स्वास्थ्य

महामारी के कुल प्रभाव को जांचने का प्रभावी टूल है एक्सेस मोर्टेलिटी

किसी भी महामारी के दौरान स्वास्थ्य या अन्य सभी कारणों से होने वाली मौतों के बारे में जानकारी देने वाले आंकड़ों को एक्सेस मोर्टेलिटी (अतिरिक्त मृत्युदर) कहा जाता है

Vivek Mishra

किसी महामारी के दौरान मृत्यु के आंकड़ों का सही-सही हिसाब-किताब सबसे ज्यादा रहस्यमयी काम बन जाता है। भारत इस मामले में और भी ज्यादा रहस्यमयी है। यहां आम समय में मृत्यु के आंकड़ों का सही रिकॉर्ड नहीं रखा जाता। खासतौर से चिकित्सकीय प्रमाणित मृत्यु रिकॉर्ड के आंकड़े बेहद ही कम हैं। इस कारण महामारी के दौरान होने वाली सामान्य से अधिक मौतों का आकलन या महामारी का कुल सही प्रभाव ठीक से जाना नहीं जा सकता। आंकड़ों की इस मुश्किल को आसान करने के लिए दुनिया में 'एक्सेस मोर्टेलिटी' यानी अतिरिक्त मृत्युदर का तरीका अपनाया गया है। 

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के ऑवर वर्ल्ड इन डाटा के मुताबिक एक्सेस मोर्टेलिटी शब्द का इस्तेमाल खास महामारी के लिए ही किया जाता है। यह महामारी संकट के दौरान आम जनता के स्वास्थ्य और सभी कारणों से होने वाली मौतों को प्रदर्शित करता है।  

एक्सेस मॉर्टेलिटी सिर्फ प्रमाणित किए गए मृत्यु को ही नहीं गिनता बल्कि कोविड-19 की वजह से होने वाले उन मृत्यु के आंकड़ों को भी गिनती में रखता है जो कि सही तरीके से जांची नहीं गई या फिर उन्हें रिपोर्ट नहीं किया गया। 

महामारी के दौरान मौतों में तेज वृद्धि हुई लेकिन प्रायः उनके कारणों को गलत तरीके से रिकॉर्ड किया गया। खासतौर से व्यापक स्तर पर जब सही परीक्षण के लिए सुविधाएं नहीं थीं। कोविड-19 के दौरान मृत्यु की गिनती बेहद सीमित हो गई। सिर्फ कोविड-19 से हुई मृत्यु के लिए नहीं बल्कि  कोविड मरीजों को प्राथमिकता दिए जाने के कारण अन्य रोगों से होने वाली क्षति का सही अंदाजा लगाने में एक्सेस मोर्टेलिटी सहायक है। 

मिसाल के तौर पर लॉकडाउन के समय में ट्रैफिक के कारण होने वाली मौतों की संख्या काफी घट सकती है लेकिन आत्महत्या करने वालों की संख्या में बढ़ सकती है। 

एक्सेस मोर्टेलिटी डाटा देश के भीतर और बाहरी देशों के अंतर को समझने में मददगार हो सकती है। इस आंकड़ों के जरिए महामारी के दौरान सामाजिक और आर्थिक क्षति को मापा जा सकता है।

एक्सेस मोर्टेलिटी को कई तरह से मापा जा सकता है। इसे संभावित अनुमानित मृत्यु आंकड़ों में या फीसदी में मृत्यु के आधार पर निकाला जा सकता है और महामारी के दौरान होने वाली अधिक मौतों की बेहतर समझ बनाई जा सकती है।