स्वास्थ्य

15 वर्षों से बन रहा अस्पताल! निर्माण में देरी पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने लगाई फटकार

उच्च न्यायालय का कहना है कि आम जनता की स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ी परियोजना को पूरा करने में इतनी लंबी और अस्पष्ट देरी का कोई औचित्य नहीं हो सकता है।

Susan Chacko, Lalit Maurya

27 सितंबर, 2023 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने ठाणे नगर निगम के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की है। मामला अस्पताल के निर्माण में देरी से जुड़ा है। गौरतलब है कि कौसा, मुंब्रा में 2008 में 100 बिस्तरों वाले अस्पताल के निर्माण की योजना बनाई गई थी।

उच्च न्यायालय का कहना है कि “आम जनता की स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ी परियोजना को पूरा करने में इतनी लंबी और अस्पष्ट देरी का कोई औचित्य नहीं हो सकता है।“ उच्च न्यायालय ने मामले की वास्तविक स्थिति का पता लगाने और इमारत का निरीक्षण करने के लिए एक आयोग की नियुक्ति की है, जिसमें एक चिकित्सा विशेषज्ञ, एक सिविल इंजीनियर और एक वकील शामिल होंगें। कोर्ट ने मामले में आयोग को रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया है।

आयोग इन पहलुओं को शामिल करते हुए रिपोर्ट तैयार करेगा:

  • विशिष्ट विवरण के साथ बिल्डिंग कितने समय में पूरी हो जाएगी।
  • जो बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं उनका विवरण।
  • अस्पताल द्वारा प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं की वर्तमान स्थिति।
  • मौजूदा बिल्डिंग की संरचना का कैसे उपयोग किया जाए ताकि स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने के लिए नए विभागों का तत्काल विस्तार किया जा सके।

रिपोर्ट तैयार करते समय आयोग यह भी ध्यान रखेगा कि कौन सी मशीनें और चिकित्सा उपकरण खरीदे गए हैं और क्या इन मशीनों और उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है।

उच्च न्यायालय ने मामले में निगम से एक अतिरिक्त जवाब दाखिल करने को भी कहा है, जिसमें बताया जाए कि निगम ने उपकरणों की खरीद और पर्याप्त कर्मचारियों की भर्ती के लिए क्या कुछ कदम उठाए हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि हलफनामे में, निगम को यह भी बताना होगा कि कितने कम से कम समय में इस अस्पताल को पूरी तरह चालू किया जा सकता है। इसमें चिकित्सा सुविधाएं और विभाग शुरू होने के क्रम के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए।

गौरतलब है कि नगर निगम ने अपने हलफनामे में इस तथ्य को स्वीकार किया है कि कौसा के निवासियों के पास मौजूदा समय में चिकित्सा सेवाओं तक पहुंच नहीं है। ऐसे में यह 100 बिस्तरों वाला अस्पताल उन्हें पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करेगा।

पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार के लिए महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने क्या कुछ उठाए हैं कदम, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार के साथ कार्य योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सभी प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और समितियों के साथ मिलकर काम कर रहा है।

वर्तमान में सीपीसीबी पर्यावरण प्रदूषण सूचकांक (सीईपीआई) और कार्य योजनाओं की प्रगति पर निगरानी के लिए एक पोर्टल विकसित कर रहा है। यह पोर्टल संबंधित एसपीसीबी/पीसीसी को अपनी कार्य योजनाओं, प्रगति रिपोर्ट और सीईपीआई स्कोर को प्रस्तुत करने की अनुमति देगा। गौरतलब है कि सीपीसीबी ने पर्यावरण की गुणवत्ता को दर्शाने के लिए एक सीईपीआई को विकसित किया था।

रिपोर्ट में महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के साथ-साथ सीईपीआई के स्कोर को कम करने के लिए उठाए गए कदमों का भी उल्लेख किया है। इन कार्रवाइयों में महत्वपूर्ण लाल श्रेणी के उद्योगों में उत्सर्जन और अपशिष्टों (सीईएमएस) के लिए निरंतर निगरानी प्रणाली स्थापित करना शामिल है।

इसके अतिरिक्त, उद्योगों से होते धूल उत्सर्जन को कम करने के लिए पीएनजी जैसे स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना शामिल है। साथ ही जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) के लिए 100 फीसद ट्रीटेड वाटर को रीसायकल करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

रिपोर्ट से पता चला है कि एमपीसीबी ने 2023 के दौरान सभी छह गंभीर और अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों (सीपीए/एसपीए) में पर्यावरण की गुणवत्ता की निगरानी करने के साथ-साथ सीईपीआई स्कोर का भी मूल्यांकन किया है। इसके अनुसार तारापुर के लिए, 2018 में सीईपीआई स्कोर 93.69 (एसपीए) था, जो 2023 में घटकर 66.94 (एसपीए) रह गया है।

देखा जाए तो यह 28.5 फीसदी की कमी को दर्शाता है। वहीं चंद्रपुर के मामले में, जहां 2018 में सीईपीआई स्कोर 76.41 (सीपीए) था वो 2023 में घटकर 65.76 (एसपीए) रह गया है, जो सीईपीआई स्कोर में 13.9 फीसदी की कमी को दर्शाता है।