया।

रिसर्च में जो उच्च रक्तचाप के आंकड़े सामने आए हैं उनसे पता चला है कि भारत में जहां औसतन 29.1 फीसदी पति उच्च रक्तचाप से पीड़ित थे। वहीं महिलाओं में यह आंकड़ा 20.6 फीसदी दर्ज किया गया। इसी तरह करीब 8.4 फीसदी विवाहित जोड़ों में पति-पत्नी दोनों उच्च रक्तचाप का शिकार थे। वहीं युवा और ऐसे जोड़ों में जो आर्थिक रूप से कमजोर थे उनमें पति-पत्नी दोनों में उच्च रक्तचाप होने की आशंका अधिक थी।

आयु, शिक्षा-स्तर, शहरीकरण, आर्थिक स्थिति, और सामाजिक कारकों के आधार पर बनाए समूहों में यह देखा गया कि जब पति या पत्नी में से एक उच्च रक्तचाप से पीड़ित था तो दूसरे में इसके होने की आशंका अधिक थी। इसी तरह अध्ययन में यह भी सामने आया है कि 40 से कम उम्र की महिलाओं में जिनके पति उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं उनमें भी इसके होने की कहीं अधिक आशंक थी। उनमें यह खतरा 55 फीसदी अधिक दर्ज किया गया।

भारतीयों को घुन की तरह खा रहे हैं खराब खानपान और जीवनशैली

देखा जाए तो भारत में जिस तरह खानपान की गुणवत्ता में गिरावट आ रही है और जीवनशैली बदल रही है, उसके चलते स्वास्थ्य से जुड़ी अनगिनत समस्याएं पैदा हो रही हैं, ऊपर से बढ़ता तनाव, यह सभी मिलकर भारतीयों को अंदर ही अंदर घुन की तरह खाए जा रहे हैं। इन्हीं स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन।

उच्च रक्तचाप एक ऐसा पुराना मर्ज है, जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है। दबाव में इस वृद्धि के कारण, धमनियों में रक्त के प्रवाह को बनाए रखने के लिये दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है। इसकी वजह से दिल का दौरा पड़ने या उसके विफल होने की आशंका बढ़ जाती है। इतना ही नहीं यह क्रोनिक किडनी डिजीज के साथ-साथ जीवन प्रत्याशा में गिरावट से भी जुड़ा है।

गौरतलब है कि हाल ही में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा किए एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि देश में करीब 34 फीसदी लोग प्री-हाइपरटेंशन का शिकार हैं। वहीं यदि देश में जिलों के आधार पर देखें तो यह आंकड़ा 15.6 फीसदी से 63.4 फीसदी के बीच दर्ज किया गया है।

आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश के भोपाल में प्री-हाइपरटेंशन की दर सबसे कम 15.6 फीसदी दर्ज की गई। वहीं जम्मू-कश्मीर के राजौरी में यह 63.4 फीसदी रही। इसी तरह अनंतनाग में भी सर्वे किए गए 55.8 फीसदी लोग इसका शिकार थे।

वहीं यदि ब्लड प्रेशर से जुड़े आंकड़ों को देखें तो देश में 15.9 फीसदी आबादी का रक्तचाप बढ़ा पाया गया, जो जिलों के आधार पर 4.1 फीसदी से 51.8 फीसदी तक दर्ज किया गया। इस अध्ययन के मुताबिक लक्षद्वीप में 12.1 फीसदी आबादी उच्च रक्तचाप का शिकार थी। वहीं केरल में यह आंकड़ा 15.5 फीसदी, जबकि तमिलनाडु में 17.9 फीसदी रिकॉर्ड किया गया। इसी तरह हिमाचल प्रदेश 16.7 फीसदी, चंडीगढ़ 19.4 फीसदी, और दिल्ली 18.6 लोग उच्च रक्तचाप का शिकार पाई गई।

देखा जाए तो आईसीएमआर द्वारा किए इस अध्ययन के नतीजे काफी हद तक 2019 से 21 के लिए किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस -5) से मेल खाते हैं। इस सर्वेक्षण के मुताबिक देश में 15 वर्ष या उससे अधिक आयु की 21 फीसदी महिला और 24 फीसदी पुरुष उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं। वहीं 39 फीसदी महिलाएं और 49 फीसदी पुरुष प्री-हाइपरटेंशन का शिकार हैं।

इस नए अध्ययन के जो नतीजे सामने आए हैं वो स्पष्ट तौर पर दर्शाते हैं कि कैसे विवाह के बाद साझा जीवनशैली भारतीय दंपत्ति में पति-पत्नी दोनों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। ऐसे में शोधकर्ताओं का सुझाव है कि परिवारों पर ध्यान केंद्रित करने से भारत में उच्च रक्तचाप की जांच, निदान और उपचार में सुधार हो सकता है।

इनकी मदद से ऐसे कई मामलों को खोजने और उनका इलाज करने में भी मदद मिल सकती है, जिनका फिलहाल अब तक पता नहीं चला है। इसकी मदद से उच्च रक्तचाप के निदान न किए गए मामलों में मौजूद बड़े अंतर को संबोधित किया जा सकता है।