सभी रोगों में से इन्फेक्शन्स यानि संक्रमण भारतीयों को सबसे ज्यादा बीमार कर रहे हैं। इन संक्रमणों की चपेट में न सिर्फ ग्रामीण, बल्कि शहरी इलाकों के लोग भी आ रहे हैं। यह बात एनएसएसओ की नई रिपोर्ट में सामने आई है।
इन संक्रमणों में मलेरिया, वायरल, हेपेटाइटिस पीलिया, गंभीर डायरिया/दस्त, डेंगू बुखार, चिकनगुनिया, चेचक, गंभीर दिमागी बुखार, टाइफाइड, हुकवर्म इन्फेक्शन फिलायरिसिस, तपेदिक (टीबी) और अन्य संक्रमण शामिल हैं। जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच एनएसएसओ (नेशनल सेंपल सर्वे ऑफिस) द्वारा कराए गए इस अध्य्यन में बताया गया कि शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण इलाके इन संक्रमणों से ज्यादा प्रभावित होते हैं।
ग्रामीण भारत में होने वाले सभी रोगों में से 35.7 फीसदी रोग संक्रमणों के कारण होते हैं। इस अध्य्यन में श्वसन संबंधी संक्रमणों को शामिल नहीं किया गया है, जिनके कारण कुल बीमारियों में से 10.8 फीसदी बीमारियां होती हैं। शहरी इलाकों में 25.4 फीसदी लोग संक्रमणों के कारण होने वाले बीमारियों से ग्रसित होते हैं। रिपोर्ट में सामने आया कि संक्रमणों के चलते ग्रामीण और शहरी दोनों जगह अस्पतालों में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है।
शहरी इलाकों में संक्रमणों के बाद डायबिटीज और थाइरॉयड जैसे रोगों की वजह से लोग सबसे ज्यादा बीमार पड़ते हैं। कुल रोगों में इनकी हिस्सेदारी 20.8 फीसदी है। उच्च रक्तचाप और ह्रदयरोग जैसी ह्रदय संबंधी बीमारियों की हिस्सेदारी 21.9 फीसदी है और जोड़ों में दर्द, पीठ और बदन में दर्द जैसे वात रोगों कि हिस्सेदारी 7.6 फीसदी है। ग्रामीण इलाकों में संक्रमणों की बाद ह्रदय सबंधी रोगों कि वजह से सबसे ज्यादा लोग (13.8 फीसदी) बीमार होते हैं। इसके बाद डायबिटीज और थाइरॉयड जैसी बीमारियों कि वजह से (11.6 फीसदी) और अंत में वात रोगों से लोग प्रभावित होते हैं। संक्रमणों के अलावा शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में लोगों के अस्पताल में भर्ती होने के अन्य कारणों में चोट लगना प्रमुख कारण रहा।
कैंसर पर हो रहा है सबसे ज्यादा खर्च
शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में सबसे ज्यादा खर्च कैंसर के इलाज में हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में कैंसर के हर मामले में अस्पताल में रुकने का खर्च औसतन 56,000 रुपए रहा जबकि शहरी क्षेत्रों में यह खर्चा औसतन 68,000 रुपए रहा। कैंसर के बाद सबसे ज्यादा खर्चा हृदय संबंधी रोगों पर हो रहा है। ग्रामीण इलाकों में इन रोगों के प्रत्येक मामले में अस्पताल में रुकने का खर्च 27,136 रुपए है जबकि शहरों में यह खर्च 47,788 रुपए है।
रिपोर्ट में एक बात और सामने आई कि आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के लोग अस्पताल में सबके कम भर्ती होते हैं। आर्थिक रूप से सक्षम तबके लोग अस्पतालों में ज्यादा भर्ती होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि सबसे निचली श्रेणी के लोग किसी तरह की स्वास्थ्य बीमा स्कीम के तहत कवर नहीं किए जाते हैं।
इलाज पर किए जाने वाले खर्च के पांच हिस्सों- डॉक्टर की फीस, दवाएं, टेस्ट, भर्ती होने पर बेड चार्ज और अन्य में से लोग सबसे ज्यादा दवाओं पर खर्च करते हैं। निजी अस्पतालों में प्रत्येक मरीज के भर्ती होने पर दवा पर औसतन 6,818 रुपए खर्च होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी सबसे ज्यादा खर्च दवाओं पर होता है, जिससे यहां दवाओं की अनुपलब्धता के बारे में पता चलता है।