स्वास्थ्य

मलेरिया को रोकने में अहम भूमिका निभा सकता है जीनोम सिक्वेंसिंग

Dayanidhi

जीनोम सिक्वेंसिंग और जेनेटिक इंजीनियरिंग का उपयोग एक विशेष रूप से चयनित दवा अणु या यौगिक मलेरिया परजीवी प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम को लाल रक्त कोशिकाओं पर आक्रमण करने से रोक सकता है। यह अध्ययन बर्नेट इंस्टीट्यूट की अगुवाई में किया गया है। 

अध्ययन मलेरिया के लिए बहुत जरूरी नई दवाओं के विकास के लिए नया अवसर प्रदान करता है। ताकि इसके कारण 2021 में दुनिया भर में 619,000 से अधिक होने वाली मौतों को भविष्य में रोका जा सके। यह बीमारी मुख्य रूप से प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के संक्रमण के कारण होती है।

अध्ययन में लाल रक्त कोशिका पर आक्रमण के एक विशिष्ट अवरोधक के रूप में यौगिक की पहचान करने के बाद, शोधकर्ताओं की टीम ने रिवर्स जेनेटिक्स का उपयोग किया। जिसे यह पता लगाने के लिए किया कि दवा एक्टिन नामक प्रोटीन से कैसे जुड़ी होती है, जिसे मलेरिया लाल रक्त कोशिकाओं में तोड़ने के लिए उपयोग करता है तथा जहां यह बढ़ता है प्रजनन करता है, जिससे बीमारी होती है।

प्रमुख अध्ययनकर्ता डॉ. मैडलिन डैन्स ने कहा, हमने पता लगाया कि यह यौगिक परजीवी एक्टिन को इस तरह से प्रभावित करता है। यह बायोमैकेनिकल प्रभाव को खत्म करने से रोकता है, जिससे परजीवी को लाल रक्त कोशिका में प्रवेश करने से रोकते हैं। डॉ. डैन्स, वाल्टर और एलिजा हॉल संस्थान (डब्ल्यूईएचआई) के पोस्टडॉक्टोरल शोधकर्ता  हैं।

आगे वाल्टर और एलिजा हॉल संस्थान के रसायनज्ञों ने दवा के बहुत अधिक शक्तिशाली रूपों को विकसित किया। यह एक दवा बनाने के लिए महत्वपूर्ण आधार है ताकि बीमार व्यक्ति को केवल इसकी थोड़ी मात्रा लेने की जरूरत पड़े।

बर्नेट इंस्टीट्यूट के मलेरिया विषाणु और दवाओं की खोज टीम के सह-प्रमुख तथा एसोसिएट प्रोफेसर पॉल गिलसन ने कहा कि मलेरिया के इलाज के लिए उपयोग की जा रही मौजूदा दवाओं के बढ़ते प्रतिरोध के कारण नई दवाओं को विकसित करने की तत्काल जरूरत है।

प्रोफेसर गिलसन ने कहा, मौजूदा दवाएं, परजीवी उनके लिए प्रतिरोधी बन रहे हैं और यह चिंता का विषय है क्योंकि प्रतिरोधी म्युटेशन या उत्परिवर्तन दुनिया भर में बढ़ रहे हैं।

इन दवाओं के समाप्त हो जाने के बाद वास्तव में आने और उनकी जगह लेने के लिए कुछ भी नहीं है, इसलिए हमें नए यौगिकों को तैयार रखना होगा।

अगर हम मलेरिया को मिटाने या खत्म करने जा रहे हैं तो हमें दवाओं की एक नई पीढ़ी तैयार करनी होगी, जब मौजूदा दवाएं विफल होने लगेंगी।

डॉ. डैन्स ने कहा कि शोध का अगला चरण यौगिक के एक अधिक मजबूत रूप को तैयार करना है जो शरीर में एक प्रभावी मलेरिया-रोधी दवा के रूप में लंबे समय तक रह सके।

यह खोज बर्नेट इंस्टीट्यूट, एलिजा हॉल संस्थान (डब्ल्यूईएचआई), डीकिन यूनिवर्सिटी की स्थानीय टीमों और फिनलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ औलू, जर्मनी की लुडविग मैक्सिमिलियन यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ बर्गन, नॉर्वे के अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के बीच एक साझेदारी का परिणाम था।

विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) की नवीनतम विश्व मलेरिया रिपोर्ट में मलेरिया के मामलों का रुझान ऊपर की ओर बढ़ता दिख रहा है। 2020 में 24.5 करोड़ और 2019 में 23.2 करोड़ की तुलना में 2021 में दुनिया भर में 24.7 करोड़ तक पहुंच गई। यह अध्ययन पीएलओएस बायोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।