स्वास्थ्य

दुनियाभर में 100 करोड़ लोगों को सुविधा देने वाले स्वास्थ्य केंद्रों में नहीं है बिजली-पानी के पुख्ता इंतजाम

स्वास्थ्य केंद्रों में बेहतर सुविधाओं की कमी हर साल 80 लाख लोगों की जान ले रही है। साथ ही इनकी वजह से अर्थव्यवस्था को सालाना 493.8 लाख करोड़ रूपए का नुकसान हो रहा है

Lalit Maurya

स्वास्थ्य केंद्र और अस्पताल मरीजों की देखभाल और इलाज के लिए कितने जरूरी हैं यह सभी जानते हैं, लेकिन क्या हो यदि इन अस्पतालों या स्वास्थ्य केंद्रों में बिजली, पानी, स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाएं ही न हो। बात कड़वी लग सकती है लेकिन सही है।

आपको जानकर हैरानी होगी की दुनिया भर में करीब 100 करोड़ से ज्यादा लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं और देखभाल प्रदान करने वाले स्वास्थ्य केंद्र ऐसे हैं जिनमें या तो बिजली नहीं है या उसके पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। साथ ही इन केंद्रों में पानी, साफ-सफाई और स्वच्छता की पर्याप्त व्यवस्था का आभाव है। यह जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) द्वारा जारी नई रिपोर्ट "वाटर, सैनिटेशन, हाइजीन, वेस्ट, एंड इलेक्ट्रिसिटी सर्विसेस इन हेल्थ केयर फैसिलिटीज" में सामने आई है।  

बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए बिजली, पानी और साफ-सफाई के साथ संक्रमण की रोकथाम बहुत जरूरी होती है। यदि इनपर ध्यान न दिया जाए तो इन स्वास्थ्य सुविधाओं के जरिए संक्रमण आसानी से फैल सकता है। रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए हैं उनके मुताबिक इन स्वास्थ्य केंद्रों में बेहतर सुविधाओं की कमी हर साल 80 लाख लोगों की जान ले रही है। साथ ही इनकी वजह से अर्थव्यवस्था को सालाना 493.8 लाख करोड़ रूपए का नुकसान हो रहा है।

गौरतलब है कि इन बुनियादी सुविधाओं के महत्व को देखते हुए 2025 तक कम से कम 80 फीसदी स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में पानी, साफ-सफाई और स्वच्छता की व्यवस्था करने का लक्ष्य रखा गया था, जबकि 2030 तक इसे शत-प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य था। हालांकि जो मौजूदा आंकड़े सामने आए हैं उनसे कुछ और ही तस्वीर सामने आते हैं। यह आंकड़े दर्शाते हैं की अभी भी हम इन लक्ष्यों से काफी पीछे हैं।

वहीं यदि कमजोर देशों की बात करें तो उनकी स्थिति कहीं ज्यादा खराब है। रिपोर्ट में जो आंकड़े साझा किए गए हैं उनके मुताबिक यदि इन कमजोर देशों की बात करें तो केवल 53 फीसदी स्वास्थ्य केंद्रों में पानी की व्यवस्था है। वहीं केवल 21 फीसदी में टॉयलेट जैसी बुनियादी सुविधाएं हैं। वहीं केवल 32 फीसदी में आम लोगों के लिए हाथ-धोने की व्यवस्था है, जबकि जिस जगह पर लोगों का इलाज होता है वहां 75 फीसदी सुविधाओं में हाथ की स्वच्छता पर ध्यान दिया जा रहा है। इसी तरह केवल 34 फीसदी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में कचरे को अलग करने और उनके ट्रीटमेंट की सुविधा उपलब्ध है।

रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर 92 फीसदी देश इसको लेकर जागरूक हुए हैं और वो इन सुविधाओं से जुड़ी स्थिति का विश्लेषण कर रहे हैं और मानकों पर विचार कर रहे हैं। हालांकि अभी भी इसके लिए बजट एक बड़ी समस्या है जिसके लिए यह देश संघर्ष कर रहे हैं। गौरतलब है कि स्वास्थ प्रणालियों में पानी, साफ-सफाई और स्वच्छता की क्या स्थिति है, उसकी निगरानी केवल 14 फीसदी देश कर रहे हैं, जबकि 2023 तक इसके लिए 100 फीसदी का लक्ष्य तय किया गया था।

बेहद मामूली है बुनियादी सुविधाओं पर होने वाला खर्च

इसी तरह 2022 में केवल 12 फीसदी देश इन बुनियादी सुविधाओं से जुड़े बजट के 75 फीसदी से ज्यादा हिस्से का इंतजाम कर पाई थी। जो स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि अभी भी बड़ी संख्या में देश इस मामले में काफी पीछे हैं।

देखा जाए तो इन बुनियादी सुविधाओं पर होने वाला खर्च बेहद मामूली है, लेकिन इसके बावजूद इस मामले में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है। यदि कमजोर देशों की बात करें तो इन देशों के स्वास्थ्य केंद्रों में इसकी सुविधा उपलब्ध कराने पर प्रति व्यक्ति 50 रूपए से भी कम खर्च आएगा, जो इन देशों में प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य पर किए जा रहे बजट का छह फीसदी भी नहीं है। लेकिन इसके बावजूद देश इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

यदि कोरोना को ध्यान में रखते हुए देखें तो इस महामारी के बावजूद हमने अभी सीख नहीं ली है और फिर से उसी पुराने ढर्रे पर चल रहें हैं। ऐसा ही कुछ इन वॉश सुविधाओं से जुड़े आंकड़ों का हाल है। इनमें सुधार जरूर हुआ है लेकिन इनमें अभी भी बड़े डेटा गैप मौजूद हैं। विशेष रूप से स्वच्छता और पर्यावरण की सफाई के मामले में यह कहीं ज्यादा स्पष्ट हैं।

हालांकि, 2019 के बाद से आंकड़ों की उपलब्धता में काफी सुधार हुआ है। वैश्विक स्तर पर जहां 2019 में 5,50,000 सुविधाओं ने आंकड़े दिए थे वहीं 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर नौ लाख पर पहुंच गया है। इसके बावजूद अभी भी साफ-सफाई, स्वच्छता, स्वास्थ्य देखभाल, अपशिष्ट, पर्यावरण सफाई और बिजली से जुड़े आंकड़ों पर ध्यान दिया जाना बाकी है।

हालांकि 2023 तक सभी देशों द्वारा पानी, साफ-सफाई और कचरा प्रबंधन जैसी बुनियादी सुविधाओं को स्वास्थ्य सबंधी नीतियों, योजनाओं, बजट और उनके क्रियान्वयन से जोड़ने का लक्ष्य था लेकिन हकीकत अभी भी लक्ष्यों से काफी दूर है। आंकड़ों के मुताबिक दुनिया के केवल 14 फीसदी देश ही इन बुनियादी सुविधाओं को स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली से जोड़ पाए हैं।

यदि 2020 से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उस समय तक 52 फीसदी देशों ने स्वास्थ्य केंद्रों में पानी, साफ-सफाई और कचरा प्रबंधन जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर मानक तैयार कर लिए थे, जबकि करीब-करीब 100 फीसदी देशों ने इसके ड्राफ्ट तैयार किए थे या अपने पुराने मानकों को अपडेट किया था। लेकिन 2022 तक इस दिशा में मामूली वृद्धि हुई है, क्योंकि ड्राफ्ट तो तैयार है लेकिन उन्हें जमीनी हकीकत से जोड़ा जाना अभी भी बाकी है।

नहीं किया जा सकता करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य के साथ समझौता

यह एक ऐसा विषय है जिसपर तत्काल कार्रवाई की जरूरत हैं क्योंकि लोगों के स्वास्थ्य के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। यहां मुद्दा लाखों लोगों की जान का है। पानी, बिजली, साफ-सफाई, और स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाएं संक्रमण की रोकथाम के साथ उसके प्रसार को रोकने में भी मददगार हो सकती हैं। साथ ही इनकी मदद से बढ़ते  रोगाणुरोधी प्रतिरोध को भी रोका जा सकता है।

यदि मौजूदा आंकड़ों को देखें तो 50 लाख बच्चे अपना पांचवा जन्मदिन भी नहीं देख पाते। इनमें से आधे नवजाते थे। वो उन वजहों से अपनी जान गंवा रहे हैं जिन्हें रोका जा सकता था। इनमें से कई का जीवन साफ पानी और स्वच्छता जैसे साधारण समाधानों से बचाया जा सकता था।

आंकड़ों के मुताबिक इनमें से 43 फीसदी नवजातों की मौत उप-सहारा अफ्रीका में हुई हैं, जहां केवल आधे स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों के पास पानी की सुविधा उपलब्ध है। ऐसे में इन स्वास्थ्य केंद्रों में साफ पानी और स्वच्छता की व्यवस्था लाखों बच्चों और उनकी माओं का जीवन बचा सकती है।

इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन के पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य विभाग की निदेशक डॉक्टर मारिया नीरा का कहना है कि, "अक्सर यह बहाना बनाया जाता है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से निपटना बहुत महंगा है, लेकिन यह सही नहीं है। हम समझते हैं कि स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों के लिए बिजली, पानी, स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना बेहद जरूरी और सस्ता दोनों है।"

उनके मुताबिक, "हमारे पास कोई बहाना नहीं है, समय समाप्त हो रहा है। यह बुनियादी सुविधाएं बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और जीवन रक्षक प्रथाओं के लिए बेहद जरूरी हैं।"