स्वास्थ्य

पोषण अभियान का सरकार ने घटाया बजट, संसदीय समिति नाराज

संसदीय समिति ने कहा कि सरकार पिछले तीन साल से लगातार अनुमानित बजट, संशोधित बजट के मुकाबले वास्तविक बजट में काफी कमी कर रही है

Raju Sajwan

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही आंगनवाड़ी सेवाओं और पोषण अभियान के बजट में आ रही लगातार गिरावट पर विभाग की संसदीय समिति ने नाराजगी जताई है। समिति ने मंत्रालय के कुल बजट जो जीडीपी के मुकाबले 0.13 प्रतिशत है को भी नाकाफी बताया है।

शिक्षा, महिला, बाल, युवा एवं खेल पर बनी विभाग संबंधी संसदीय समिति की रिपोर्ट 16 मार्च 2022 को राज्यसभा और लोकसभा में रखी गई। यह रिपोर्ट केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के डिमांड फॉर ग्रांट्स 2022-23 पर आधारित थी।

रिपोर्ट में कहा गया कि केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के वर्ष  2021-22 के कुल बजट 24,435 करोड़ रुपए का था, जिसे संशोधित करके 23,200 करोड़ किया गया। अब वित्त वर्ष 2022-23 में 25,172 करोड़ रुपए किया गया है, इसमें लगभग 80 फीसदी (20,263 करोड़ रुपए) राशि सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 के लिए रखा गया है।

यह बजट कुल जीडीपी का 0.13 प्रतिशत महिला एवं बाल कल्याण विभाग, जबकि जनगणना 2011 के मुताबिक इनकी कुल आबादी में 67.7 प्रतिशत हिस्सेदारी है। 

रिपोर्ट में कहा गया कि वास्तविक बजट में लगातार कमी आ रही है। जहां 2018-19 में वास्तविक बजट 22,534.33 करोड़ रुपए था, 2019-20 में बढ़कर 22,679.90 करोड़ हुआ, लेकिन उसके बाद लगातार घट रहा है। 20202-21 में 18744.13 करोड़ रुपए और 2021-22 में घटकर 17078.15 करोड़ रुपए (25 फरवरी 2022 तक) हो गया।

विभाग की ओर से समिति को बताया गया कि 2019-20 में अनुमानित बजट (बीई) 29,164.90 करोड़ रुपए था, लेकिन इसे घटाकर संशोधित अनुमान (आरई) 26,184.50 कर दिया गया, क्योंकि कई राज्यों से यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट नहीं मिल पाया और कुछ राज्यों ने बजट खर्च ही नहीं किया। इतना ही नहीं, किशोरियों के लिए चल रही योजनाओं के नियम में बदलाव होने से लाभार्थियों की संख्या 17 लाख से घटकर 10 लाख हो गई।

इसी तरह 2021-22 में अनुमानित बजट 24,435 09 को घटाकर संशोधित बजट 23,200 करोड़ रुपए का कर दिया गया। इसके पीछे तर्क दिया गया कि कोविड-19 के कारण कई नियोजित गतिविधियां नहीं हो पाई।

वहीं, केंद्र प्रायोजित योजनाओं के अनुमानित बजट, संशोधित बजट और वास्तविक बजट में भी भारी कमी देखी गई। 2019-20 में आंगनवाड़ी सेवाओं का अनुमानित बजट 19,834.37 करोड़ रुपए था, जो घटकर 17,704.5 करोड़ रुपए संशोधित किया गया, जबकि वास्तविक बजट 16893.55 करोड़ रुपए रहा।

इसी तरह अगले वर्ष 2020-21 में अनुमानित बजट 20,532.28 करोड़ रुपए था, इसे संशोधित करके 17,252.31 करोड़ किया गया, लेकिन वास्तविक बजट 2019-20 से भी कम करके 15784.41 करोड़ रुपए कर दिया गया।

आंगनवाड़ी सेवाओं के मुकाबले पोषण अभियान के बजट में भारी कटौती की गई। 2019-20 में 3,400 करोड़ रुपए अनुमानित बजट था। संशोधित बजट भी 3400 करोड़ रुपए रहा, लेकिन वास्तविक बजट 1880.09 करोड़ रुपए किया गया।

अगले वर्ष यानी 2020-21 में अनुमानित बजट में तो वृ्द्धि करके 3,700 करोड़ रुपए किया गया, लेकिन संशोधित बजट में भारी कटौती करते हुए 600 करोड़ रुपए कर दिया और वास्तविक बजट घटकर 408.27 करोड़ रुपए ही रह गया।

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अनुमानित और संशोधित बजट के मुकाबले वास्तविक खर्च में भारी गिरावट का ट्रेंड दिखाई दे रहा है। यह केवल दुखद नहीं है, बल्कि इससे ये संकेत भी मिलते हैं कि इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। इसके अलावा बजट में घोषित फंड को यदि उपयोग में नहीं लाया जा रहा है तो यह भी चिंता का विषय है।

राष्ट्रीय पोषण मिशन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ मार्च 2018 को राष्ट्रीय पोषण मिशन लॉन्च किया। मकसद था कि ठिगनेपन, कुपोषण, अनीमिया और जन्म के समय बच्चे के कम वजन को रोकना। 

इसी मिशन में किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और दूध पिलाने वाली महिलाओं में कुपोषण की समस्या को रोकना। इस मिशन में आंगनवाड़ी सेवाएं के के तहत छह सेवाएं दी जाती हैं। जिसमें सप्लीमेंटरी न्यूट्रिएशन, स्कूल से पूर्व की शिक्षा, पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच और रेफरल सेवाएं शामिल हैं।

पोषण 2.0 मिशन केंद्र सरकार द्वारा पहले से चलाई जा रही मिड डे मील का नया नाम है। जिसमें स्कूल जाने वाले बच्चों को पका पकाया भोजना उपलब्ध कराना है। इसका प्रमुख लक्ष्य शून्य से छह साल तक के बच्चों में स्टटिंग की दर को साल 2022 तक 38.4 प्रतिशत से 25 प्रतिशत करना है।