स्वास्थ्य

डायबिटीज और हृदय रोग को बढ़ा सकता है भारतीय डिब्बाबंद खाना और पेय

DTE Staff

भारत में मिलने वाली पैकेज्ड या डिब्बाबंद खाने-पीने की चीजें आपकी सेहत खराब कर सकती हैं। एक वैश्विक सर्वे में कहा गया है कि दुनिया के दूसरे मुल्कों की तुलना में भारतीय डिब्बाबंद खाद्य समाग्री के नमूनों में जरूरत से ज्यादा संतृप्त (सैचुरेटेड) वसा, कुल चीनी और ऊर्जा घनत्व पाया गया है जो कि न सिर्फ मोटापा और टाइप-2 डायबिटीज को बढ़ावा देता है बल्कि हृदय रोग संबंधी बीमारियों का प्रमुख कारण भी बन रहा है।

भारत में मिलने वाले पैकेटबंद खाद्य और पेय में बेहद अधिक ऊर्जा की अधिकता (1515 किलोजूल प्रति 100 ग्राम) तक मिली है। वहीं, नमूनों में चीनी की मात्रा सबसे ज्यादा चीन के खाद्य व पेय पदार्थों में मिली उसके बाद दूसरे नंबर पर भारत का ही नाम रहा। चीन के नमूनों में कुल चीनी की मात्रा 8.5 ग्राम प्रति 100 ग्राम में पाई गई जबकि भारत में प्रति 100 ग्राम में चीनी की मात्रा 7.3 ग्राम मिली। सर्वे के मुताबिक इनमें पोषण भी बहुत कम पाया गया। इसके परिणाम ओबेसिटी रिवीव्स जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं। जर्नल में परिणाम देखने के लिए यहां क्लिक करें।

जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ, द इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन हेल्थकेयर एंड मेडिसिन के मुताबिक यह सर्वे 12 देशों के् 4 लाख से ज्यादा खाद्य और पेय उत्पादों नमूनों की जांच के आधार पर किया गया है। देशों को हेल्थ स्टार रेटिंग सिस्टम के आधार पर नंबर दिए गए हैं। इनमें खाद्य और पेय उत्पादों में पोषण के लिए जरूरी नमक, चीनी, संतृप्त वसा, प्रोटीन, कैल्शीयम, फाइबर, ऊर्जा आदि की मात्रा को जांचा गया है। खतरनाक संतृप्त वसा सबसे ज्यादा चीन के पैकेज्ड फूड और बेवरेजेस में पाया गया है।

पांच सितारे उन्हें दिए गए हैं जिनके उत्पाद सबसे ज्यादा सेहतमंद हैं और उसकी तुलना में आधे सितारे उन्हें दिए गए हैं जहां सबसे कम सेहतमंद पैकेज्ड फूड मौजूद हैं। भारत इस कतार में सबसे नीचे है। भारत को 2.27 की रेटिंग मिली है। जबकि चीन को 2.43, चिली को 2.44 रेटिंग दी गई है। सबसे बेहतर पैकेज्ड फूड और बेवरेज के मामले में सबसे ऊपर यूके (2.83 स्टार रेटिंग) फिर संयुक्त राज्य अमेरिका (2.82) और उसके बाद ऑस्ट्रेलिया (2.81) का नाम है।

सर्वे की प्रमुख लेखिका एलिजाबेथ डनफोर्ड ने अपने बयान में कहा है कि वैश्विक स्तर पर हम बेहद प्रसंस्कृत खाद्य के आदि हो रहे हैं। हमारे सुपरमार्केट के खांचे खराब वसा, चीनी, अत्यधिक नमक आदि वाले उत्पादों से भरे पड़े हैं। इनमें हमें बीमार बनाने की अपार क्षमता है। दुर्भाग्य से सबसे गरीब देश इस बारे में बातचीत नहीं कर पा रहे हैं और उन्हें पोषण रहित बीमार बनाने वाले खाद्य का खामियाजा उठाना पड़ रहा है। सर्वे अध्ययन में यह सुझाव भी दिया गया है कि नीति-नियंताओं और औद्योगिक जगत को इस ओर देखना चाहिए। उन्हें अपने उत्पाद ज्यादा पोषण युक्त और कम से कम सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले बनाने चाहिए। खासतौर से मोटापा और अन्य जीवनशैली से उपजने वाली बीमारियों को ध्यान में रखककर उत्पाद तैयार किया जाना चाहिए।