स्वास्थ्य

चिली में पहली बार इंसानों में मिला एच5एन1 बर्ड फ्लू का मामला, नए म्यूटेशन्स का भी चला पता

पिछले शोधों से इस बात की पुष्टि हुई है कि वायरस में होते यह म्युटेशन उसको कहीं ज्यादा खतरनाक बना सकते हैं। इनकी वजह से यह वायरस कहीं ज्यादा आसानी से फैल सकते हैं

Lalit Maurya

वैज्ञानिकों ने एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस एच5एन1 में नए म्युटेशन की पहचान की है। हाल ही में इस वायरस ने चिली में एक व्यक्ति को संक्रमित किया था। गौरतलब है कि एवियन इन्फ्लूएंजा एच5एन1 पक्षियों में होने वाली बीमारी है। जिनका इंसानों में पाया जाना दुर्लभ है। हालांकि अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल इस वायरस से लोगों को कोई खास खतरा नहीं हैं।

इस बारे में अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र से जुड़े अधिकारियों ने द न्यूयॉर्क टाइम्स को जानकारी दी है कि पिछले महीने चिली में एवियन इन्फ्लूएंजा से ग्रस्त व्यक्ति से लिए नमूनों में दो जेनेटिक म्यूटेशन्स मिले हैं।

स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि पिछले शोधों से भी इस बात की पुष्टि हुई है कि यह बदलाव वायरस को अधिक खतरनाक बना सकते हैं। इनकी वजह से यह कहीं आसानी से फैल सकते हैं। हालांकि उनका यह भी कहना है कि इस बात के कोई सबूत नहीं है कि यह म्युटेशन वायरस को किसी व्यक्ति के फेफड़ों में आसानी से फैलने देंगें।

वहीं यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (ईसीडीसी) ने इस बारे में जानकारी दी है कि इस वायरस का इंसान से इंसान में फैलने का खतरा कम रहता है, लेकिन जो नए बदलाव देखे गए हैं वो 'चिंताजनक' हैं। इससे पता चलता है कि एच5एन1 वायरस के इंसानों में फैलने का जोखिम बढ़ रहा है।

सीडीसी के अधिकारियों का कहना है कि यह म्यूटेशन केवल एक मरीज में दिखाई दिया है, हो सकता है कि आदमी के बीमार होने के बाद हुआ हो। उनका कहना है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि म्युटेट हुआ वायरस अन्य फ्लू वायरसों के साथ मिलकर लोगों में फैल रहा है। न ही वो मौजूदा दवाओं से लड़ने या टीकों से बचने की क्षमता विकसित कर रहा है।

हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि हमें इन बदलावों के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है जो इन वायरसों को अधिक खतरनाक बना देंगें।

हाल ही में चिली के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की थी कि देश में पहली बार इंसानों में एवियन इन्फ्लूएंजा ए (एच5एन1) का पता चला है। उत्तरी चिली में एक 53 वर्षीय व्यक्ति में एवियन इन्फ्लूएंजा के लक्षण मिले थे, जिसकी जांच के बाद इस बात की पुष्टि हो गई है कि वो व्यक्ति बर्ड फ्लू से संक्रमित था।

अब तक 458 लोगों की जान ले चुका है एच5एन1

अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक यह दक्षिण अमेरिका में एच5एन1 बर्ड फ्लू का दूसरा मामला है, इससे पहले दिसंबर में इक्वाडोर में भी इंसानों में एवियन इन्फ्लूएंजा (एच5) का मामला सामने आया था।

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) द्वारा एच5एन1 पर जारी रिपोर्ट के मुताबिक इसके संक्रमण का पता चलना हैरान कर देने वाला नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक जंगली पक्षियों और पोल्ट्री में इसके व्यापक प्रसार के चलते इंसानों में इसकी छिटपुट घटनाओं का होना आम है।

अभी कुछ दिनों पहले एवियन इन्फ्लूएंजा के एक सबटाइप एच3एन8 से मौत का पहला मामला सामने आया था। दुनिया में पहला मौका है जब एच3एन8 बर्ड फ्लू ने किसी इंसान की जान ली है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 16 मार्च 2023 को चीन में एक महिला की एच3एन8 संक्रमण से मौत हो गई थी। ग्वांगडोंग प्रांत की यह 56 वर्षीय महिला 22 फरवरी 2022 को बीमारी पाई गई थी।

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इंसानों में फैले एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस के अधिकांश मामले संक्रमित पोल्ट्री या दूषित वातावरण के संपर्क में आने से जुड़े थे। "चूंकि पक्षियों में एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस से जुड़े मामले अब भी सामने आ रहे हैं, ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि भविष्य में इसके छिटपुट मामले इंसानों में भी सामने आ सकते हैं।

गौरतलब है कि एवियन इन्फ्लूएंजा के इस प्रकार, एच5एन1 का मामला पिछले महीने उस समय सुर्खियों में आ गया था, जब कंबोडिया में संक्रमण से एक 11 वर्षीय बच्ची की मौत हो गई थी। इससे कुछ समय पहले, यह वायरस नियमित तौर पर कई स्तनधारी जीवों में पाया गया था। इनमें मिंक, भालू, लोमड़ियां, स्कंक्स, पॉसम, रैकून और सील शामिल थे।

पता चला है कि हांगकांग में 1997 में इंसानों में फैले प्रकोप के बाद से अब तक इसके 873  से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से आधे मामले जानलेवा थे, जिनमें 458 लोगों की जान चली गई थी। इनमें से अधिकांश संक्रमित लोगों में यह वायरस सीधे पक्षियों से फैला था।