नारियल पानी का आनंद लेती भारतीय बुजुर्ग; फोटो: आईस्टॉक 
स्वास्थ्य

आनुवांशिक बीमारियों से असमय मृत्यु के जोखिम को 62 फीसदी कम कर सकती है बेहतर जीवनशैली

रिसर्च में सामने आया है कि स्वस्थ जीवनशैली, जीवन प्रत्याशा को कम करने वाली जीनों के प्रभाव को 62 फीसदी तक कम कर सकती है

Lalit Maurya

क्या आप जानते हैं कि स्वस्थ जीवनशैली आपको लंबा जीवन जीने में मददगार साबित हो सकती है। देखा जाए तो कोई व्यक्ति कितना जीता है यह काफी हद तक उसकी जीवनशैली और माता-पिता या पूर्वजों से मिली आनुवांशिक बामरियों पर निर्भर करता है। यह आनुवांशिक बीमारियां और उससे जुड़ी जीन लोगों की असमय मृत्यु का कारण बनती हैं। इसके साथ ही यह हमारे स्वास्थ्य पर भी असर डालती हैं।

लेकिन एक नए अध्ययन से पता चला है कि बेहतर खानपान और नियमित व्यायाम जैसी अच्छी आदतों को अपनाकर जल्द मृत्यु के इस आनुवांशिक जोखिम को 62 फीसदी तक कम किया जा सकता है। मतलब कि हम अपनी बेहतर जीवनशैली से अपने पूर्वजों से मिली बीमारियों से भी उबर सकते हैं। ऐसे में रिसर्च के मुताबिक स्वस्थ जीवनशैली, आपकी उम्र में पांच वर्षों से ज्यादा का इजाफा कर सकती है।

जीवनशैली से जुड़ी कुछ खास बातें जैसे धूम्रपान, शराब का सेवन, खराब खानपान और शारीरिक गतिविधियों का स्वास्थ्य और लम्बे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि खराब जीवनशैली, असमय मृत्यु के जोखिम को 78 फीसदी तक बढ़ा सकती है। भले ही आपके जीन या आनुवंशिक प्रवत्ति कुछ भी इससे बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ता। इस रिसर्च के नतीजे बीएमजे एविडेंस-बेस्ड मेडिसिन में प्रकाशित हुए हैं, जो इसको लेकर लम्बे समय तक चले कई अन्य अध्ययन के विश्लेषण पर आधारित हैं।

गौरतलब है कि पॉलीजेनिक रिस्क स्कोर (पीआरएस) कई जेनेटिक वेरिएंट की जांच कर यह पता लगाता है कि कोई व्यक्ति कितना लम्बा या छोटा जीवन जी सकता है। यह उसके जीवन पर मौजूद आनुवंशिक जोखिम का निर्धारण करता है। हालांकि इसके साथ ही जीवनशैली से जुड़े कारक जैसे धूम्रपान, शराब पीना, आहार, नींद और शारीरिक गतिविधियां भी लम्बे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

वैज्ञानिकों के मुताबिक अब तक इस बारे में पुख्ता जानकारी मौजूद नहीं थी कि यदि जीन की वजह से आपका जीवन छोटा होने की आशंका है, तो स्वस्थ जीवनशैली उसकी भरपाई करने में कितनी मददगार हो सकती है। इसे समझने के लिए अपने इस नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने 353,742 वयस्कों से जुड़े आंकड़ों का अध्ययन किया है।

2006 से 2010 के बीच इन सभी के स्वास्थ्य से जुड़े आंकड़ों को यूके बायोबैंक ने दर्ज किया था। इन लोगों के स्वास्थ्य पर 2021 तक नजर रखी गई। इनमें से 24,239 प्रतिभागियों की मृत्यु हो गयी।

शोधकर्ताओं ने लाइफजेन कोहोर्ट से जुड़े आंकड़ों का उपयोग करके इन लोगों के पॉलीजेनिक जोखिम स्कोर तैयार किया। इसके तहत लोगों को तीन वर्गों में बांटा गया। इसमें पहले समूह में वो 20 फीसदी लोग थे, जिनकी लम्बी आयु की सम्भावना थी। इसी तरह अन्य 20 फीसदी की उम्र छोटी जबकि 60 फीसदी की आयु मध्यम रह सकती थी।

स्वस्थ जीवनशैली और लंबी उम्र के बीच क्या है संबंध

इसी तरह उनकी स्वास्थ्य जीवनशैली के आधार पर भी स्कोर तैयार किए गए। इनमें धूम्रपान और शराब का सेवन कम मात्रा में या न करने, नियमित रूप से व्यायाम करने, शरीर को स्वस्थ रखने, पर्याप्त नींद लेने और बेहतर खानपान जैसे मुद्दों को शामिल किया गया था। इसके आधार पर सभी लोगों को तीन वर्गों अनुकूल, मध्यम और प्रतिकूल में विभाजित किया गया। इसमें से 23 फीसदी अनुकूल, 56 फीसदी मध्यवर्ती और 22 फीसदी प्रतिकूल जीवनशैली वाले वर्ग में थे।

नतीजों में यह भी सामने आया है कि कम आयु वाले जीन वाले लोगों की शीघ्र मृत्यु की आशंका, लम्बी आयु वाले जीन वाले लोगों की तुलना में 21 फीसदी अधिक होती है, चाहे उनकी जीवनशैली कुछ भी हो। इसी तरह खराब जीवनशैली वाले लोगों की असमय मृत्यु की आशंका स्वस्थ जीवनशैली वाले लोगों की तुलना में 78 फीसदी अधिक होती है, चाहे उनकी आनुवंशिक प्रवृत्ति कुछ भी हो।

वहीं जिन लोगों की जीवनशैली खराब होने के साथ-साथ कम आयु तक जीने का आनुवंशिक जोखिम अधिक था, उनकी मृत्यु की आशंका उन लोगों की तुलना में दोगुनी थी, जिनके जीन लम्बी आयु को दर्शाते हैं और जीवनशैली अच्छी थी।

बेहतर जीवनशैली में चार मुख्य बातों को शामिल किया गया, इनमें धूम्रपान न करना, नियमित व्यायाम करना, रात में पर्याप्त नींद लेना और स्वस्थ भोजन करना, शामिल था। कुल मिलकर अध्ययन के जो नतीजे सामने आए हैं वो दर्शाते हैं कि स्वस्थ जीवनशैली, आनुवांशिक कारणों से होने वाले असमय मृत्यु के जोखिम को 62 फीसदी तक कम कर सकती है।

ऐसे में शोधकर्ताओं का सुझाव है कि जिन लोगों में कम समय तक जीने का आनुवंशिक जोखिम अधिक है वो 40 वर्ष की उम्र में स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर अपनी आयु में करीब 5.5 वर्षों का इजाफा कर सकते हैं।

शोधकर्ता इस बात पर भी जोर देते हैं कि चूंकि जीवनशैली से जुड़ी अच्छी आदतें अक्सर प्रौढ़ावस्था से पहले ही तय हो जाती हैं, इसलिए इस पड़ाव पर पहुंचने से पहले ही आनुवंशिक प्रवृत्तियों का मुकाबला करने के लिए कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। अध्ययन के जो नतीजे सामने आए हैं वो स्वस्थ जीवनशैली के महत्व को उजागर करते हैं।