स्वास्थ्य

कोविशील्ड टीका लेने वालों में अब तक चार की मौत, प्राधिकरणों ने कहा मृत्यु का टीके से कोई संबंध नहीं

देश में कोरोना वायरस से बचाव के लिए टीकाकरण का अभियान जारी है, लेकिन अब तक 4 ऐसी मौतें भी देश में हुई हैं जिनमें टीका लेने के बाद मृत्यु का एक ही तरह का पैटर्न दिखाई दिया है

Vivek Mishra

देश में एक तरफ कोरोनावायरस से लड़ने के लिए जारी टीकाकरण में सरकार काफी उत्साह में है तो दूसरी तरफ आम लोगों में टीके के प्रभाव पर अलग-अलग राय बनी हुई है। इसका बड़ा कारण है कि अब तक देश में कोविड से बचाव का टीका लगवाने वालों में कुल चार लोगों की मृत्यु एक ही पैटर्न पर हृदयाघात के कारण हो गई है। हालांकि, सरकार और संबंधित राज्यों के स्वास्थ्य विभाग बार-बार यह कह रहे हैं कि इन मौतों का कारण टीका नहीं है और न ही कोविड टीके से इनकी मौत का कोई संबंध है। 

मृत्यु का ताजा मामला एक 59 वर्षीय ऑर्थोपेडिक सर्जन का है। वे कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले में जेपी हॉस्पिटल के मालिक भी थे। 20 जनवरी, 2021 की सुबह उनकी मृत्यु हो गई। ठीक दो दिन पहले उन्हें कोविशील्ड टीका लगाया गया था। इस बात की पुष्टि द न्यू इंडियन एक्सप्रेस अखबार में छपी एक खबर ने की है। इस मृत्यु की वजह को लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से कहा गया है कि इसका टीके से कोई लेना देना नहीं है। संबंधित चिकित्सक की मृत्यु माईकार्डियल इनफ्रैक्शन (एमआई) की वजह से हुई है। चिकित्सकीय टर्म एमआई को आम प्रचलित रूप में हार्ट अटैक कहा जाता है।  

वहीं,  देश में यह चौथी ऐसी मौत है जिसमें एक समानता और इत्तेफाक यह है कि सभी को टीके लगाए गए थे। और टीका लगाए जाने के बाद उनके सीने में दर्द उठा और बाद में सभी हृदयाघात के शिकार हो गए। 

इससे पहले आंध्र प्रदेश के निर्मल जिले में, कर्नाटक के ही बल्लारी जिले और उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में ऐसी मौत हुई है, जिस पर सरकारी प्राधिकरणों ने स्पष्ट किया है कि इन सभी मौतों का टीके से कोई लेना-देना नहीं है। 

तेलंगाना में 20 जनवरी, 2020 को नोवेल कोरोनावायरस से बचाव के लिए कोविड वैक्सीन लेने वाले एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। यह तीसरी ऐसी संदिग्ध मौत है जो वैक्सीन लेने के बाद भारत में हुई है। हालांकि, प्राधिकरणों ने यह स्पष्ट किया है कि टीकाकरण के कारण कोई भी मृत्यु देश में नहीं हुई है। 

तेलंगाना के निर्मल जिले में 42 वर्ष उम्र के जिस व्यक्ति की मौत हुई थी वह कुंतला प्राइमरी हेल्थ सेंटर में एंबुलेंस ड्राइवर था। 

निर्मल जिले के स्वास्थ्य अधिकारी चेरुपल्ली धनराज ने डाउन टू अर्थ से इस बारे में तफसील से बताया था। उनके मुताबिक लाभार्थी को पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के जरिए निर्मित कोविशील्ड वैक्सीन मांगी थी। एंबुलेंस ड्राइवर को 19 जनवरी, 2020 को 11:30 बजे सुबह टीका लगाया गया था। उसे किसी तरह की तकलीफ नहीं हुई थी और न ही उसने अपनी ड्यूटी छोड़ी थी। वह शाम को 5 बजे घर गया लेकिन आधी रात के बाद 2.30 बजे उसे सीने में दर्द महसूस हुआ और वह जिला अस्पताल पहुंचाया गया। हालांकि, अस्पताल पहुंचने पर उसे मृत घोषित घर दिया गया। उसे स्पष्ट तौर पर हृदयाघात, जिसे मेडिकल भाषा मायोकैरडियल इंफ्रैक्शन (एमआई) के लक्षण थे और उसकी मृत्यु का टीके से कोई संबंध नहीं है। बातचीत के दौरान तक पोस्ट मार्टम रिपोर्ट नहीं आई थी, हालांकि चिकित्सकों का जोर था कि यह मौत एमआई के कारण हुई है।  वहीं, तेलंगाना जैसा मामला उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के बल्लारी में भी हुआ। 

कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य विभाग के 43 वर्षीय कर्मचारी को भी टीकाकरण के बाद सीने में दर्द हुआ और बाद में वह हृदयाघात का शिकार हो गया।

कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग ने 19 जनवरी, 2020 को जारी अपने बयान में कहा कि 16 जनवरी, 2020 को कर्मचारी को दोपहर एक बजे टीका लगाया गया था। 20 जनवरी, 2020 को सुबह 09:30 सुबह बजे हृदयाघात का शिकार हो गया। उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था जहां सुबह 11:15 बजे उसकी मृत्यु हो गई। वहीं, विभाग ने कहा कि उच्च स्तरीय उपचार उसे मुहैया कराया गया लेकिन इसके बावजूद उसकी जिंदगी बचाई नहीं जा सकी।

कर्नाटक के बल्लारी जिला स्तरीय एईएफआई टीम ने बिना पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट के अपनी रिपोर्ट में कहा कि मृत्यु का कारण मायोक्रैडियल इनफैरक्शन था। संबंधित व्यक्ति को भी कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई थी। 

वहीं यूपी के मुरादाबाद जिले में 52 वर्षीय वृद्ध और जिला अस्पताल में वार्ड ब्वॉय की मौत को पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट के हवाले से हार्ट अटैक और कार्डियोपल्मनरी डिजीज की वजह बताई गई है। संबंधित व्यक्ति की मृत्यु 17 जनवरी को हुई थी और एक दिन पहले उसे कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई थी।