वैज्ञानिकों के मुताबिक जरूरत से ज्यादा शक्कर हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरा है, जो हमारे शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। इस बारे में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए अध्ययन से पता चला है कि फ्री शुगर से शरीर को प्राप्त होने वाली हर पांच फीसदी अतिरिक्त ऊर्जा से हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा सात फीसदी बढ़ जाता है। इस अध्ययन के नतीजे जर्नल बीएमसी मेडिसिन में प्रकाशित हुए हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें की 'फ्री शुगर' का तात्पर्य उस शुगर से है जिसे भोजन या पेय पदार्थों में अलग से मिलाया जाता है या फिर यह वो शक्कर है जो पहले ही शहद, सिरप और फलों के रस में मौजूद होती है। यह शर्करा मुक्त होती हैं क्योंकि यह हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन की कोशिकाओं के अंदर नहीं होती है। इसमें ग्लूकोज, फ्रुक्टोज, सुक्रोज, टेबल शुगर शामिल हैं।
वहीं दूसरी तरफ फलों, सब्जियों और दूध में पाई जाने वाली शर्करा का हमारे स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है, क्योंकि वो फाइबर जैसे अतिरिक्त पोषक तत्वों के साथ होती है। यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा शक्कर को लेकर जारी दिशानिर्देशों को देखें तो एक औसत व्यक्ति को अपनी हर दिन की ऊर्जा खपत के पांच फीसदी से कम हिस्से के बराबर चीनी का सेवन करना चाहिए। मतलब की यदि स्वस्थ रहना है तो हर इन 25 ग्राम से कम शक्कर का सेवन करना चाहिए। उससे ज्यादा सेवन हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है।
डब्ल्यूएचओ ने भी इस बात की पुष्टि की है कि अगर दैनिक ऊर्जा खपत का 10 फीसदी से ज्यादा हिस्सा फ्री शुगर से प्राप्त करते हैं तो इससे वजन बढ़ने, मोटापे और दांतों में सड़न की समस्या पैदा हो सकती है।
सर्च के मुताबिक यह सिफारिशें काफी हद तक सीमित प्रमाणों पर आधारित हैं। देखा जाए तो इस अध्ययन के जो नतीजे सामने आए हैं वो विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों को पुख्ता करते हैं कि इन दिशानिर्देशों का पालन करने से लोगों में ह्रदय रोग होने का जोखिम घट सकता है।
क्या कुछ निकलकर आया अध्ययन में सामने
अपने इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यूके बायोबैंक से लिए 110,497 लोगों के आंकड़ों का विश्लेषण किया है। इस अध्ययन में शामिल लोगों ने अध्ययन के दौरान आहार संबंधी कम से कम दो आंकलन पूरे किए थे। उन्होंने इन लोगों के स्वास्थ्य पर औसतन 9.4 वर्षों तक नजर रखी थी। इस रिसर्च के दौरान इनमें से जहां 4,188 लोगों में ह्रदय रोग और स्ट्रोक दोनों का जोखिम पाया गया था। वहीं 3,138 में ह्रदय रोग और जबकि 1,124 में स्ट्रोक का जोखिम देखा गया।
अध्ययन के जो नतीजे सामने आए हैं उनके मुताबिक शक्कर युक्त पेय पदार्थों, फ्रूट जूस और मिठाई जैसे खाद्य पदार्थों में उच्च मात्रा में मौजूद चीनी हृदय रोग के खतरों को बढ़ा सकती है। जो नतीजे सामने आए हैं उनके मुताबिक यदि अपनी हर दिन की ऊर्जा खपत में चीनी की हिस्सेदारी पांच फीसद से ज्यादा हो तो इससे ह्रदय रोगों के होने का खतरा छह फीसदी और स्ट्रोक का जोखिम 10 फीसदी तक बढ़ जाता है।
इतना ही नहीं रिसर्च के मुताबिक यदि हम हर दिन पांच ग्राम से अधिक फाइबर का सेवन करते हैं तो इससे ह्रदय रोगों के होने का जोखिम चार फीसदी तक घट जाता है।
अपने अध्ययन के बारे में शोध से जुड़ी प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर रेबेका केली का कहना है कि, “शक्कर और ह्रदय रोगों के बीच सम्बन्ध का आंकलन करते समय चीनी के प्रकार और उसके स्रोत पर ध्यान देना जरूरी है।“
उनके अनुसार फ्री शुगर के स्थान पर नॉन-फ्री शुगर का उपयोग जो प्राकृतिक रूप से फलों और सब्जियों में पाई जाती है ह्रदय रोग और स्ट्रोक से बचाव में मददगार हो सकती हैं। इसके साथ ही उच्च मात्रा में फाइबर का सेवन भी कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से बचाव में मदद कर सकता है।