हिमाचल प्रदेश में नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया है। इसका सीधा असर कोविड-19 की जांच पर पड़ा है। सरकार के आंकड़ों के अनुसार जहां 1 फरवरी को प्रदेश में 10,437 कोविड टेस्ट किए गए थे वहीं 2 फरवरी को हड़ताल के शुरू होने के बाद केवल 1979 कोविड टेस्ट किए जा सके।
हिमाचल प्रदेश में इन दिनों रोजाना 1500 से अधिक कोविड-19 के मामले आ रहे हैं और प्रदेश में अभी 9422 कोविड मरीज सक्रिय हैं। ऐसे में कोविड टेस्ट न होने की वजह से प्रदेश में संक्रमण का खतरा और अधिक बढ़ गया है।
एनएचएच कर्मचारियों के काम न करने की वजह से जहां प्रदेश में कोरोना के टेस्ट 80 फीसदी कम हुए हैं, वहीं तीन जिलों बिलासपुर, सिरमौर और सोलन में कोरोना का एक भी टेस्ट नहीं हो पाया।
हिमाचल प्रदेश में 25 वर्ष पहले एनएचएम के तहत भर्तियां शुरू हुई थी और अभी तक डॉक्टर, नर्स, पैरामैडिकल स्टाफ और कार्यालय में काम करने वाले 1700 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। एनएचएम के तहत प्रदेश के सभी मैडिकल कॉलेजों और अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में ये कर्मचारी कोविड की टेस्टींग, एचआईवी, टीबी, हैपेटाइटिस बी और पोषण कांउसलर के रूप में सेवाएं दे रहे हैं।
राज्य स्वास्थ्य समिति एनएचएम अनुबंध कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अमीन चंद शर्मा ने डाउन टू अर्थ को बताया कि एनएचएम के तहत कर्मचारियों को सेवाएं देते हुए 25 वर्षाें से अधिक समय हो गया है और आज तक कर्मचारियों को किसी प्रकार की पदोन्नती नहीं दी गई है और जिस पद पर वे तैनात हुए थे आज भी उसी में हैं।
मरीजों के टेस्ट से लेकर रिपोर्टें तैयार करने का काम एनएचएम कर्मचारियों पर है। कोरोना काल में भी घर.घर जाकर लोगों के टेस्ट किए गएए लेकिन मांगों को पूरा नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि वे सरकार से अपने लिए स्थाई नीति की मांग करते हैं और जब तक उनके लिए कोई नीति तैयार नहीं की जाती है, तब तक उन्हें रेगुलर कर्मचारियों के वेतन जितना वेतन दिया जाए। यदि ऐसा नहीं होता है तो वे अपने काम पर नहीं लौटेंगे।
एनएचएम कर्मचारी संघ की ओर से बुधवार को मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा गया है। जिसमें मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कर्मचारियों की मांगों पर गौर करने की बात तो कही है लेकिन कर्मचारियों की ओर से स्पष्ट किया गया है कि जब तक उनके लिए नीति नहीं बनती है तब तक वे काम पर नहीं लौटेंगे।
इससे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं पर गहरा असर आने वाले दिनों में और देखा जा सकता है। कर्मचारियों के काम न करने की वजह से प्रदेश के अस्पतालों में काम बाधित हो रहा है और कई मरिजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।