स्वास्थ्य

बच्चों को दी जा रहीं है अत्यधिक एंटीबायोटिक दवाएं: स्टडी

एक अध्ययन में पाया गया कि गरीब देशों में पांच साल तक के बच्चों को 25 तरह की एंटीबायोटिक दवाएं दी जा रही हैं

Dayanidhi

निम्न और मध्यम आय वाले देशों में बच्चों को उनके जीवन के पहले पांच वर्षों के दौरान औसतन 25 तरह की एंटीबायोटिक दवाइयां दी जा रही हैं। यह एंटीबायोटिक प्रतिरोध को बढ़ा सकती है। यह अध्ययन स्विस ट्रॉपिकल एंड पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूट और हार्वर्ड टीएच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ द्वारा किया गया है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि हम जानते थे कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में बच्चे अधिक बार बीमार होते हैं। इसी कारण कई देशों में एंटीबायोटिक दवाइयां देने की दर अधिक है। यह अध्ययन निम्न और मध्यम आय वाले देशों में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कितनी एंटीबायोटिक देने को कहा गया, इस बारे में है। अध्ययन लैंसेट इन्फेक्शस  डिसीसेस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

वैश्विक स्वास्थ्य को खतरा

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध वैश्विक स्वास्थ्य और विकास के लिए आज के सबसे बड़े खतरों में से एक है। वैश्विक स्वास्थ्य के खतरों को बढ़ाने वाले कारको में से एक, दुनिया भर में एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक उपयोग है। उदाहरण के लिए, तंजानिया में कई अध्ययनों से पता चला है कि 90 फीसदी से अधिक बच्चों को कम से कम एक एंटीबायोटिक दी गई थी। हालांकि लगभग 20 फीसदी मामलों में उपचार के लिए एंटीबायोटिक देना वास्तव में आवश्यक था।

स्विस टीपीएच और हार्वर्ड चैन स्कूल की शोध टीम ने 2007-2017 तक के आठ देशों के आंकड़ों का विश्लेषण किया। इन देशों में हैती, केन्या, मलावी, नामीबिया, नेपाल, सेनेगल, तंजानिया और युगांडा शामिल है। अध्ययन में पाया गया कि औसतन, बच्चों को पांच साल की उम्र में 25 एंटीबायोटिक दिए गए थे। एंटीबायोटिक दवाओं के देने के मामलों में 81 फीसदी मामले उन बच्चों  के है जिन्हें श्वसन संबंधी बीमारी थी, 50 फीसदी बच्चों को दस्त के लिए और 28 फीसदी मलेरिया से पीड़ित बच्चों को एंटीबायोटिक दी गई थी।

शोधकर्ताओं ने पाया कि बचपन में एंटीबायोटिक देने की संख्या हर देश में अलग-अलग थी। सेनेगल में प्रति बच्चे को उसके जीवन के पहले पांच वर्षों में हर एक साल में लगभग एक एंटीबायोटिक दी जा रही थी। वहीं युगांडा में एक बच्चे को 12 एंटीबायोटिक तक निर्धारित (प्रिस्क्राइब) की गई  थी। इनकी तुलना यूरोप से करे तो यहां पांच से कम उम्र के बच्चों को औसतन प्रति वर्ष एक एंटीबायोटिक से कम निर्धारित (प्रिस्क्राइब) की गई थी।

इस अध्ययन की अनोखी बात यह है कि यह निम्न और मध्यम आय वाले देशों में बाल चिकित्सा में एंटीबायोटिक देने की एक अधिक व्यापक तस्वीर सामने लाता है, जो पहले नहीं बताई गई है।

बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रभाव

वैलेरी डी'आर्कमोंट ने कहा कि एंटीबायोटिक अधिक निर्धारण (ओवरस्प्रेस्क्रिप्शन) के परिणाम न केवल वैश्विक स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा करते हैं, बल्कि इन बच्चों के स्वास्थ्य को भी गंभीर नुकसान हो सकते हैं। अतिरिक्त एंटीबायोटिक का उपयोग न केवल मानव स्वास्थ्य अपितु, प्राकृतिक वनस्पति को भी नष्ट कर देता है।