स्वास्थ्य

कोरोना के कारण हर 12 सेकंड में अपने माता-पिता या अभिभावकों को खो रहा है एक बच्चा

Lalit Maurya

कोरोना महामारी एक ऐसी त्रासदी के रूप में सामने आई है, जिसका असर सभी पर देखा जा सकता है। इस महामारी के दौरान बहुत से लोगों ने अपने अपनों को खोया है। किसी ने अपने रोजगार को और किसी का भविष्य इस महामारी के अंधेरों में गुम हो गया है। ऐसा ही कुछ उन लाखों बच्चों के साथ हुआ है, जिन्होंने अपने माता-पिता और अभिभावकों को इस महामारी में खो दिया है।

हाल ही में जर्नल लैंसेट में छपे एक शोध के मुताबिक इस महामारी में 01 मार्च 2020 से 30 अप्रैल 2021 के बीच 15.6 लाख बच्चों ने अपने कम से कम एक करीबी को खोया है, जो उनकी देखभाल करते थे। इनमें उनके माता-पिता, दादा-दादी और अन्य करीबी रिश्तेदार शामिल थे। अनुमान है कि करीब 10.4 लाख से ज्यादा बच्चों ने अपने माता-पिता में से एक को खो दिया है। ऐसे में इन कभी न भरने वाले जख्मों ने इन बच्चों को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी तोड़ दिया है।

यदि नवीनतम आंकड़ों को देखें तो दुनिया भर में 19.2 करोड़ से ज्यादा लोग इस बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 41.5 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। यह महज आंकड़ा नहीं है यह वो लोग हैं जो किसी के माता-पिता, किसी के बेटा-बेटी, किसी के भाई-बहन थे। इनमें से बहुतों ने अपने पीछे उन बच्चों को छोड़ दिया है जिनकी आज देखभाल करने वाला कोई नहीं बचा है। 

यह शोध भारत सहित दुनिया के 21 देशों के आंकड़ों पर आधारित है जो कोविड-19 से होने वाली मृत्यु का 77 फीसदी बोझ ढो रहे हैं। यदि उन देशों की बात करें जहां अपने माता-पिता और संरक्षकों को खोने वाले बच्चों की दर सबसे ज्यादा हैं उनमें पेरू प्रमुख है, वहां 98,975 बच्चों ने अपने अभिभावकों को खोया है। वहां यह दर प्रति 1000 बच्चों पर 10.2 है। 

भारत में भी 1.19 लाख बच्चों के सिर से उठ गया था माता-पिता और अभिभावकों का साया

दक्षिण अफ्रीका में 5 प्रति हजार (94,625 बच्चे), मेक्सिको में 3 प्रति हजार (141,132 बच्चे), ब्राजील में 2 प्रति हजार बच्चे (130,363 बच्चे), कोलंबिया में भी 2 प्रति हजार (33,293 बच्चे), ईरान में 40,996, अमेरिका में 113,708 बच्चे, रूस में 29,724 बच्चे और भारत में 1.19 लाख बच्चों ने माता-पिता और दादा-दादी को खोया है। 

 शोध के अनुसार जिन बच्चों ने अपने माता-पिता या अभिभावकों को इस महामारी में खोया है, उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा और भविष्य पर गहरा प्रभाव पड़ने का खतरा है। जिससे बीमारी, शारीरिक शोषण, यौन हिंसा, गरीबी जैसे जोखिमों में वृद्धि होने की सम्भावना अधिक है। 

यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन और कोविड-19 रिस्पांस टीम से जुड़ी और इस अध्ययन की प्रमुख शोधकर्ता सूसन हिलिस ने बताया कि "दुनिया भर में कोविड-19 से होने वाली हर दो मौतों ने एक बच्चे से उसके माता-पिता या अभिभावकों को छीन लिया है। 30 अप्रैल, 2021 तक इस महामारी के चलते करीब 30 लाख लोगों की जान गई थी, जिसमें 15 लाख बच्चों ने अपने करीबियों को खो दिया था। उनका अनुमान है कि महामारी के बढ़ने के साथ यह संख्या और बढ़ सकती है।

आंकड़ों के मुताबिक इस महामारी से पहले भी करीब 14 करोड़ बच्चे अनाथ थे। जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, गरीबी, यौन हिंसा जैसी समस्याओं का सामना करने को मजबूर थे। इन बच्चों में आत्महत्या करने, या हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर और स्ट्रोक जैसी बीमारियों के होने का खतरा कहीं ज्यादा है।  ऐसे में इन बच्चों पर विशेष ध्यान और तत्काल मदद दिए जाने की आवश्यकता है, जिससे उनके न केवल आज बल्कि भविष्य को भी अंधकारमय होने से बचाया जा सके।