स्वास्थ्य

श्मशान घाट से ग्राउंड रिपोर्ट: उत्तराखंड में भी कोविड-19 से हो रही मौत के आंकड़ों से खेल?

उत्तराखंड में 5 अप्रैल से 11 अप्रैल के बीच कुल 33 लोगों की मौत कोविड-19 से हुई। इनमें से 29 मौतें देहरादून में हुई

Trilochan Bhatt

देश के कई शहरों से आने वाली रिपोर्ट बता रही हैं कि सरकारों की ओर से कोविड-19 से होने वाली मौतों का जो आंकड़ा दिया जा रहा है, उसके मुकाबले श्मशान घाटों पर कोविड से मरने वालों के अंतिम संस्कार का आंकड़ा बहुत ज्यादा है। लेकिन, उत्तराखंड में स्थिति पूरी तरह से उलट है। यहां के श्मशान घाटों पर कोरोना से मरने वालों का जो आंकड़ा बताया जा रहा है, वह सरकारी आंकड़ों के मुकाबले आधे से भी कम है।

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या श्मशान घाटों पर कोविड-19 से मरने वालों की संख्या कम करके बताई जा रही है? सवाल यह भी है कि क्या ऐसा जानबूझ कर किया जा रहा है या श्मशान घाटों पर ऐसे आदेश दिये गये हैं? और यह भी कि कहीं मरने वालों की संख्या घोषित आंकड़ों से ज्यादा तो नहीं हैं? स्थिति का जायजा लेने के लिए ‘डाउन टू अर्थ’ ने देहरादून और हरिद्वार के कई श्मशान घाटों की छानबीन की।

उत्तराखंड में कोविड-19 से हुई मौतों के सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो 11 अप्रैल तक राज्य में कुल 1760 लोगों की मौत दर्शायी गई है। इनमें अकेले देहरादून जिले में 1008 लोगों की मौत हुई है। राज्य में एक बार फिर कोरोना विस्फोट जैसी स्थिति है। 11 अप्रैल को राज्य में 1313 नये मरीज सामने आये और देहरादून में सबसे ज्यादा 589 मरीज आये। राज्य के मुकाबले देहरादून में पाॅजिटिविटी रेट ज्यादा और रिकवरी रेट कम है।

राज्य में पाॅजिटिविटी रेट 3.57 प्रतिशत और देहरादून में 8.21 प्रतिशत है। रिकवरी रेट राज्य में 89.96 प्रतिशत और देहरादून में 86.86 प्रतिशत है।

उत्तराखंड में सरकारी आंकड़ों के अनुसार गत 5 अप्रैल से 11 अप्रैल के बीच कुल 33 लोगों की मौत कोविड-19 से हुई। इनमें से 29 मौतें देहरादून में हुई। देहरादून में कोविड-19 से मरने वालों के अंतिम संस्कार के लिए अलग से श्मशान घाट बनाया गया है। ‘डाउन टू अर्थ’ ने इस श्मशान घाट पर जाकर देखा तो वहां सन्नाटा पसरा हुआ था। केयर टेकर इमरत पाल मिला। पूछने पर उसने वहां दीवार पर कोयले से लिखे एक फोन नंबर की तरफ इशारा किया। यह नंबर विजय तिवारी का था, जिन्हें प्रशासन ने इस श्मशान घाट का ठेका दिया है।

विजय तिवारी ने बताया कि 5 अप्रैल से 11 अप्रैल के बीच इस श्मशान घाट पर 7 लोगों का अंतिम संस्कार किया गया। विजय तिवारी से आशंका जताई कि कोविड से मरने वालों को जानबूझ कर दूसरी जगह अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा है, ताकि मरने वालों की संख्या का पता न चले।

इसके बाद ‘डाउन टू अर्थ’ ने शहर के लक्खीबाग और नालापानी श्मशान घाट का रुख किया। दोनों जगह बताया गया कि कि वहां कोविड से मरने वालों का अंतिम संस्कार नहीं किया जा रहा है। आखिर देहरादून में एक हफ्ते में मरने वाले बाकी 26 लोगों का अंतिम संस्कार कहां किया गया? हालांकि इस बीच देहरादून प्रशासन ने कोविड-19 से मरने वालों के परिजनों को जहां चाहें वहां अंतिम संस्कार करने की छूट दी है, लेकिन इसमें एक शर्त यह भी रखी गई है कि जहां शव ले जाया जा रहा है, वहां के जिला प्रशासन की अनुमति जरूरी है। देहरादून से बाहर केवल हरिद्वार जिले से ही आसानी से अनुमति मिल पा रही है।

अस्पतालों से शव ले जाने वाले एंबुलेंस वाले खुद ही हरिद्वार के लिए ऐसी व्यवस्था कर लेते हैं। पता चला कि देहरादून के अस्पतालों में मरने वाले ज्यादातर कोविड-19 मरीजों को अंतिम संस्कार के लिए हरिद्वार ले जाया जा रहा है।

हरिद्वार में खड़खड़ी श्मशान घाट राज्य का सबसे बड़ा श्मशान घाट है। 11 अप्रैल को दिन में 2 बजे के करीब यहां 7 चिताएं जल रही थी। श्मशान घाट समिति के कार्यालय में मौजूद कर्मचारी ने बताया कि आज यहां कोरोना वाली कोई डेडबाॅडी नहीं आई है। कर्मचारी ने अपना नाम बताने और रजिस्टर दिखाने में असमर्थता जताई। उसका कहना था कि दूसरे तीसरे दिन एक या दो कोरोना से मरने वालों की डेडबाॅडी का अंतिम संस्कार किया जाता है।

कर्मचारी ने बताया कि एक हफ्ते में 6 कोरोना से मरने वालों का अंतिम संस्कार हुआ है। इस श्मशान घाट पर कोविड -19 से मरने वालों का अंतिम संस्कार करने के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है। कर्मचारी ने बताया कि पहले कोविड से मरने वालों का अंतिम संस्कार करने वाले अस्पताल के कर्मचारी होते थे, वे पीपीई किट पहने होते थे। अब ऐसा नहीं है। सभी का अंतिम संस्कार सामान्य रूप से किया जा रहा है।

हरिद्वार का दूसरा श्मशाम घाट कनखल है। यहां बोर्ड लगाकर कोविड-19 से मरने वालों के अंतिम संस्कार के लिए अलग से शेड रिजर्व किये गये हैं। दोपहर बाद 3 बजे यहां करोना के लिए रिजर्व बताये गये शेडों में दो शव जलाये जा रहे थे। यहां भी ड्यूटी दे रहे कर्मचारी ने अपना नाम और रजिस्टर नहीं दिखाया। उसने बताया कि आज कोई कोरोना वाला नहीं लाया गया है। एक हफ्ते में तीन कोरोना वालों को अंतिम संस्कार किया गया है।

जब रिजर्व शेड में शव जलाये जाने के बारे में पूछा गया तो कर्मचारी का कहना था कि जब कोई कोविड वाला नहीं आता तो सामान्य मौत वाले शवों का अंतिम संस्कार इनमें कर लेते हैं। कोविड वालों का अंतिम संस्कार किसी और शेड में नहीं करते। कुल मिलाकर देहरादून और हरिद्वार के श्मशान घाटों में एक हफ्ते के दौरान कोविड से मरने वाले 13 लोगों का अंतिम संस्कार किया गया। बाकी 20 मृतकों का अंतिम संस्कार कहां हुआ, इस सवाल का जवाब नहीं मिल पाया।

11 अप्रैल को उत्तराखंड में कोविड-19 से 8 लोगों की मौत सरकारी आंकड़ों में दिखाई गई है। इनमें से एक शव का अंतिम संस्कार देहरादून के कोविड श्मशान घाट पर किया गया। हरिद्वार के खड़खड़ी और कनखल श्मशान घाट पर भी दोपहर 3 बजे तक कोरोना से मरने वाले किसी व्यक्ति का शव नहीं ले जाया गया था। देहरादून से सामान्य परिस्थितियों में लोग अपने परिजनों के शव अंतिम संस्कार के लिए अपने पैतृक गांव ले जाने के बजाय हरिद्वार ले जाते हैं। ऐसी बहुत कम संभावना है कि कोविड से मरने वालों के शव लोग अपने पैतृक गांव ले जा रहे हों। ऐसे में सवाल फिर वही है कि 11 अप्रैल को देहरादून के अस्पतालों में मरने वाले 7 लोगों का अंतिम संस्कार कहां किया गया? और श्मशान घाटों पर कोविड से मरने वालों की संख्या क्यों छिपाई जा रही है?