अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस हर साल 18 दिसंबर को मनाया जाता है ताकि दुनिया भर में उनके सामने आने वाली कठिनाइयों की ओर ध्यान आकर्षित किया जा सके। यह दिन अप्रवासी अधिकारों की रक्षा को बढ़ावा देने और दुनिया भर में उनकी भूमिका की ओर ध्यान आकर्षित करने का अवसर प्रदान करता है। प्रवासन ने मानव इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, क्योंकि यह दिन प्रवासियों द्वारा लाए गए सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक बदलावों का भी सम्मान करता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, इस साल के अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस की थीम "प्रवासियों के योगदान का सम्मान करना और उनके अधिकारों का सम्मान करना" है।
यह थीम प्रवासियों द्वारा उन देशों और लोगों को दिए जाने वाले फायदों की याद दिलाती है, जिनमें वे रहते हैं, अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने के लिए उन्हें किन बाधाओं को पार करना होगा और प्रवास को यथासंभव सुरक्षित बनाने के लिए सहयोग की तत्काल आवश्यकता के बारे में बताती है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस के इतिहास की बात करें तो संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1960 में बड़े पैमाने पर शरणार्थी प्रवास पर अपने पहले सम्मेलन में प्रवासी सुरक्षा में सुधार के लिए दायित्वों का एक संग्रह बनाया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने चार दिसंबर, 2000 को 18 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस घोषित किया।
तब से यह दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1990 में सभी प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवारों के सदस्यों के अधिकारों के संरक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को मंजूरी दिए जाने के सम्मान में मनाया जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कई उपायों के बावजूद भी प्रवासियों की मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है, क्योंकि साल 2023 में अब तक की सबसे अधिक सालाना मृत्यु दर दर्ज की गई, जो 8500 से अधिक थी।
प्रवास को रोकना असंभव है, यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया और एक ऐसी घटना है जो दुनिया को बदलती रहती है क्योंकि अधिक से अधिक लोग बेहतर संभावनाओं की तलाश में दूसरी जगहों पर जाते रहते हैं। भूकंप और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बाद भी कुछ लोग पलायन करने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, दुनिया भर में यह अवसर न केवल प्रवासियों का सम्मान करता है बल्कि मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और प्रवास की परिवर्तनकारी क्षमता का उपयोग करने में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को एक जुट करने के लिए उत्प्रेरक का काम भी करता है।
इस बात पर कोई शक नहीं है कि अधिकतर लोग उन देशों में रहना जारी रखते हैं जहां वे पैदा हुए हैं, यानी 30 में से केवल एक प्रवासी है। प्रवासन पर अधिकांश चर्चाओं में, शुरुआती बिंदु आमतौर पर संख्याएं होती हैं।
वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट 2024 के मुताबिक, साल 2020 में दुनिया में लगभग 28.1 करोड़ अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी थे, जो वैश्विक आबादी का 3.6 प्रतिशत है। कुल मिलाकर, पिछले पांच दशकों में अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों की अनुमानित संख्या में वृद्धि हुई है। 2020 में अपने पैदा हुए देशों के अलावा किसी अन्य देश में रहने वाले कुल अनुमानित 28.1 करोड़ लोग 1990 की तुलना में 12.8 करोड़ अधिक थे और 1970 में अनुमानित संख्या से तीन गुना अधिक है।
वर्तमान में दुनिया भर में महिला अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की तुलना में पुरुषों की संख्या अधिक है और पिछले 20 वर्षों में लिंग अंतर में वृद्धि हुई है। 2000 में, पुरुष से महिला का विभाजन 50.6 से 49.4 प्रतिशत (या 8.8 करोड़ पुरुष प्रवासी और 8.6 करोड़ महिला प्रवासी) था।
2020 में यह विभाजन 51.9 से 48.1 प्रतिशत था, जिसमें 14.6 करोड़ पुरुष प्रवासी और 13.5 करोड़ महिला प्रवासी थे। 2000 से महिला प्रवासियों की हिस्सेदारी घट रही है, जबकि पुरुष प्रवासियों की हिस्सेदारी में 1.3 प्रतिशत अंकों की वृद्धि हुई है।