गाजा में साफ पानी के लिए संघर्ष करते बच्चे और लोग; फोटो: संयुक्त राष्ट्र एजेंसी यूएएनआरडब्ल्यूए 
स्वास्थ्य

गाजा में तेजी से पैर पसार रहा हेपेटाइटिस-ए, दस महीनों में 471 गुणा बढ़े मामले

Lalit Maurya

युद्ध से झुलसते गाजा में एक और समस्या तेजी से पैर पसार रही है और वो समस्या है संक्रामक बीमारी हेपेटाइटिस-ए। इस बारे में फलस्तीनी शरणार्थियों की सहायता के लिए बनाई संयुक्त राष्ट्र एजेंसी यूएएनआरडब्ल्यूए ने जानकारी दी है कि गाजा में हेपेटाइटिस-ए जैसी बीमारी तेजी से फैल रही है।

एजेंसी के अनुसार अक्टूबर 2023 में संघर्ष की शुरूआत से पहले जहां हेपेटाइटिस-ए के 85 मामले सामने आए थे। वहीं अब यह आंकड़ा बढ़कर 40 हजार को पार कर गया है। मतलब कि इस युद्ध की आग के भड़कने के बाद से इस बीमारी से ग्रस्त लोगों की संख्या में बेतहाशा तेजी से इजाफा हुआ है। इससे संक्रमित लोगों में मासूम बच्चे भी शामिल हैं।

आंकड़ों के मुताबिक यदि अक्टूबर 2023 के बाद से देखें तो गाजा में पिछले दस महीनों में हेपेटाइटिस-ए के मामलों में 46,958 फीसदी का इजाफा देखा गया है। इस बारे में संयुक्त राष्ट्र एजेंसी यूएएनआरडब्ल्यूए के मुखिया फिलिपे लजारिनी ने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करते हुए कहा है कि गाजा में हेपेटाइटिस-ए जैसी बीमारी तेजी से फैल रही है, जिससे बच्चे भी सुरक्षित नहीं हैं। वहां के लोगों के को संघर्ष के साथ बीमारियों से भी जूझना पड़ रहा है।

हेपेटाइटिस ए लीवर से जुड़ी एक संक्रामक बीमारी है, जो संक्रमित भोजन या दूषित पानी की वजह से होती है। इसके साथ ही यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति से दूसरे लोगों में भी फैल सकती है। इस बीमारी के कारण लीवर में सूजन आ जाती है। बता दें कि इस बीमारी के लिए कोई विशिष्ट उपचार भी नहीं है।

गाजा में क्यों बढ़ रहे हैं हेपेटाइटिस-ए के मामले

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने गाजा में पानी की भारी किल्लत, कूड़े-कचरे और गंदगी का उचित प्रबंधन न हो पाने को लेकर आगाह किया है, जिनकी वजह से संक्रामक बीमारियों के फैलने का जोखिम बढ़ रहा है। देखा जाए तो गाजा में जिस तरह से कूड़े-कचरे के ढेर जमा हो रहे हैं, वो इस बीमारी के फैलने के लिए अनुकूल माहौल तैयार कर रहे हैं।

यूएएनआरडब्ल्यूए प्रमुख फिलिपे लजारिनी ने भी इस बारे में प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि “गाजा में कूड़ा-कचरा और गन्दगी के प्रबन्धन से जुड़ी व्यवस्था ढह गई है। गन्दा पानी नालों की जगह सड़कों और रास्तों पर बह रहा है। लोगों को शौचालय जाने के लिए भी घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ता है।“

इसके साथ ही चिलचिलाती गर्मी, पर्याप्त चिकित्सा देखभाल और रोकथाम उपायों की कमी आग में घी का काम कर रही है। उनके मुताबिक ये सब हालात मिलकर इस बीमारियों के फैलने के लिए आदर्श माहौल तैयार कर रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर खुलासा करते हुए लिखा है कि गाजा में कई लोग ऐसे हैं जहां लोग पिछले ग्यारह महीनों से एक ही कपडा पहनने को मजबूर हैं।

गौरतलब है कि हाल में सीवेज के नमूनों में पोलियो के सबूत मिलने के बाद सहायता एजेंसियां इसकी रोकथाम को लेकर सक्रिय हो गई हैं। बता दें कि इस संघर्ष के चलते सहायता एजेंसियों को भी जरूरतमंदों तक मानवीय सहायता पहुंचाने में अनगिनत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें जगह-जगह विस्फोटक सामग्री का पड़ा होना, क्षतिग्रस्त और अवरुद्ध सड़कें, सहायता काफिलों पर हमले, कानूनी व्यवस्था का आभाव जैसी कई समस्याएं शामिल हैं।

हमें समझना होगा कि संघर्ष किसी समस्या का हल नहीं है। इस तरह के संघर्षों में लाखों मासूम लोग शिकार बनते हैं। मानवता आज ऐसी राह पर पहुंच चुकी है, जो उसे विनाश की ओर ले जा रही है।

जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, जल संकट, महामारी, बढ़ता तापमान जैसी न जाने कितनी समस्याएं हैं, जिनसे मानवता निपटने के लिए जूझ रही है, ऊपर से संघर्ष की आग विनाश को निमंत्रण दे रही है। हमें समझना होगा कि हम अपनी दुनिया को ऐसी जलती आग में नहीं छोड़ सकते कि जिससे हमारे पास पछताने के सिवाय कुछ न बचे।