स्वास्थ्य

कमजोर बच्चों के मामले में भारत सबसे ऊपर: ग्लोबल हंगर इंडेक्स

ग्लोबल हंगर इंडेक्स के अनुसार, भारत में 6 से 23 माह के 90.4 फीसदी बच्चों को जितने खाने की जरूरत है, उतना भी नहीं मिल पा रहा है

Kundan Pandey

वैश्विक भूख सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) 2019 में भारत के लिए सबसे चिंताजनक स्थिति बच्चों की कमजोरी को लेकर जताई गई है। सूचकांक में कहा गया है कि भारत के बच्चों में कमजोरी की दर बड़ी तेजी से बढ़ रही है और यह सभी देशों से ऊपर है।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स के अनुसार, भारत में 2010 के बाद से लगातार बच्चों में कमजोरी (वेस्टिंग) बढ़ रही है। 2010 में पांच सल तक के बच्चों में कमजोरी की दर 16.5 प्रतिशत थी, लेकिन अब 2019 में यह बढ़ कर 20.8 फीसदी हो गई है।

यूनिसेफ के मुताबिक, बच्चों का कम वजन के साथ कद में भी कमी आने को वेस्टिंग की श्रेणी में रखा गया है। यूनिसेफ का कहना है कि ऐसे बच्चों की मृत्यु होने की आशंका अधिक होती है। बच्चों के कमजोर होने का मुख्य कारण भोजन की कमी और बीमारियां है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन देशों में वेस्टिंग रेट 10 प्रतिशत से अधिक है, वे बेहद गंभीर स्थिति है और उस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स के अनुसार, 6 से 23 माह के 90.4 फीसदी बच्चों को जितने खाने की जरूरत है, उतना नहीं मिल पा रहा है

ग्लोबल हंगर इंडेक्स, दुनिया भर में भूख के स्तर और असंतुलन की गणना करता है। इस सूचकांक के लिए चार संकेतकों पर विचार किया जाता है, जिनमें अल्पपोषण, बच्चों में कमजोरी, बाल मृत्यु दर और बच्चों का विकास रुकना शामिल है। 

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत का स्थान 102 पर है, जबकि इसमें केवल 117 देशों को ही शामिल किया गया है। इस रिपोर्ट में भारत में भूख का स्तर 30.3 अंक है, जो काफी गंभीर है। यहां तक ​​कि उत्तर कोरिया, नाइजीरिया, कैमरून जैसे देश भारत से बेहतर स्थिति में हैं। पड़ोसी देश जैसे श्रीलंका (66 वां), नेपाल (73 वां), पाकिस्तान (94 वां), बांग्लादेश (88 वां) स्थान पर हैं और भारत से आगे हैं।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स का कहना है कि भारत की बड़ी आबादी के कारण, इसके भूख संकेतक का क्षेत्र के कुल संकेतकों पर बहुत प्रभाव पड़ता है।

इंडेक्स में भारत में उच्च स्टंटिंग (बच्चों का विकास रुकना) दर के बारे में भी चिंता जताई गई है। हालांकि पिछले सालों के मुकाबले इसमें सुधार हुआ है।  रिपोर्ट के मुताबिक 2010 में, भारत में पांच वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों में स्टंटिंग की दर 42 प्रतिशत थी, जो 2019 में 37.9 प्रतिशत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य महत्व के मामले में दर भी बहुत अधिक है।

रिपोर्ट में खुले में शौच की प्रथा पर भी टिप्पणी की गई है। कहा गया है कि हालांकि भारत के प्रधानमंत्री ने भारत को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए 2014 में स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया था, लेकिन अभी भी भारत में खुले में शौच किया जा रहा है, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। खासकर, इससे बच्चों का विकास प्रभावित होता है।