विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार हृदय रोग दुनिया भर में सबसे ज्यादा लोगों की जान ले रहा है। 2019 में इसके चलते करीब 90 लाख लोगों की मौत हुई थी, जबकि 20 साल पहले यह 68 लाख मौतों के लिए जिम्मेवार था। यदि सभी कारणों से होने वाली मौतों को देखें तो उनमें से 16 फीसदी मौतों के लिए हृदय रोग जिम्मेवार हैं। यदि 2019 में हुई मौतों के 10 प्रमुख कारणों पर गौर करें तो उनमें से 7 कैंसर और मधुमेह जैसे गैर संक्रामक रोग हैं।
2019 में स्ट्रोक को दूसरा स्थान दिया है जिसके चलते करीब 62 लाख लोगों की जान गई थी। जबकि इसके बाद फेफड़े से जुड़ी बीमारी 'सीओपीडी' का नंबर आता है जिसके चलते करीब 32 लाख लोगों की मौत हुई थी। फेफड़ों के कैंसर के चलते 18 लाख लोगों की जान गई थी।
रिपोर्ट के अनुसार पहली बार अल्जाइमर और डिमेंशिया को 10 प्रमुख कारकों में शामिल किया गया है, जिनके चलते 2019 में 16 लाख लोगों की मौत हुई थी। जिसमें से 65 फीसदी महिलाएं थी। वहीं मधुमेह को 9वें स्थान पर रखा गया है जिसके चलते करीब 15 लाख और किडनी से जुडी बीमारियों (10वें स्थान) के चलते करीब 13 लाख लोगों की मौत हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार मधुमेह से होने वाली मौतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, पिछले 20 वर्षों में इनसे होने वाली मौतों में करीब 70 फीसदी का इजाफा हुआ है।
यदि संक्रामक रोगों की बात करें तो पिछले 20 वर्षों में उनमें काफी कमी आई है। 20 वर्षों में एड्स से होने वाली मौतों में करीब 51 फीसदी की कमी आई है। जहां 2000 में 14 लाख मौतों के साथ इसे 8वें स्थान पर रखा था, वो अब 6.79 लाख मौतों के साथ 19वें स्थान पर है। इसी तरह टीबी से होने वाली मौतों में भी कमी आई है, जिसके चलते 2019 में करीब 12 लाख लोगों की जान गई थी।
संक्रामक रोगों में सांस से जुड़ा संक्रमण सबसे बड़ा हत्यारा है जिसे 2019 में चौथे स्थान पर रखा गया है। इसके चलते 2019 में 26 लाख लोगों की जान गई थी। वहीं 2000 में इसके कारण 31 लाख लोगों की मौत हुई थी। नवजातों की मौत से जुड़े कारकों को 2019 में पांचवें स्थान पर रखा गया है जिसके चलते करीब 20 लाख बच्चों की जान गई थी।
पिछले 20 वर्षों में औसत आयु में हुआ 6 वर्ष का इजाफा
पिछले 20 वर्षों में लोगों की औसत उम्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जहां 2000 में औसत आयु 67 वर्ष थी वो 2019 में 6 वर्ष बढ़कर 73 पर पहुंच गई है। जोकि स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो रहे विकास और संक्रामक रोगों से होने वाली मौतों में कमी के कारण संभव हो पाया है। हालांकि उम्र बढ़ने का यह मतलब नहीं है कि इससे लोगों के स्वस्थ जीवन में भी इजाफा हुआ है। गैर संक्रामक रोगों के बढ़ने के कारण लोगों के स्वास्थ्य के स्तर में भी गिरावट आई है।
गौरतलब है कि हृदय रोग, मधुमेह, स्ट्रोक, फेफड़ों के कैंसर और फेफड़े से जुड़ी बीमारियों के चलते 2000 की तुलना में 2019 में लगभग स्वस्थ जीवन के 10 करोड़ अतिरिक्त वर्षों का नुकसान हुआ है। इसके लिए लोगों की जीवनशैली में आ रहे बदलाव, प्रदूषण और पर्यावरण में हो रही गिरावट मुख्य रूप से जिम्मेवार है, जिस पर ध्यान देना जरुरी है।