स्वास्थ्य

फ्लू दिल का दौरा पड़ने के खतरे को छह गुना बढ़ा सकता है: अध्ययन

Dayanidhi

एक नए अध्ययन में कहा गया है कि, संक्रामक जुकाम या फ्लू से पीड़ित लोगों को एक हफ्ते बाद दिल का दौरा पड़ने का छह गुना अधिक खतरा हो सकता है।

यह अध्ययन नीदरलैंड में यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर यूट्रेक्ट के शोधकर्ताओं की अगुवाई में किया गया है। अध्ययन में फ्लू के टीकाकरण कार्यक्रम के महत्व को उजागर करते हुए कहा गया है कि, इसके रोगियों और इलाज करने वाले डॉक्टरों को लक्षणों के बारे में जागरूकता होना बहुत जरूरी है।

विश्वविद्यालय के प्रमुख अध्ययनकर्ता डॉ. एनीमेरिजिन डी बोअर ने कहा, हमारे परिणाम टीकाकरण सहित फ्लू या इन्फ्लूएंजा के संक्रमण को रोकने के लिए रणनीतियों का समर्थन करते हैं। वे दिल के दौरे के लक्षणों के लिए चिकित्सकों और अस्पताल में भर्ती फ्लू के रोगियों के बीच जागरूकता बढ़ाने का सुझाव देते हैं।

डॉ. डी बोअर ने कहा, हालांकि यह हमारे अध्ययन के परिणामों से स्पष्ट नहीं है कि क्या कम गंभीर फ्लू वाले लोगों को भी खतरा है, उनको  इसके बारे में जानकारी होना महत्वपूर्ण है। यह निष्कर्ष भारत में एच3एन2 वायरस के कारण फैले फ्लू के बढ़ते मामलों को देखते हुआ आया है।

इन्फ्लूएंजा वायरस शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के हिस्से में सूजन पैदा करने के साथ-साथ रक्त के जमावट या थक्के को बढ़ाने के लिए जाना जाता है। धमनियों में जमा युक्त वसा या फैटी प्लेक धमनियों को कमजोर कर सकते हैं, जिसके कारण दिल का दौरा पड़ सकता है और जमा वसा दिल के खून की आपूर्ति को अवरुद्ध कर सकती है।

अध्ययन के लिए, टीम ने 2008 से 2019 के बीच इन्फ्लूएंजा के 26,221 मामलों के प्रयोगशाला परीक्षण के परिणामों का विश्लेषण किया और उनकी तुलना मरीजों की मौत और अस्पताल के रिकॉर्ड से की।

विश्लेषण में पाया गया कि फ्लू से पहले या बाद में लगभग 401 रोगियों को दिल का दौरा पड़ा था, उनमें से कुछ को एक से अधिक बार दिल का दौरा पड़ा, शोधकर्ताओं ने कुल मिलाकर 419 दिल के दौरों को देखा गया।

अध्ययन में कहा गया है कि फ्लू की जांच के पहले सात दिनों में कुल दिल के दौरे की संख्या 25 थी, जांच से पहले वर्ष के भीतर 217 और फ्लू जांच के बाद के वर्ष में 177 दिल के दौरे देखे गए। दिल का दौरा पड़ने वाले लगभग 35 प्रतिशत रोगियों की मृत्यु फ्लू की जांच होने के एक वर्ष के भीतर हुई चाहे वह किसी भी कारण से हुई हो। 

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित एक पुराने अध्ययन के मुताबिक, फ्लू वायरस प्लाक को तोड़ने में एक अहम भूमिका निभाता है, जिससे दिल का दौरा पड़ता है।  

अध्ययन में कहा गया है कि, टीकाकरण सहित फ्लू के संक्रमण को रोकने के लिए रणनीतियों को लागू करने, दिल के दौरे के लक्षणों के बारे में चिकित्सकों और अस्पताल में भर्ती फ्लू के रोगियों के बीच जागरूकता बढ़ाना बहुत जरूरी है