स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने आज लोकसभा में बताया कि देश में 0-14 वर्ष से कम आयु के बच्चों पर कोविड-19 के प्रभाव के बारे में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के बारे में मंत्रालय को जानकारी नहीं है।
लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में हर्षवर्धन ने कहा कि भारत में कोविड-19 से प्रभावित लोगों की आयु के आधार पर विश्लेषण करने पर पता चलता है कि, 0-14 वर्ष की आयु के बच्चे इससे कम प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा, बच्चों में इसका हल्का संक्रमण होता है। कोविड-19 से संक्रमित अधिकांश बच्चे लक्षण विहीन होते हैं।
इसलिए उन्होंने कहा कि वर्तमान में ऐसे बच्चों पर कोविड-19 के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए कोई विशेष कार्य योजना तैयार नहीं की गई है।
जीवों की लुप्तप्राय प्रजातियां
इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) कि रेड लिस्ट (2021) में 239 विशेष पशुवर्ग संबंधी प्रवाल (फायनल) प्रजातियों को शामिल किया गया है, जिन्हें भारत में लुप्तप्राय प्रजाति के रूप में जाना जाता है। जिनमें स्तनधारियों की 45 प्रजातियां, पक्षियों की 23 प्रजातियां, सरीसृपों की 18 प्रजातियां, उभयचर की 39 प्रजातियां और 114 प्रजातियों की मछलियां शामिल हैं। यह जानकारी आज पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो ने लोकसभा में दी।
जंक अथवा फास्ट फूड का सेवन
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने बताया है कि उसके द्वारा स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले भोजन के सेवन से अचानक दिल के दौरे पड़ने की आशंका को लेकर कोई विशेष अध्ययन नहीं किया है। इस बात की जानकारी आज स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने लोकसभा में दी।
हर्षवर्धन ने सदन को बताया कि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने इस बारे में जानकारी दी कि “आज से थोडा कम नामक” एक राष्ट्रव्यापी मीडिया अभियान चलाया गया है। इस अभियान में अभिनेता राज कुमार राव उपभोक्ताओं को अपने आहार में वसा, चीनी और नमक को धीरे-धीरे कम करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
यह छोटा सा वीडियो 12 भाषाओं में उपशीर्षक के साथ है, इसकी एक श्रृंखला लोगों को जागरूक करने के लिए बनाई गई है। इस अभियान को बैनरों, ऑडियो क्लिपों और ईट राइट इंडिया वेबसाइट के माध्यम से वसा, नमक और चीनी की खपत को धीरे-धीरे कम करने के बारे में कहा गया है।
शहद में मिलावट का पता लगाने के लिए एनएमआर परीक्षण
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने स्वीकार किया कि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने शहद में मिलावट का पता लगाने के लिए नुक्लेअर मैग्नेटिक रेजोनेंस (एनएमआर) संबंधी परीक्षण के नियमों को अनिवार्य नहीं किया है।
चौबे ने सदन को अवगत कराया कि, एनएमआर परीक्षण तेजी से विभिन्न रासायनिक यौगिकों के बारे में पता लगा सकता है। शहद के नमूने को प्रमाणित करने के लिए और वर्तमान में भारतीय शहद के परीक्षण करने के लिए ऐसा कोई डेटाबेस मौजूद नहीं है।
इसके अलावा, विश्व के अधिकांश खाद्य नियमों ने एनएमआर को शहद के परीक्षण के लिए अनिवार्य नहीं किया गया है।
भूस्खलन संवेदनशीलता मानचित्रण
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने 3656 जगहों में हुए भूस्खलन के आंकड़े एकत्र किए हैं। जिसमें विभिन्न राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में पिछले पांच वर्षों के दौरान हुए बड़े भूस्खलन, जिन्होंने जीवन और बुनियादी ढांचे को प्रभावित किया है उनको इसमें शामिल किया गया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय मंत्री हर्षवर्धन ने आज लोकसभा में बताया।
2014-2020 की अवधि के दौरान हुए भूस्खलन और इसका अध्ययन
राज्य |
भूस्खलनों की संख्या |
अरुणाचल प्रदेश |
33 |
असम |
120 |
मेघालय |
32 |
मिजोरम |
14 |
त्रिपुरा |
10 |
मणिपुर |
20 |
नागालैंड |
34 |
सिक्किम |
20 |
हिमाचल प्रदेश |
97 |
जम्मू और कश्मीर |
169 |
उत्तराखंड |
27 |
कर्नाटक |
194 |
तमिलनाडु |
196 |
केरल |
2238 |
महाराष्ट् |
78 |
पश्चिम बंगाल |
374 |
कुल |
3656 |
बच्चों में मलेरिया की बीमारी के मामले
15 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों में मलेरिया की बीमारी कें मामलों में पिछले चार वर्षों में कमी देखी गई है। पूरे देश, राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में 2020 में यह कमी 2017 की तुलना में 80.86 फीसदी है। यह आज स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने लोकसभा में बताया।
पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करने पर दंड
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो ने आज लोकसभा में इस बात से इनकार किया कि सरकार मौजूदा पर्यावरण कानून को संशोधित करने का प्रस्ताव ला रही है। जिसमें पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन करने पर 20 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है, साथ ही लगातार नुकसान करने वालों पर प्रति दिन 1 करोड़ का अतिरिक्त दंड लगाना शामिल है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) अधिनियम, 2010 की धारा 26 के अनुसार अनुपालन न करने के मामले में दस करोड़ का जुर्माना लगाया जा सकता है, पहले अनुपालन न करने के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद यदि यह जारी रहता है तो प्रति दिन पच्चीस हजार रुपये का अतिरिक्त जुर्माना लगाया जा सकता है।
यदि कोई कंपनी किसी आदेश या फैसले या ट्रिब्यूनल के निर्णय का पालन करने में विफल रहती है, तो ऐसी कंपनी को जुर्माने के साथ दंडित भी किया जाएगा, इसमें जुर्माने की राशि पच्चीस करोड़ रुपये तक बढ़ सकती है, यदि फिर भी उल्लंघन जारी रहता है, तो जुर्माने की राशि बढ़ कर हर दिन एक लाख रुपये तक की जा सकती है।
मनरेगा के तहत नौकरियों की मांग
महात्मा गांधी नरेगा के तहत वित्तीय वर्ष 2020-21 के अंतिम तीन महीनों में काम की मांग करने वाले परिवारों की संख्या वित्त वर्ष 2019-20 की इसी अवधि की तुलना में 40 फीसदी बढ़ गई है। यह जानकारी आज ग्रामीण विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने राज्यसभा में दी।