स्वास्थ्य

गंभीर कोविड-19 रोगियों की पहचान होगी आसान: अध्ययन

शोधकर्ताओं ने फ्रांस के अस्पतालों में कोरोनावायरस संक्रमित 50 रोगियों का अध्ययन किया, जिनमें अलग-अलग लक्षण थे

Dayanidhi

फ्रांस में अलग-अलग संस्थानों से जुड़े शोधकर्ताओं ने गंभीर रूप से बीमार कोरोनावायरस संक्रमित रोगियों की पहचान आसानी से करने का दावा किया है। साइंस जर्नल में प्रकाशित अपने पेपर में, टीम ने फ्रांस में 50 कोविड-19 रोगियों के साथ किए गए अध्ययन के बारे में बताया है।

दुनिया भर के चिकित्सा वैज्ञानिक वैश्विक महामारी सार्स-सीओवी-2 वायरस और संबंधित संक्रमणों का अध्ययन करने में लगे हुए है। ऐसे संक्रमणों के लक्षणों में भी अंतर है। कुछ लोगों में इस बीमारी के लक्षण नहीं दिखाई देता हैं, जिन्हें असिम्प्टोमैटिक कहा जाता है। जबकि कुछ लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती हैं। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि यदि संक्रमण अलग-अलग तरह का हो सकता है, तो गंभीर संक्रमण वाले लोगों के इलाज के लिए एक नया तरीका जल्द ही ईजाद हो सकता है।

इस नए प्रयास में, शोधकर्ताओं ने फ्रांस के अस्पतालों में 50 रोगियों का अध्ययन किया, जिनमें लक्षण अलग-अलग थे। जिनको मामूली खांसी थी उन लोगों को वेंटिलेटर पर रखा गया था। उनका लक्ष्य गंभीर लक्षणों वाले रोगियों में एक जैसा कारक खोजना था।

रोगियों के रक्त, ऊतक, प्रतिरक्षा कोशिकाओं (इम्यून सेल्स) और अन्य नमूनों का विश्लेषण करके, शोधकर्ताओं ने कहा कि उनका मानना है कि गंभीर संक्रमण वाले लोगों में एक खास अंतर होता है। इनमें रोगी की कोशिकाओं द्वारा जारी एक प्रोटीन होता है, जो आमतौर पर वायरस के प्रवेश करने पर संक्रमण से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा उपयोग किया जाता है। जिसे इंटरफेरॉन कहते है, इसकी प्रतिक्रिया कम हो जाती है तथा रोगियों को जलन महसूस होती है एवं उनमें सूजन भी दिखाई देती है।

उन्होंने सुझाव दिया कि इनमें दिखने वाले अलग कारक (सिग्नेचर) गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 रोगियों की पहचान करने में मदद कर सकता हैं। शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि उनके निष्कर्षों के आधार पर रोगियों की थेरेपी हो सकती है जो जलन, सूजन को कम करते हुए संक्रमण के लिए इंटरफेरॉन प्रतिक्रिया को बढ़ावा देती है।

विशेष रूप से, शोधकर्ताओं ने पाया कि गंभीर रूप से बीमार रोगियों में टाइप 1 इंटरफेरॉन की प्रतिक्रिया में कमी पाई गई थी। इसके अलावा, प्रिनफ्लेमेटरी सिग्नलिंग का स्तर सामान्य से अधिक था। प्रिनफ्लेमेटरी सिग्नलिंग जलन पैदा करने वाले अणु है। एक साथ इन दो मुकाबलों के संक्रमण से लड़ने के लिए रोगियों में पर्याप्त क्षमता नहीं होती है।

शोधकर्ताओं द्वारा किए गया अध्ययन बताता है कि संक्रमित भागों में इंटरफेरॉन सिग्नलिंग, रोग को बढ़ने से कम करने में अहम भूमिका निभा सकता है। इस तरह के काम से पता चला है कि वायरस के लिए इंटरफेरॉन खतरे की अवधि, समय और स्थान महत्वपूर्ण कारक हैं जो वर्तमान में किए जा रहे उपचारों की सफलता को बहुत अधिक बढ़ा सकता है।