स्वास्थ्य

श्मशान घाट से ग्राउंड रिपोर्ट: क्या लखनऊ में भी छिपाए जा रहे हैं कोविड-19 के मौत के आंकड़ें

डाउन टू अर्थ ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लखनऊ में कोविड-19 से होने वाली मौतों के आंकड़ों का शवदाह गृह के आंकड़ों से मिलान किया

Ranvijay Singh

देश में कोविड-19 महामारी का दूसरा दौर शुरू चुका है। एक बार फिर से सरकार के आंकड़े भयावह हो चुके हैं। 9 अप्रैल 2021 को जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटे में कोविड-19 की वजह से 780 मौतें हुई और कुल मरने वालों की संख्या 1,67,642 हो चुकी है, लेकिन क्या यह आंकड़े सही है। डाउन टू अर्थ ने कुछ शहरों के श्मशान घाटों में जाकर यह जानने की कोशिश की, जो बेहद चौंकाने वाले हैं। बिहार की राजधानी पटना का हाल पढऩे के लिए क्लिंक करें, श्मशान घाट से ग्राउंड रिपोर्ट: क्या कोविड-19 से मौत के आंकड़े छिपा रही है बिहार सरकार? । अब पढ़ें, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का हाल - 


"मैंने कल 19 लाशों को जलाया। आज दोपहर के 12 बज रहे हैं और 15 लाशों का टोकन बंट चुका है, इन्‍हें भी आज जलाना है। होली के बाद से ही हालत खराब है। हर द‍िन 20 के आस-पास लाशें आ रही हैं," लखनऊ के बैकुण्‍ठ धाम में विद्युत शवदाह गृह में लाशों का अंतिम संस्‍कार करने वाले मुन्‍ना कहते हैं।

मुन्‍ना की बातों की गवाही बैकुण्‍ठ धाम के बाहर लाइन से खड़ी एंबुलेंस भी देती हैं। यहां एंबुलेंस के चालकों को टोकन द‍िए जा रहे हैं, किसी का 11वां नंबर है तो किसी का 12वां नंबर है। "मैं बॉडी लेकर 11 बजे आ गया था। यहां टोकन कटा और 12वां नंबर मिला है। बताया गया कि शाम तक नंबर आ पाएगा," बैकुण्‍ठ धाम के बाहर अपनी बारी का इंतजार करते एंबुलेंस ड्राइवर कन्‍हैयालाल ने बताया।

देश में एक बार फिर कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। इसी कड़ी में उत्‍तर प्रदेश में भी कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। उत्‍तर प्रदेश का लखनऊ अभी कोरोना के लिहाज से हॉटस्‍पॉट बना हुआ है। आठ अप्रैल तक लखनऊ में कोरोना के 10,749 एक्‍ट‍िव मामले थे, जबकि उत्‍तर प्रदेश में 39,338 एक्‍ट‍िव मामले थे।

आठ अप्रैल को ही यूपी में कोरोना के 8,490 नए मामले दर्ज किए गए, इसमें से लखनऊ में 2369 मामले थे। वहीं, यूपी सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, आठ अप्रैल को यूपी में 39 लोगों की कोरोना से मौत हुई, इसमें से 11 मौतें लखनऊ में दर्ज की गईं।

हालांकि, बैकुण्‍ठ धाम में जलती लाशों के हिसाब से यह आंकड़ा काफी पीछे छूट जाता है। मुन्‍ना के मुताबिक, आठ अप्रैल को dही उसने 19 लाशों का अंतिम संस्‍कार किया, यही सभी कोरोना से जुड़ी लाशें थीं। मुन्‍ना कहते हैं, "हमें आदेश है कि बिजली से केवल कोरोना से संबंध‍ित बॉडी को ही जलाया जाए। अगर किसी की मौत कोरोना से नहीं होती तो उसकी बॉडी लकड़ी से जलाई जाएगी।"

लखनऊ के बैकुण्‍ठ धाम में कोरोना से जुड़े अंतिम संस्‍कार
6 अप्रैल: 18 अंतिम संस्‍कार
7 अप्रैल: 22 अंतिम संस्‍कार
8 अप्रैल: 18 अंतिम संस्‍कार

लखनऊ में कोरोना से जुड़ी मौतें (सरकार द्वारा जारी आंकड़े)
6 अप्रैल: 7 मौत
7 अप्रैल: 6 मौत
8 अप्रैल: 11 मौत

इन आंकड़ों से साफ होता है कि मौत के आंकड़ों और बैकुण्‍ठ धाम के आंकड़ों में जमीन आसमान का फर्क है। यह बात बैकुण्‍ठ धाम के बाहर लगी भीड़ से भी समझ आती है। विद्युत शवदाह गृह के बगल में ही गुमटी लगाने वाले सुनील बाजपेयी कहते हैं, "होली के बाद से ही भीड़ बढ़ने लगी है। ऐसी भीड़ प‍िछले साल लॉकडाउन के बीच देखने को मिलती थी। फिर भीड़ घटती गई। होली के पहले तक तो एक द‍िन में 4-5 गाड़‍ियां भी आ जाएं तो बहुत था, लेकिन अब तो बहुत भीड़ है।"

विद्युत शवदाह गृह में एक अंतिम संस्‍कार करने में करीब 45 मिनट का वक्‍त लगता है। इस बीच बढ़ी भीड़ की वजह से मुन्‍ना को बैठने तक की फुर्सत नहीं होती। "मेरे साथ एक लड़का काम करता है। हम सुबह से लगे रहते हैं और रात हो जाती है। यह बीमारी ऐसी है कि अपने लोग हाथ नहीं लगा रहे, लेकिन हमारा काम है तो करना पड़ेगा," राख से सने हाथों को झाड़ते हुए मुन्‍ना कहते हैं।

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