धान की पराली जलाने का चलन मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों में है।  फोटो साभार: सीएसई
स्वास्थ्य

संसद में आज : विश्व मलेरिया रिपोर्ट को केंद्र ने नकारा, कहा- दक्षिण पूर्व एशिया में भारत की हिस्सेदारी केवल 8 फीसदी

Madhumita Paul, Dayanidhi

मॉनसून सत्र में आज, यानी नौ अगस्त को पराली जलाने को लेकर सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में, कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने राज्यसभा में कहा कि धान की पराली जलाने का चलन मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों में है। क्योंकि धान की फसल की कटाई और अगली रबी फसल की बुवाई के बीच समय कम होता है।

इन राज्यों पैदा होने वाले धान के भूसे के कुशल प्रबंधन को सक्षम बनाने के उद्देश्य से, 1.50 करोड़ रुपये तक की लागत वाली मशीनरी की पूंजीगत लागत पर 65 फीसदी की दर से वित्तीय सहायता के साथ धान के भूसे की आपूर्ति श्रृंखला के लिए परियोजनाएं स्थापित करने का प्रावधान किया गया है।

इस कार्य का उद्देश्य बायोमास से बिजली उत्पादन और जैव ईंधन क्षेत्रों में विभिन्न अंतिम उपयोगकर्ता उद्योगों के लिए धान के भूसे की आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करना है। इस योजना के तहत, 2018-19 से 2023-24 की अवधि के दौरान, इन राज्यों और आईसीएआर को 3333.17 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।

ठाकुर ने कहा, राज्यों ने फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों के 37,000 से अधिक कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) स्थापित किए हैं और इन सीएचसी तथा इन राज्यों में किसानों को 2.95 लाख से अधिक फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों की आपूर्ति की गई हैं। चालू वित्त वर्ष के दौरान अब तक पंजाब 150 करोड़ रुपये और उत्तर प्रदेश को 50 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।

देश में स्वास्थ्य व्यय 1.9 फीसदी तक पहुंचा

सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने लोकसभा में बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 के अनुसार, स्वास्थ्य में सार्वजनिक निवेश 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद के 2.5 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य खाते ने वर्ष 2018-19 के लिए सकल घरेलू उत्पाद के रूप में सरकारी स्वास्थ्य व्यय (जीएचई) का अनुमान 1.28 फीसदी लगाया, जो आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 2023-24 (बीई) के लिए 1.9 फीसदी तक पहुंच गया है।

भारत में मलेरिया उन्मूलन

आज सदन में मलेरिया उन्मूलन को लेकर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने लोकसभा में विश्व मलेरिया रिपोर्ट (डब्ल्यूएमआर) 2023 के आंकड़ों को लेकर नाराजगी जाहिर की। जिसमें कहा गया था कि साल 2022 में दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में मलेरिया के 66 फीसदी मामले भारत में सामने आए जो कि सही नहीं है।

इसके लिए उन्होंने, नेशनल सेंटर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल (एनसीवीबीडीसी) की वार्षिक रिपोर्ट 2022 का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि भारत में मलेरिया के कुल 1,76,522 मामले सामने आए, जो दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र का लगभग 8.89 फीसदी ही है।

इस तरह भारत सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को एक पत्र लिखा है जिसमें कहा गया है कि भारत में अच्छी तरह से संगठित निगरानी प्रणाली है जिसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से मलेरिया के आंकड़े एकत्र किए जाते हैं।

देश में मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी

वहीं आज सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में, ग्रामीण विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री कमलेश पासवान ने राज्यसभा में बताया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) में महिलाओं की भागीदारी 2022-23 में 57.47 फीसदी से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2023-24 में 58.89 फीसदी हो गई है।

देश में ई-बसों का निर्माण

सदन में उठे एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, भारी उद्योग राज्य मंत्री भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा ने राज्यसभा में कहा कि सरकार को सार्वजनिक परिवहन उपयोग के लिए राज्य सरकारों से ई-बसों के निर्माण के लिए ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं। भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) ई-बसों के उत्पादन या निर्माण के किसी भी व्यवसाय में शामिल नहीं है। हालांकि भारी उद्योग मंत्रालय ने भारत में इलेक्ट्रिक अथवा हाइब्रिड वाहनों (एक्सईवी) को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए 2015 में भारत में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने और विनिर्माण (फेम इंडिया) योजना तैयार की।

योजना का पहला चरण 895 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ 31 मार्च, 2019 तक जारी रहा। इसके अलावा फेम इंडिया योजना का दूसरा चरण एक अप्रैल, 2019 से पांच साल की अवधि के लिए 11,500 करोड़ रुपये की कुल बजटीय सहायता के साथ लागू किया गया।

देश में खाद्यान्न फसल से नकदी फसल की ओर रुख

वहीं आज, सदन में पूछे एक प्रश्न के उत्तर में, कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने राज्यसभा में बताया कि भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा चार जून 2024 को जारी तीसरे अग्रिम अनुमान 2023-24 के अनुसार, व्यावसायिक अथवा नकदी फसलों का रकबा कृषि वर्ष 2021-22 में 18,214.19 हजार हेक्टेयर से बढ़कर कृषि वर्ष 2023-24 में 18,935.22 हजार हेक्टेयर हो गया है। जाहिर है, व्यावसायिक अथवा नकदी फसलों (गन्ना, कपास, जूट और मेस्टा) का उत्पादन भी कृषि वर्ष 2021-22 में 4,80,692 हजार टन से बढ़कर कृषि वर्ष 2023-24 में 4,84,757 हजार टन हो गया है।

देश में बाजरे की खेती का क्षेत्रफल बढ़ा

सदन में उठाए गए एक और सवाल के जवाब में, राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने राज्यसभा में कहा कि भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा चार जून 2024 को जारी तीसरे अग्रिम अनुमान 2023-24 के अनुसार, देश में कृषि वर्ष 2023-24 के दौरान खाद्यान्न के अंतर्गत कुल क्षेत्रफल के मुकाबले 10 प्रतिशत से अधिक बाजरे की खेती है। बाजरे की खेती का क्षेत्रफल कृषि वर्ष 2021-22 में 12,288.98 हजार हेक्टेयर से बढ़कर कृषि वर्ष 2023-24 में 13,085.61 हजार हेक्टेयर हो गया है।