क्या आप जानते हैं कि 40 से कम उम्र में बढ़ता वजन और मोटापा 18 तरह के कैंसरों से जुड़ा है। यह हैरान कर देने वाली जानकारी स्पेन के 26.5 लाख वयस्कों पर किए अध्ययन में सामने आई है, जिसके नतीजे अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुए हैं।
यह तो सभी जानते हैं कि बढ़ता वजन और मोटापा अनगिनत बीमारियों से जुड़ा है। पिछले शोधों में भी इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि बढ़ता मोटापा और वजन यानी बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 13 तरह के कैंसरों जैसे स्तन, आंत, गुर्दे, किडनी, प्रोस्टेट, पेट, अग्नाशय आदि के कैंसर से सम्बंधित है।
लेकिन इस नए अध्ययन से पता चला है कि अतिरिक्त वजन और मोटापा इनके अलावा ल्यूकेमिया, नॉन-हॉजकिन लिंफोमा (एनएचएल), सिर, गर्दन और ब्लैडर कैंसर का कारण बन सकता है। यह उन लोगों में भी कैंसर की वजह बन सकता है, जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया है। शोधकर्ताओं के अनुसार इन कैंसरों को पहले मोटापे से संबंधित नहीं माना जाता था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक जिन लोगों में बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 25 से अधिक होता है, उन्हें ‘अधिक वजन’ की श्रेणी में रखा जाता है। वहीं यदि बीएमआई 30 से ज्यादा हो तो उसे मोटापा माना जाता है। मोटापा एक ऐसी बीमारी है, जो शरीर की ज्यादातर प्रणालियों को प्रभावित करता है। यह हृदय, लीवर, किडनी, जोड़ों और प्रजनन तंत्र को प्रभावित करने के साथ-साथ कई प्रकार की गैर-संचारी बीमारियों (एनसीडी) को भी जन्म देता है।
इसकी वजह से टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक, कैंसर के साथ मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। रिसर्च में यह भी सामने आया यह कि मोटापे से ग्रस्त लोगों में कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती होने की आशंका तीन गुना अधिक थी।
बढ़ते वजन की समस्या से पीड़ित हैं 190 करोड़ से ज्यादा वयस्क
डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार दुनिया में 190 करोड़ से ज्यादा वयस्क बढ़ते वजन की समस्या से ग्रस्त हैं। वहीं 65 करोड़ लोग मोटापे से पीड़ित हैं।
देखा जाए तो 1975 के बाद से दुनिया भर में मोटापे की समस्या बढ़कर तीन गुणा हो गई है। देखा जाए तो यह समस्या महामारी के रूप में बढ़ रही है। अनुमान है कि यह समस्या हर साल 40 लाख लोगों की मौत की वजह है।
अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने स्पेन में कैटेलोनिया के 40 वर्ष या उससे कम उम्र के 26 लाख से ज्यादा वयस्कों के स्वास्थ्य से जुड़े आंकड़ों की जांच की है। यह सभी लोग 2009 में कैंसर मुक्त थे। वहीं नौ वर्षों तक उनके स्वास्थ्य पर नजर रखने के बाद पता चला कि इनमें से 225,396 लोग कैंसर का शिकार बन गए थे।
शोधकर्ताओं के मुताबिक वजन और कैंसर के बीच संबंधों की जांच करने वाले पिछले शोध में मुख्य रूप से अध्ययन की शुरूआत में एक बार बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) को मापने पर ध्यान केंद्रित किया था। जो अध्ययन में शामिल लोगों में बीएमआई की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
वहीं इस अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने रिसर्च में शामिल लोगों के जीवनकाल के दौरान उनके बीएमआई स्कोर की जांच की थी। इस शोध के दौरान अध्ययन में शामिल लोगों पर नौ साल तक नजर रखी गई थी ताकि यह पता लगाया जा सके कि उन्हें कैंसर हुआ है या नहीं।
इस अध्ययन के जो नतीजे सामने आए हैं उनसे पता चला है कि जो लोग युवावस्था में यानी 40 या उससे कम उम्र में ज्यादा वजन और मोटापे से ग्रस्त थे, उनमें कैंसर का जोखिम कहीं ज्यादा था। इतना ही नहीं जो लोग लम्बे समय से बढ़ते वजन और मोटापे का शिकार थे, उनमें भी यह जोखिम कहीं ज्यादा दर्ज किया गया था।
ऐसे में इस अध्ययन में सामने आए नतीजे कैंसर पर लगाम कसने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी रणनीतियों के रूप में, विशेष रूप से युवावस्था में ही बढ़ते वजन और मोटापे की रोकथाम पर जोर देते हैं।